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Last Updated:February 06, 2025, 10:18 IST
Donkey Route: हरियाणा के गोलपुरा गांव के 80-85 लोग 'डंकी' मार्ग से अवैध रूप से अमेरिका पहुंच चुके हैं. यह सफर पनामा के जानलेवा जंगलों, खतरनाक सड़कों और मैक्सिकन दीवार को पार करने की कोशिशों से भरी है, जहां हर क...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- गोलपुरा गांव में अमेरिका जाने का सपना हर घर में पलता है.
- अवैध 'डंकी रूट' से 80-85 लोग अमेरिका पहुंचे हैं.
- सफर खतरनाक और अनिश्चित, कईयों का पता नहीं चलता.
Donkey Route: गोलपुरा, हरियाणा का एक छोटा-सा गांव, लेकिन यहां हर घर के आंगन पर एक बड़ा सपना पलता है—अमेरिका जाने का सपना. कोई इसे जुनून कहे, कोई मजबूरी, लेकिन गांव की गलियों में सबसे चर्चित शब्द है—डंकी. जी हां, वही डंकी, यानी अवैध तरीके से विदेश जाने का रास्ता.
अब आप सोच रहे होंगे, ये डंकी आखिर है क्या? असल में, गांव के 150 में से कम से कम 80-85 लोग इसी रस्ते से अमेरिका पहुंच चुके हैं. ये सिलसिला यूं ही नहीं चला आ रहा, बल्कि यहां के लोगों के लिए ये लगभग परंपरा बन चुका है. एजेंट्स बैठे हैं, प्लानिंग रेडी है, पैसे जुटाने की जद्दोजहद शुरू हो जाती है. 15 लाख लगते हैं बस उस दीवार तक पहुंचने के लिए, जो अमेरिका और मेक्सिको के बीच खड़ी है, लेकिन वहां तक पहुंचने की कहानी किसी फिल्मी स्क्रिप्ट से कम नहीं.
मौत से दो-दो हाथ, जंगल और पहाड़ों के बीच सफर
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, मेक्सिको तक एजेंट पैसे लेकर पहुंचा तो देंगे, लेकिन असली परीक्षा तब शुरू होती है जब पनामा के जंगलों में कदम पड़ता है. ये कोई हरा-भरा, टूरिस्ट स्पॉट नहीं, बल्कि ऐसा जंगल है जहां हर कदम पर जान का खतरा है. पहाड़, दलदल, खतरनाक जानवर और लूटेरे—सबकुछ इस सफर का हिस्सा हैं.
सुबह निकलते, बैग में कुछ बिस्किट और चने होते, आधे-एक घंटे चलते, फिर रुकते, कुछ खाते-पीते और फिर आगे बढ़ते. ऐसा करते-करते पूरा पनामा पार करना पड़ता. कुछ लोग साथ छोड़ जाते, कुछ पीछे रह जाते, लेकिन जिन्हें आगे बढ़ना था, उनके लिए रुकने का सवाल ही नहीं था.
पनामा के बाद तीन और देश पार करने पड़ते—निकरागुआ, ग्वाटेमाला और आखिर में मेक्सिको. मेक्सिको में घुसते ही सबसे पहले एक कैंप में रखा जाता है, जहां 20 दिन की एक अस्थायी अनुमति दी जाती है. इसके बाद आगे बढ़ने की फिर जद्दोजहद शुरू होती है. पुलिस की नजर से बचते-बचाते, घने जंगलों और नहरों के रास्ते, कुछ छुपकर तो कुछ भागते हुए, बस अमेरिका की उस दीवार तक पहुंचने का सपना हर कदम पर झलकता है.
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बड़े सपने, कड़वी सच्चाई
कुछ लोग सफल होकर अमेरिका में दाखिल हो जाते हैं, लेकिन हर किसी की किस्मत ऐसी नहीं होती, कईयों को रास्ते में छोड़ दिया जाता है, कई पकड़े जाते हैं और कई तो ऐसे होते हैं जिनका फिर कभी कोई पता नहीं चलता.
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए मगेश कुमार ने बताया कि हमारे गांव के ही एक लड़के ने बताया कि वह 2017 में यूक्रेन गया, वहां से ऑस्ट्रिया जाने के लिए डंकी रूट अपनाया, लेकिन आखिर में उसे वापस भारत भेज दिया गया. पांच साल तक रेस्टोरेंट में बर्तन मांजता रहा, सुबह-सुबह अखबार डालता था, छोटा-मोटा काम करता था, लेकिन जब 2022 में डिपोर्ट हुआ, तो हाथ में सिर्फ अफसोस था.
First Published :
February 06, 2025, 10:18 IST