पितरों के लिए स्वर्ग की सीढ़ी है संगम नगरी, जानें यहां पिंडदान करने की मान्यता

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नर्मदापुरम

नर्मदापुरम से आये लोग

प्रयागराज: 17 अक्टूबर से चल रहे पितृपक्ष के समय से देश के कोने-कोने से लोग अपने पूर्वजों को पिंडदान करने के लिए संगम नगरी प्रयागराज पहुंचे हैं. प्रयागराज ऐसी जगह है, जहां पर गंगा-यमुना का आदि से संगम का मिलन स्थल रहा है. यहां हर साल माघ मेला एवं 6 साल में कुंभ मेले का आयोजन होता है.

देशभर से लोग पहुंचते हैं पिंडदान करने
वहीं, पितृपक्ष के समय प्रयागराज में देशभर से लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं. यहां विधि विधान से पूजा कर अपने पितरों को खुश करते हैं. खास बात यह है कि यहां आने वाले देश के कोने-कोने से लोगों की प्रतिक्रिया पिंडदान को लेकर क्या होती है. इस पर लोकल18 ने लोगों से बातचीत की. इस दौरान लोगों की प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार रही.

पिंडडान करने आये श्रद्धालु ने बताया
प्रयागराज संगम में मध्य प्रदेश के नर्मदा पुरम जिले से आए हेमंत वर्मा पहली बार पिंडदान करने पहुंचे थे. उन्होंने लोकेल18 से बात करते समय यहां के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि पिंडदान करने आने वाले लोगों को अकेले नहीं आना चाहिए. किसी धार्मिक ट्रस्ट अथवा ट्रैवल एजेंसी के माध्यम से ही प्रयागराज में पिंडदान करने आना चाहिए.

इससे श्रद्धालुओं के सुविधा की पूरी जिम्मेदारी ट्रस्ट या ट्रैवल एजेंसी की ही होती है. उन्होंने बताया कि यहां अकेले पिंडदान करने आने वाले लोगों को समय से पूजा करने के लिए पंडित नहीं मिल पाते हैं. वहीं, संगम में अकेले घूमने में भी काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है.

9 हजार में घुमाते हैं प्रयागराज, काशी और गया
नर्मदा पुरम से ही पिंडदान करने आए अनिल वर्मा ने बताया कि यहां पर पिंडदान करने वाले श्रद्धालुओं को अपने झुंड से बाहर अकेले घूमने की कोशिश नहीं करनी चाहिए. क्योंकि यहां पर साधन का किराया बहुत अधिक लेते हैं. वहीं, कहां से कहां जाएं, इसकी पूरी जानकारी का अभाव रहता है. हम लोग ट्रस्ट के साथ आए हैं, जो 9 हजार रुपए में उन्हें प्रयागराज काशी एवं गया ले जाकर पिंडदान करवाएंगे.

वहीं, ट्रस्ट वालों का पंडाल लोगों के साथ पहले से ही बात हुई रहती है. इससे ना तो पूजा में दिक्कत होती है और ना ही यहां रुकने में दिक्कत होती है. यहां पहले से ही सब कुछ बुक रहता है और किस ट्रेन से कहां जाना है. कब का समय है, यह सह हमारे पास मौजूद होता है.

जानें प्रयागराज में पिंडदान का महत्व
अनिल वर्मा ने पिंडदान के महत्व को लेकर बताया कि प्रयागराज से ही पिंडदान की शुरुआत होती है. यहां राम गया में जाकर इसकी समाप्ति होती है. प्रयागराज को ही पिंडदान का प्रमुख द्वार माना जाता है. खास बात यह है कि यहां आने के बाद सबसे पहले कैसे दान करना होता है, फिर पिंडदान करने के बाद संगम स्नान हो जाता है. पुराणों में भी इसका बहुत महत्व है. इस वजह से वह लोग प्रयागराज में पिंडदान करने आते हैं.

Tags: Allahabad news, Local18, Prayagraj News, Religion, Religion 18, UP news

FIRST PUBLISHED :

September 30, 2024, 14:48 IST

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