तो अमेरिका को रगड़ देगा ईरान? सता रहा है उसको हमले का डर, कहा- अगर...

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Last Updated:February 01, 2025, 08:24 IST

Israel-Iran Relation: ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ रहा है, ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने चेतावनी दी कि इजरायल या अमेरिका के हमले से 'पूर्ण युद्ध' छिड़ जाएगा. ट्रंप के समर्थन से इजरायल की स्थिति मजबूत है...और पढ़ें

तो अमेरिका को रगड़ देगा ईरान? सता रहा है उसको हमले का डर, कहा- अगर...

'ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला हुआ तो युद्ध होगा.' (फोटो Reuters)

हाइलाइट्स

  • ईरान और इजरायल के बीच तनाव बढ़ा.
  • ईरान ने परमाणु स्थलों पर हमले की चेतावनी दी.
  • हमले पर ईरान ने 'पूर्ण युद्ध' की धमकी दी.

Israel-Iran Relation: ईरान और इजरायल के बीच तनाव है यह पूरी दुनिया को मालूम है. ईरान के साथ दो-दो हांथ करने में अमेरिका इजरायल का ही साथ देगा. अमेरिका की बागडोर डोनाल्ड ट्रंप के हाथ में आने के बाद यह और पुख्ता हो गया. क्योंकि ट्रंप इजरायल को पहले से ही सपोर्ट करते हैं और इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से उनकी अच्छी बनती है. लेकिन इन तमाम स्थितियों के बीच ईरान ने सीधे युद्ध की धमकी दे डाली है. अब देखना यह होगा कि इजरायल और अमेरिका इस पर क्या प्रतिक्रिया देगा.

अल जजीरा कि रिपोर्ट के अनुसार ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने अल जज़ीरा को बताया कि अगर इजरायल या संयुक्त राज्य अमेरिका ने ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला किया, तो इससे क्षेत्र में ‘पूर्ण युद्ध’ छिड़ जाएगा. कतर की यात्रा के दौरान अल जज़ीरा अरबी को दिए एक इंटरव्यू में, अराघची ने चेतावनी दी कि ईरानी परमाणु स्थलों पर सैन्य हमला करना “अमेरिका की सबसे बड़ी ऐतिहासिक गलतियों में से एक” होगा.

इजरायल को ट्रंप दे सकते हैं अटैक का अधिकार
उन्होंने कहा कि किसी भी हमले का ईरान “तुरंत और निर्णायक” जवाब देगा और इससे क्षेत्र में “पूर्ण युद्ध” छिड़ जाएगा. ईरान में चिंताएं बढ़ रही हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप अपने दूसरे कार्यकाल में इज़रायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला करने का अधिकार दे सकते हैं और अमेरिकी प्रतिबंधों को और कड़ा कर सकते हैं.

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अराघची ने कहा कि उन्होंने कतर के प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री शेख मोहम्मद बिन अब्दुलरहमान बिन जसीम अल थानी से दोहा में मुलाकात की और क्षेत्रीय मुद्दों पर चर्चा की. अराघची ने शुक्रवार को प्रसारित एक इंटरव्यू में कहा, “हम गाजा में संघर्षविराम तक पहुंचने में कतर की मध्यस्थता की भूमिका की सराहना करते हैं. मुझे उम्मीद है कि सभी अन्य मुद्दे भी सुलझा लिए जाएंगे.”

हमास के लोगों से ईरान के विदेश मंत्री ने की मुलाकात
उन्होंने कतर में हमास के अधिकारियों से भी मुलाकात की और कहा कि फिलिस्तीनियों ने गाजा में “जीत” हासिल की है, भले ही इजरायल के युद्ध से वहां तबाही मच गई हो. उन्होंने कहा, “सभी हत्याओं और विनाश के बावजूद जो पूरी दुनिया ने देखा, फिलिस्तीनी लोगों ने अपनी जमीन पर डटे रहे और अपने मूल्यों और सिद्धांतों को बनाए रखा. मुझे विश्वास है कि यह एक जीत के रूप में खड़ा है. इजरायली कब्जे वाली सेना ने हमास को खत्म करने और अपने बंदियों को मुक्त करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दी, लेकिन अंततः उन्हें हमास के साथ बैठकर बातचीत करनी पड़ी. यह हमास के लिए जीत का प्रतीक है.”

गाजा पर इजरायल के युद्ध में 7 अक्टूबर 2023 से अब तक कम से कम 47,460 फिलिस्तीनी, मुख्य रूप से महिलाएं और बच्चे, मारे गए हैं और 111,580 घायल हुए हैं. उस दिन हमास के नेतृत्व वाले हमलों में इजरायल में कम से कम 1,139 लोग मारे गए और 200 से अधिक को बंदी बना लिया गया. गाजा का अधिकांश हिस्सा मलबे में तब्दील हो गया है और गाजा की 2.3 मिलियन आबादी का अधिकांश हिस्सा विस्थापित हो गया है.

सीरिया में विकास के बारे में, अराघची ने कहा कि ईरान एक ऐसी सरकार के गठन का समर्थन करता है जिसमें सीरियाई समाज के सभी वर्ग शामिल हो सकें, पूर्व राष्ट्रपति बशर अल-असद के पतन के बाद, जो ईरान के मजबूत सहयोगी थे.

अराघची ने कहा कि ईरान के लक्ष्य सीरिया में स्थिरता और देश की क्षेत्रीय एकता को बनाए रखना है. उन्होंने कहा, “हम किसी भी सरकार का समर्थन करते हैं जिसे सीरियाई लोग चुनते और समर्थन करते हैं. हम सीरिया के लिए शांति और सुरक्षा चाहते हैं, जो क्षेत्र में भी शांति का पूर्ववर्ती है. हम नहीं चाहते कि सीरिया अंतहीन तनाव या जातीय संघर्षों का केंद्र बने, जो इसे आतंकवादियों के लिए सुरक्षित आश्रय बना सकता है. सीरिया में अस्थिरता क्षेत्र में फैल जाएगी.”

2011 युद्ध में ईरान ने की थी सीरिया की मदद
ईरान ने 2011 में सीरिया के युद्ध के शुरू होने के बाद से अल-असद का समर्थन किया, उन्हें लड़ाकों, हथियारों और अन्य सैन्य समर्थन प्रदान किया ताकि उन्हें सत्ता में बनाए रखा जा सके, साथ ही तेहरान के क्षेत्रीय “प्रतिरोध धुरी” को इजरायल और अमेरिका के खिलाफ बनाए रखा जा सके. ट्रंप के पुन: चुनाव के बारे में, अराघची ने कहा कि ईरानी-अमेरिकी संबंधों का इतिहास “शत्रुता और अविश्वास से भरा” है.

उन्होंने बताया कि पिछले ट्रंप प्रशासन के तहत अमेरिका ने परमाणु समझौते से बाहर निकलकर और ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कुद्स फोर्स के प्रमुख कासिम सुलेमानी की हत्या कर दी. उन्होंने नए ट्रंप प्रशासन से विश्वास बहाल करने के लिए व्यावहारिक कदम उठाने का आह्वान किया, जैसे कि जमे हुए ईरानी धन को वापस करना, और कहा कि ईरान अमेरिका के साथ सीधे संवाद का विरोध नहीं करता, लेकिन वार्ता को केवल परमाणु मुद्दे तक सीमित रखने पर जोर देता है.

First Published :

February 01, 2025, 08:24 IST

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