श्रीनगर गढ़वाल. जो बच्चे टेढ़े पैरों के साथ पैदा होते हैं, उन्हें क्लबफुट या जन्मजात पंजा विकृति हो सकती है. इस स्थिति में नवजात शिशु के पैर अंदर की ओर मुड़े होते हैं, जिससे चलने में कठिनाई हो सकती है. क्लबफुट में पैर की आकृति गोल्फ की स्टिक जैसी दिखाई देती है. यह विकृति आमतौर पर जन्म के समय पाई जाती है और इसका इलाज संभव है. उपचार के लिए विशेष जूते, कास्टिंग या कभी-कभी सर्जरी की जरूरत हो सकती है. समय पर उपचार से बच्चे सामान्य रूप से चलने में सक्षम हो सकते हैं, जिससे भविष्य में परेशानियां कम होती हैं.
उत्तराखंड के श्रीनगर गढ़वाल स्थित संयुक्त उप-जिला के हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ सचिन चौबे लोकल 18 को बताते हैं कि अब तक उनके पास इस बीमारी से पीड़ित पांच बच्चे आ चुके हैं. इस बीमारी का पता शिशु अवस्था में ही लगाया जा सकता है. इसमें बच्चे के पैर गोल्फ खेलने वाली स्टिक जैसा हो जाते हैं. यह बीमारी नवजात शिशु के एक पैर में या दोनों पैरों में भी हो सकती है. आमतौर पर बच्चे के परिजन स्वयं ही इस समस्या को पहचान लेते हैं क्योंकि इसमें बच्चे के पैरों में टेढ़ापन दिखाई देने लगता है.
डॉक्टर ने दिया सुझाव
इस बीमारी का उपचार अलग-अलग उम्र के मरीजों में भिन्न होता है. एक साल तक के बच्चों में जितनी जल्दी यह बीमारी पहचान में आ जाए, उतना ही जल्दी उपचार शुरू होना चाहिए. इसके दो प्रकार के इलाज होते हैं. यदि बच्चे के जन्म के तुरंत बाद इस बीमारी का पता चल जाए, तो प्लास्टर के माध्यम से उपचार किया जा सकता है. बच्चे को प्रत्येक सप्ताह अस्पताल लाकर प्लास्टर लगाया जाता है, जिससे उसका पैर जल्दी ठीक हो जाता है या बच्चे को विशेष प्रकार के जूते पहनने के लिए दिए जाते हैं. क्लबफुट की पहचान होते ही बच्चे को तुरंत किसी सरकारी या गैर सरकारी हड्डी रोग विशेषज्ञ को दिखाना चाहिए, जो इसका सही उपचार कर सकते हैं. वहीं सरकारी अस्पताल में केवल पर्चा कटवाना पड़ता है, जिसके बाद इसका इलाज फ्री में होता है.
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FIRST PUBLISHED :
September 22, 2024, 12:03 IST