पहली बार में लगेगा 'सूखा पत्ता', लेकिन ध्यान से देखेंगे तो पता चलेगी सच्चाई!

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दुनियाभर में कई ऐसे जीव-जंतु पाए जाते हैं, जिनके बारे में आम इंसानों को बिल्कुल भी पता नहीं होगा. कुछ लोग ही ऐसे होंगे, जो उन जीवों के बारे में जानते होंगे. आज हम आपको एक ऐसे ही जीव के बारे में बताने जा रहे हैं. आमतौर पर अगर वो आपकी आंखों के सामने हो तो उसे देखकर ऐसा लगेगा कि कोई सूखा पत्ता हो. लेकिन सच्चाई असल में कुछ और ही है. अब आप सोच रहे होंगे कि आखिर वो कौन सा जीव है? ऐसे में बता दें कि ये एक तितली है, जिसे कल्लिमा इनाचस (Kallima Inachus) के नाम से जाना जाता है. ये तितली भारत से लेकर जापान सहित कई देशों में पाई जाती है. आमतौर पर ये नदियों और झाड़ियों के किनारे दिखाई देती है. वहीं, पेड़ों के रस, कीचड़ और पके फलों से आकर्षित होकर अपना भोजन बनाती है.

इस तितली के बारे में कहा जाता है कि जब कोई पक्षी उसका पीछा करता है और उसे खतरा महसूस होता है, तो वह बेतरतीब ढंग से उड़ना शुरू कर देती है. इसके बाद ये तितली अचानक जंगल के पत्तों में गिर जाती है और आंखें बंद करके स्थिर हो जाती है. ऐसे में पक्षियों को लगता है कि ये कोई सूखा पत्ता है और वे इन्हें ढूंढ नहीं पाते. कल्लिमा इनाचस अपने को शिकारियों से सुरक्षित बचाए रखने में माहिर मानी जाती है. ये खुद को पूरी तरह से छुपा लेती है. पहली बार में अगर ये आपकी आंखों के सामने आ जाए तो आप भी इसे सूखा पत्ता ही समझने की भूल कर बैठेंगे. दरअसल, जब यह अपनी पंख बंद करती है, तो केवल नीचे के निशान दिखाई देते हैं, जिसमें बेज, भूरे, पीले और काले रंग के कई शेड्स में अनियमित पैटर्न और धारियां होती हैं. इसमें सफेद धब्बे और गहरे रंग के बिंदु भी होते हैं जो फफूंद या लाइकेन से मिलते जुलते हैं. ये सब उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में मुरझाए और सूखे हुए पत्तों पर दिखना बहुत आम है.

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मादा तितलियां होती हैं ज्यादा बड़ी
कल्लिमा इनाचस प्रजाति की तितलियां साल में दो बार प्रजनन करती हैं. एक बरसात के मौसम में और दूसरा सूखे मौसम में. बरसात के मौसम में तितलियां काफी छोटी हैं, लेकिन नर की तुलना में बड़ी होती हैं. ये भारत में, हिमालय के निचले इलाकों में, नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, म्यांमार, दक्षिणी चीन, थाईलैंड, लाओस, जापान, ताइवान और वियतनाम में पाई जाती हैं. हाल ही में पाकिस्तान में भी कुछ नमूने देखे गए हैं. ये तितली आमतौर पर 1,800 मीटर से कम ऊंचाई पर रहती है, लेकिन कुछ शोधकर्ताओं ने भारी वर्षा वाले पहाड़ी क्षेत्रों में 2,400 मीटर तक इसकी उपस्थिति दर्ज की है. इसे धूप वाली जगहें पसंद हैं और दिन में अपने पंखों को आधा खोलकर तनों या पत्तियों पर धूप सेंकते हैं. हालांकि, इन्हें अपनी तरफ किसी के आने की आहट मिलती है, तो ये तुरंत डर से सतर्क हो जाती हैं.

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FIRST PUBLISHED :

November 28, 2024, 09:14 IST

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