Agency:News18 Jharkhand
Last Updated:February 07, 2025, 14:19 IST
हजारीबाग के रवीश कुमार ने अपने घर की छत पर इजराइली हाइड्रोपोनिक तकनीक से खेती शुरू की, जिससे 80% कम पानी में ऑर्गेनिक सब्जियां उगाई जा सकती हैं.
पौधों के साथ रवीश कुमार
हाइलाइट्स
- रवीश कुमार ने हाइड्रोपोनिक खेती शुरू की.
- हाइड्रोपोनिक खेती में 80% कम पानी लगता है.
- हाइड्रोपोनिक खेती में मिट्टी की जगह पानी का उपयोग होता है.
हजारीबाग. बदलते आधुनिकता के दौर में खेती में भी कई महत्वपूर्ण शोध किए गए हैं. नई-नई विधि से उपज को बढ़ाया जा रहा है. खेती अब लोगों का शौक भी बनती जा रही है. लोग अपने घरों की छत के ऊपर भी गार्डनिंग के साथ साथ सब्जियों की खेती कर रहे हैं. ऐसे ही हजारीबाग के सुभाष नगर के रहने वाले रवीश कुमार भी बाग बगीचों के काफी शौकीन हैं. जिन्होंने अपने घर की छत के ऊपर इजराइली खेती की तकनीक हाइड्रोपोनिक के माध्यम से खेती की है. रवीश कुमार दूसरे लोगो को भी हाइड्रोपोनिक खेती की शिक्षा दे रहे हैं.
क्या होती है हाइड्रोपोनिक खेती
हाइड्रोपोनिक विधि खेती की एक नई विधि है. इसे इजराइल में डेवलप किया गया है. इस विधि में पौधों को मिट्टी के बजाय पानी के ऊपर उगाया जाता है. जिसमें एक पाइप छेद बनाकर उसमें कोकोपीट के सहारे से पौधे को खड़ा रखा जाता है. कोकोपीट जीरो न्यूट्रीशन वैल्यू का सब्सटेंस है. पौधों को सभी प्रकार के पोषक तत्व पानी में दिए जाते हैं. इस सेटअप को इस प्रकार से तैयार किया जाता है कि पाइप में पानी 24 रोटेशन में रहे. इस सामान्य कृषि से 80 प्रतिशत कम पानी की खपत होती है.
कैसे हुई शुरुआत
लोकल 18 झारखंड से बातचीत करते हुए रवीश कुमार ने बताया कि कोरोना के समय पूरा देश घर में बंद था. उस समय ही पहली बार यूट्यूब पर हाइड्रोपोनिक फार्मिंग के बारे में जाना. लगातार इंटरनेट पर इससे संबंधित वीडियो देखें और आर्टिकल्स पढ़ने के बाद मन में एक इच्छा यह हुई क्यों ना इसे घर पर ट्राई भी किया जाए. फिर छत पर ही इसका छोटा सेट अप जुगाड़ से बनाया. हालांकि जुगाड़ तकनीक से सेटअप बनाने में परेशानी तो आई लेकिन काम बन निकला.
पहली बार पालक की खेती
उन्होंने आगे बताया कि सेटअप तैयार करने के बाद पहली बार उन्होंने अपने सेटअप में पालक की खेती की थी, जिससे उन्हें अच्छी उपज मिली थी. धीरे-धीरे उन्होंने शिमला मिर्च, फूलगोभी, ब्रोकली, करेला, मिर्च, टमाटर जैसी अन्य सब्जियों को भी इस विधि से उगाना शुरू किया. इस वर्ष उन्होंने बंदगोभी, करेला, शिमला मिर्च और स्ट्रॉबेरी की खेती हाइड्रोपोनिक विधि से की है.
हाइड्रोपोनिक विधि से खेती विज्ञान का एक अद्भुत नमूना है, जहां खेती पानी के माध्यम से की जाती है. इस विधि में सभी पौधों की जड़ों को विकसित होते हुए देखा जा सकता है. यह उन लोगों के लिए सबसे अधिक कारगर है, जो घरों की छतों पर खेती करना चाहते हैं. इसके माध्यम से लोग अपने दैनिक उपभोग में आने वाली सब्जियों का उत्पादन स्वयं कर सकते हैं.
रवीश कुमार कहते हैं कि यह खेती का एक बेहतरीन मॉडल है. इसके माध्यम से हम कम पानी का उपयोग करते हुए खेती कर सकते हैं, जिसमें सामान्य खेती की तुलना में 80 प्रतिशत तक कम पानी की आवश्यकता होती है. हाइड्रोपोनिक खेती में पौधों को मिट्टी से मिलने वाले पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं, इसलिए पानी में ही उनके विकल्प (अल्टरनेटिव) मिलाए जाते हैं, जिससे पौधों का सही विकास हो सके. इस विधि को सीखना बेहद जरूरी है, क्योंकि अगर पोषक तत्वों में हल्का भी हेरफेर हुआ तो पौधा ठीक से नहीं बढ़ेगा या मर जाएगा.
सुबह और शाम सिर्फ 10-10 मिनट
उन्होंने आगे बताया कि शुरुआती समय में उन्हें इस खेती में अधिक समय देना पड़ता था, लेकिन अब वह रोजाना सुबह और शाम केवल 10-10 मिनट देते हैं. इस खेती में सबसे जरूरी यह है कि पानी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच हो और साथ ही मिट्टी में मिलने वाले 14 प्रकार के पोषक तत्व पौधों को पर्याप्त मात्रा में मिलें. इस विधि में वह किसी भी प्रकार के कीटनाशक और रासायनिक खाद का प्रयोग नहीं करते, जिससे यह एक प्रकार का ऑर्गेनिक फार्मिंग का नमूना बन जाता है. इसके जरिए वह अपने घर में उपयोग होने वाली अधिकांश सब्जियों का उत्पादन कर लेते हैं.
हाल के वर्षों में लोग ऑर्गेनिक फार्मिंग से उगाई गई फसलों को अधिक पसंद कर रहे हैं. यदि इस प्रकार की खेती को बड़े पैमाने पर किया जाए, तो इससे लोगों को ऑर्गेनिक सब्जियां उपलब्ध कराने के साथ-साथ किसानों की अच्छी कमाई भी हो सकती है.
Location :
Hazaribagh,Jharkhand
First Published :
February 07, 2025, 14:19 IST
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