Last Updated:February 07, 2025, 13:02 IST
Bihar Bahubali News: एक यूट्यूब चैनल के इंटरव्यू में अशोक महतो कहता है, 'जितना भूमिहार मरा है, सब केस हमरे ऊपर हो रहा है. हमको खुदे नहीं पता कितना केस है. इस एरिया में जितना कांड हुआ होगा,सब हमरे ऊपर होगा.'
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अशोक महतो पर कई मामले हैं दर्ज.
हाइलाइट्स
- अशोक महतो नवादा जेल ब्रेक कांड का था आरोपी.
- अशोक महतो पर कई हत्याओं के मुकदमे दर्ज हैं.
- अशोक महतो भूमिहारों का मानता है अपना दुश्मन.
पटनाः बिहार की धरती का रंग अगर लाल होता तो ये रंग खून का होता. क्योंकि इतना खून बहा है यहां की मिट्टी पर की उसका हिसाब लगाना नामुमकिन है. कभी आपसी तो कभी जातीय गैंगवार. बिहार में अगर कभी जाति विशेष टकराव का जिक्र होता है तो सबसे पहला नाम जो हर किसी की जुबां पर आता है, वो नाम है अशोक महतो का. अशोक महतो को किसी पहचान की जरूरत नहीं है. एक दौर था जब बिहार के भूमिहारों के खिलाफ अशोक महतो ने खुलकर बंदूक चलाई थी. अशोक महतो साल 2001 में हुए नवादा जेल ब्रेक कांड में 17 साल की सजा काट चुके हैं. अशोक महतो बिहार के नवादा, शेखपुर, लखीसराय और नालंदा सहित पांच जिलों में कभी आतंक का पर्याय माना जाता था. अशोक महतो की गिनती बिहार के उन चुनिंदा अपराधियों में होती है, जिनके ऊपर जेल ब्रेक से लेकर नरसंहार तक के आरोप हैं.
‘भूमिहार से हमारा लड़ाई चलता रहेगा’
एक यूट्यूब चैनल के इंटरव्यू में अशोक महतो कहता है, ‘जितना भूमिहार मरा है, सब केस हमरे ऊपर हो रहा है. हमको खुदे नहीं पता कितना केस है. इस एरिया में जितना कांड हुआ होगा,सब हमरे ऊपर होगा. अभी कुछ नहीं पता. यही बात हम डीआईजी को भी बोले थे. राज्यवर्धन शर्मा थे, वो भी पूछे थे. हमने कहा कि जितना बाभन मरे हैं, वो सब केस हमरे ऊपर है. भूमिहार के बारे में भी वही बोलें. डीआईजी थे भागलपुर के राज्यवर्धन शर्मा उस समय. वो हमसे पूछे कि केस कितना है तो हम बोले कि हमको क्या मालूम कि कितना केस है. आपके पास तो कागज होगा ही ना. भूमिहा से हमार लड़ाई ही चलता है. तो हम उससे थोड़े डरेंगे. भूमिहार से लड़ाई चलता है और चलता ही रहेगा. वो जाती ही ऐसी है. जनेऊ धरता है सब एकमुश्त हो जाते हैं.’
90 के दशक में अशोक महतो की गैंग और अखिलेश सिंह के गैंग का था टक्कर
अशोक महतो नवादा जिले के बढ़ौना गांव का रहने वाला है. अशोक महतो 90 के दशक में लाइम लाइट में आया, जब सूबे में जातीय उन्माद और नरसंहार का गवाह बन रहा था. गरीबों को हक दिलाने के नाम पर अशोक महतो के खिलाफ कई केस दर्ज हुए. 90 के दशक में नवादा में दो गैंग थे. एक गैंग था अखिलेश सिंह का और दूसरा गैंग था अशोक महतो का. दोनों के बीच वर्चस्व की लड़ाई रही और खूब हत्याएं हुईं. इन दोनों गैंग के बीच सबसे पहले भुआलचक में नरसंहार हुआ था. साल 2000 के मई में अपसढ़ नरसंहार हुआ था, जिसमें 12 लोगों की हत्या की गई थी.
साल 2006 में तत्कालीन एसपी अमित लोढ़ा ने झारखंड से पकड़ा था
ऐसा कहा जाता है कि अशोक महतो की टीम ने अखिलेश सिंह के गैंग पर हमला किया और एक साथ एके-47 से करीब दर्जन भर लोगों की हत्या कर दी गई. साल 2003 में झौर मोड़ नरसंहार हुआ था, जिसमें एक जीप पर अंधाधुंध फायरिंग हुई थी, जिसमें पांच लोग मारे गए थे. वहीं विधायक अरुणा देवी के पिता की भी हत्या हुई थी. साल 2002 में नवादा जेल ब्रेक कांड हुआ और अशोक महतो फरार हो गया. हालांकि साल 2006 में शेखपुरा के तत्कालीन एसपी अमित लोढ़ा ने 9 जुलाई 2006 को देवघर स्थित सत्संग कालोनी से अशोक महतो को गिरफ्तार कर लिया था.
First Published :
February 07, 2025, 13:02 IST