गोंडा: गोंडा जिले के विकासखंड करनैलगंज के हीरापुर ग्राम सभा के एक किसान ने मशरूम की खेती के साथ-साथ मशरूम में प्रयोग किए जाने वाले उर्वरक का प्लांट लगाया है. उससे उनका सालाना लाखों का फायदा हो रहा है. लोकल 18 से बातचीत के दौरान पंकज सिंह बताते हैं कि वे लगभग 15 साल से मशरूम की खेती कर रहे हैं. फिर उनके दिमाग में आया कि क्यों ना मशरूम की खेती के साथ-साथ मशरूम में प्रयोग किए जाने वाले खाद का प्लांट लगाया जाए.
हाल में लगाया प्लांट
इस विचार के आने के बाद उन्होंने विगत वर्ष इस प्लांट को लगाया. प्लांट को तैयार करने में लगभग 45 लाख रुपए की लागत लगी थी. वहीं मशरूम की खेती तैयार करने में लगभग 40 लाख रुपए की लागत लगी है. सालाना टर्नओवर डेढ़ करोड़ रुपए होता है. वे इसी काम को आगे बढ़ाना चाहते हैं और उन्हें लगता है कि आने वाले समय में वे इस काम में और फायदा है.
क्या है मशरूम खाद यूनिट
पंकज सिंह बताते हैं कि वे 15 साल से मशरूम की खेती कर रहे हैं. कुछ कारणों से पहले कंपोस्ट में बीमारियां ज्यादा होती थी, इससे मशरूम की पैदावार कम होती थी. फिर दिमाग में आया क्यों न खाद यूनिट प्लांट लगाया जाए और इसके बाद खाद यूनिट प्लांट लगाया. इससे उन्हें समस्या से निजात मिली है.
हाथ से और मशीन से खाद बनाने में क्या अंतर है?
वे आगे बताते हैं कि हाथ से खाद बनाने में तमाम प्रकार की बीमारियां आती थी और समय अधिक लगता था. जबकि मशीन से खाद बनाने में समय कम लगता है और उत्पादन भी ज्यादा होता है. इससे टाइम की बचत होती है और रिजल्ट भी बढ़िया निकलता है. उन्होंने कई दूसरे राज्यों में देखा था कि लोग मशीन से खाद बना रहे हैं, ये देखकर उनके मन में भी विचार आया कि खाद का प्लांट लगाया जाए.
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FIRST PUBLISHED :
November 27, 2024, 16:55 IST