प्रयागराज में किन्नर अखाड़े का पहला महाकुंभ, 1 रुपये के सिक्के के लिए लाइन में लग रहे श्रद्धालु

4 hours ago 1
MahaKumbh 2025, MahaKumbh 2025 News, Kinnar Akhada Image Source : PTI एक श्रद्धालु को आशीर्वाद देते किन्नर अखाड़े के सदस्य।

महाकुम्भनगर: उत्तर प्रदेश के प्रयागराज में जारी महाकुम्भ में किन्नर अखाड़े में भारी संख्या में श्रद्धालु आशीर्वाद लेने के लिए पहुंच रहे हैं। किन्नर वर्ग के लिए 10 साल पहले ‘अखाड़ा’ रजिस्टर्ड कराने के दौरान समुदाय को कड़े विरोध का सामना करना पड़ा था, लेकिन उनका आशीर्वाद लेने पहुंची रही श्रद्धालुओं की भीड़ ने उम्मीद जगाई है कि आखिरकार समाज उन्हें स्वीकार करेगा। किन्नर समुदाय के 3 हजार से भी ज्यादा लोग अखाड़े में रह रहे हैं और संगम में डुबकी लगा रहे हैं। इनमें अधिकांश लोग ऐसे हैं जिनके परिवार ने उन्हें छोड़ दिया था।

‘...तो हमारे धर्म को लेकर सवाल उठाए गए’

खुद की पहचान महिला के रूप में करने वालीं किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर पवित्रा नंदन गिरि ने कहा कि समाज ने हमेशा किन्नरों का तिरस्कार किया है। उन्होंने कहा,‘हमें हमेशा से हीन भावना से देखा जाता रहा है। जब हमने अपने लिए अखाड़ा रजिस्टर्ड कराना चाहा, तो हमारे धर्म को लेकर सवाल उठाए गए। हमसे पूछा गया कि हमें इसकी क्या जरूरत है? विरोध के बावजूद, हमने 10 साल पहले इसे रजिस्टर्ड कराया और यह हमारा पहला महाकुम्भ है।’ अखाड़े ऐसी संस्थाएं हैं जो विशिष्ट आध्यात्मिक परंपराओं और प्रथाओं के तहत संतों (तपस्वियों) को एक साथ लाती हैं।

Image Source : PTI

महाकुंभ में किन्नर अखाड़े के शिविर का द्वार।

‘आज हम भी संगम में डुबकी लगा सकते हैं’

पवित्रा नंदन गिरि ने कहा,‘आज हम भी संगम में डुबकी लगा सकते हैं, अन्य अखाड़ों की तरह शोभा यात्रा निकाल सकते हैं और अनुष्ठान कर सकते हैं। अखाड़े में भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं और हमारा आशीर्वाद लेने के लिए लंबी कतार लग रही है। उम्मीद है कि समाज में भी हमें स्वीकारा जाएगा।’ नर्सिंग ग्रेजुएशन कर चुकीं गिरि ने कहा कि जैसा कि कई ट्रांसजेंडर लोगों के साथ होता है उसी तरह उनके परिवार ने भी उन्हें छोड़ दिया। उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए जीवन कठिन है। बचपन में मैं अपने भाई-बहनों के साथ खेलती थी, इस बात से अनजान कि मैं उनमें से नहीं हूं।’

किन्नर अखाड़ा महाकुम्भ में 14वां अखाड़ा

किन्नर अखाड़े की महामंडलेश्वर ने कहा, ‘एक बार जब मुझे पता चला तो सभी ने मेरे साथ ऐसा व्यवहार किया जैसे मैं हीन या अछूत हूं। मैंने अपनी शिक्षा भी पूरी की, लेकिन फिर भी भेदभाव का दंश झेलना पड़ा।’ अखिल भारतीय किन्नर अखाड़ा महाकुम्भ में 14वां अखाड़ा है। महाकुम्भ में 13 अखाड़ों को 3 समूहों में बांटा गया है, संन्यासी (शैव), बैरागी (वैष्णव) और उदासीन। प्रत्येक अखाड़े को कुछ अनुष्ठानों के लिए विशिष्ट समय दिया जाता है। जूना अखाड़ा 13 अखाड़ों में सबसे पुराना और सबसे बड़ा है।

‘किन्नर आशीर्वाद देता है तो इसे शुभ माना जाता है’

महामंडलेश्वर लक्ष्मीनारायण त्रिपाठी ने कहा कि महाकुम्भ में उनके साथ अन्य संतों जैसा ही व्यवहार किया जाता है। उन्होंने कहा,‘हम प्रार्थना में भाग ले रहे है, भजन गा रहे हैं और यज्ञ कर रहे हैं। लोग हमसे एक रुपये के सिक्के लेने के लिए कतार में खड़े हैं। जब कोई किन्नर आशीर्वाद देता है तो इसे शुभ माना जाता है। हालांकि यह बात सभी लोग जानते हैं फिर भी समाज हमें स्वीकार करने से कतराता है। अखाड़े ने अब आध्यात्मिकता के हमारे अधिकार को पुख्ता कर दिया है।’ बता दें कि किन्नर अखाड़े में लोग दक्षिणा देकर अपने जीवन में सुख और समृद्धि लाने के लिए आशीर्वाद के रूप में एक रुपये का सिक्का ले जाते हैं। (भाषा)

Latest India News

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article