आजमगढ़: जिले के बड़ैला ताल को एक महत्वपूर्ण प्राकृतिक धरोहर और क्षेत्रवासियों के लिए आजीविका का प्रमुख साधन माना जाता है. सदर तहसील में स्थित यह ताल लगभग 2,222 एकड़ में फैला है और आसपास के गांवों के लिए जल का मुख्य स्रोत है. माना जाता है कि यह ताल कभी सूखता नहीं है और यहां बड़ी मात्रा में कमल के फूलों की खेती होती है, जो पूरे क्षेत्र और अन्य जिलों में भी बिकते हैं.
आजमगढ़ के मेंहनगर थाना क्षेत्र में स्थित यह ताल गोरखपुर के रामगढ़ ताल से भी बड़ा है और क्षेत्रवासियों के जीवन का अभिन्न हिस्सा है. यहां उगने वाले कमल के फूलों की सबसे अधिक मांग बनारस की मंडियों में होती है. कुकुरही, भीटी शाहखजुरा, ऊंजी, और विजयीपुर जैसे गांवों के लोग इस फूल के व्यापार से जुड़े हैं. ताल के कमल के फूल इन गांवों के लोगों के लिए रोज़गार का प्रमुख स्रोत हैं, जिससे इनकी रोजी-रोटी चलती है और जिले का नाम भी रोशन होता है.
कमल के फूल की उच्च गुणवत्ता
काशी विश्वनाथ मंदिर से लेकर बनारस के अन्य प्रमुख मंदिरों में चढ़ाए जाने वाले कमल के फूल ज्यादातर बड़ैला ताल से ही आते हैं. बनारस की फूल मंडियों में बिकने वाले कमल के फूल भले ही “बनारसी” कहे जाते हों, लेकिन उनकी असली पैदाइश आजमगढ़ के बड़ैला ताल से होती है. स्थानीय लोगों का कहना है कि यहां कमल के फूलों की पैदावार अच्छी होती है, जो आस-पास के बाजारों में धड़ल्ले से बिकती है.
कमलगट्टे की खेती से दोगुना लाभ
कमल के फूलों के साथ-साथ, ताल में कमलगट्टे भी पैदा होते हैं, जो किसानों के लिए अतिरिक्त लाभ का साधन होते हैं. कमल के फूल के सूखने पर उसमें से निकला बीज, जिसे कमलगट्टा कहा जाता है, एक प्रकार का काला बीज होता है. इसकी बनावट गोली के आकार की होती है और यह दुकानों पर आसानी से मिल जाता है. खास बात यह है कि कमलगट्टे की विशेष खेती कहीं नहीं की जाती, यह बड़े तालों में खुद से पैदा होता है. किसान कमल के फूलों को ताल से निकालकर सुखाते हैं और फिर उनमें से कमलगट्टे निकालते हैं, जिससे उनकी आय दोगुनी हो जाती है.
बड़ैला ताल: प्राकृतिक सौंदर्य और आर्थिक संपन्नता का संगम
बड़ैला ताल न सिर्फ प्राकृतिक सुंदरता का प्रतीक है, बल्कि इसके कमल के फूल और कमलगट्टे क्षेत्रवासियों के लिए समृद्धि का द्वार भी खोलते हैं.
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FIRST PUBLISHED :
October 22, 2024, 11:40 IST