Agency:रॉयटर्स
Last Updated:February 05, 2025, 13:12 IST
निसान और होंडा के बीच विलय वार्ता संकट में है. होंडा के सहायक कंपनी बनाने के प्रस्ताव से निसान के बोर्ड में असंतोष है. विलय विफल होने पर दोनों कंपनियों की रणनीति प्रभावित हो सकती है.
हाइलाइट्स
- निसान-होंडा विलय वार्ता संकट में है.
- निसान के बोर्ड में होंडा के प्रस्ताव से असंतोष.
- विलय वार्ता रद्द होने पर शेयरों में उछाल.
नई दिल्ली. जापान की दो दिग्गज ऑटोमोबाइल कंपनियों, निसान और होंडा के बीच चल रही विलय वार्ता अब संकट में पड़ती नजर आ रही है. रॉयटर्स ने सूत्रों के हवाले से बताया है कि निसान को अपनी सहायक कंपनी बनाने के संकेत दिए, जिससे निसान के बोर्ड में असंतोष फैल गया. निसान का मानना है कि यह प्रस्ताव मूल बातचीत की भावना के खिलाफ है. कंपनी का बोर्ड जल्द ही इस पर अंतिम निर्णय लेने के लिए बैठक करेगा. अगर यह वार्ता विफल होती है, तो इससे दोनों कंपनियों के भविष्य की रणनीति पर बड़ा असर पड़ सकता है.
अगर निसान और होंडा का यह विलय सफल होता, तो यह नई कंपनी बिक्री के लिहाज से दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी ऑटोमेकर बन सकती थी. लेकिन अब इस प्रक्रिया के रुकने से यह सवाल खड़ा हो गया है कि निसान बिना बाहरी सहयोग के अपने मौजूदा वित्तीय संकट से कैसे उबरेगी.
विलय वार्ता रद्द होने की खबर से शेयरों में तेजी
विलय वार्ता रद्द होने की खबर के बाद भी दोनों कंपनियों के शेयरों में उछाल देखा गया. होंडा के शेयरों में 2% और निसान के शेयरों में 1.6% की बढ़त दर्ज की गई, जबकि निक्केई 225 इंडेक्स में हल्की गिरावट आई. यह तेजी निवेशकों के उस विश्वास को दर्शाती है कि विलय के बिना भी कंपनियां अपने-अपने रास्ते पर मजबूत बनी रह सकती हैं.
विलय वार्ता में क्या बनी बाधा?
सूत्रों के अनुसार, होंडा ने निसान को अपनी सहायक कंपनी बनाने के संकेत दिए, जिससे निसान के बोर्ड में असंतोष फैल गया. निसान का मानना है कि यह प्रस्ताव मूल बातचीत की भावना के खिलाफ है. वहीं, होंडा, जिसकी बाजार मूल्यांकन निसान से पांच गुना अधिक है, निसान की पुनरुद्धार योजना की धीमी प्रगति को लेकर चिंतित है. हालांकि, दोनों कंपनियों के प्रवक्ताओं ने अभी तक विलय वार्ता के रद्द होने की पुष्टि नहीं की है. उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर फरवरी के मध्य में औपचारिक घोषणा की जाएगी.
निसान के सामने चुनौतीपूर्ण रास्ता
निसान के लिए इलेक्ट्रिक वाहनों (EV) की ओर तेजी से बढ़ते बदलाव से निपटना एक बड़ी चुनौती बन गया है. 2018 में पूर्व चेयरमैन कार्लोस घोसन की गिरफ्तारी और बर्खास्तगी के बाद कंपनी अब तक पूरी तरह से उबर नहीं पाई है. यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है जब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा संभावित टैरिफ से उत्पन्न व्यवधान की आशंका जताई जा रही है. विश्लेषकों का मानना है कि मेक्सिको के खिलाफ टैरिफ निसान के लिए होंडा या टोयोटा की तुलना में अधिक नुकसानदायक होंगे.
रेनॉल्ट की भूमिका पर भी नजर
निसान के दीर्घकालिक सहयोगी रेनॉल्ट ने भी इस प्रक्रिया पर अपनी रुचि जताई थी. फ्रांसीसी ऑटोमेकर के पास निसान का 36% हिस्सा है, जिसमें से 18.7% एक फ्रांसीसी ट्रस्ट के माध्यम से है. रेनॉल्ट ने पहले संकेत दिया था कि वह सिद्धांत रूप में होंडा के साथ विलय के लिए तैयार है.
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New Delhi,New Delhi,Delhi
First Published :
February 05, 2025, 13:12 IST