बेसहारों का मसीहा हैं यूपी के अब्दुल, लावारिश लाशों का करते हैं अंतिम संस्कार

2 hours ago 1

Agency:News18 Uttar Pradesh

Last Updated:February 04, 2025, 11:28 IST

जब भी सुल्तानपुर के समाजसेवियों के नाम का जिक्र होता है तब अब्दुल हक का नाम बेहद सम्मान से लिया जाता है, क्योंकि अब तक इन्होंने कई बेसहारा और गरीब लोगों की मदद की है. लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार करवाया है.

X

लावारिश

लावारिश लाश का अंतिम संस्कार करते अब्दुल हक 

अगर दिल में हौसला और जुनून हो तो कोई भी आदमी किसी भी काम को आसानी से कर सकता है. इसी का उदाहरण पेश किया है सुल्तानपुर के रहने वाले अब्दुल ने, जिन्होंने अब तक 98 से अधिक लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया है. जो अलग-अलग धर्म के लोगों की लाशें हैं. इसके अलावा अब्दुल ने समाज सेवा के रूप में कोरोना काल के बाद से ही पीड़ित बच्चियों और तेजाब से पीड़ित लोगों की मदद करवाने या फिर गंभीर रूप से किसी बीमारी से ग्रसित लोगों की मदद करवाने के लिए संघर्ष करते रहते हैं, तो आइए जानते हैं क्या है सुल्तानपुर के अब्दुल की कहानी.

खाड़ी देशों में फंसे लोगों की करते हैं मदद 

भारत के ग्रामीण क्षेत्रों से बहुत युवा रोजी-रोटी के लिए खाड़ी देश में जाते हैं, लेकिन कई बार ऐसा होता है कि कुछ लोगों के जालसाजी का वह शिकार हो जाते हैं और खाड़ी देशों में फंस जाते हैं. ऐसे युवाओं को वहां से निकलने के लिए अब्दुल, मंत्रालय तक संघर्ष करते हैं और उनको पुनः अपने देश वापस लाने में मदद करते हैं. कादीपुर, सुल्तानपुर के रहने वाले अब्दुल अब तक 220 लोगों को लाने में सफलता भी पा चुके हैं.

लावारिश लाशों के अंतिम संस्कार की निभाते हैं जिम्मेदारी 

प्रायः यह देखने को मिलता है कि बहुत से ऐसे लोग होते हैं जिनकी मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार करने वाला कोई नहीं होता. ऐसे में अब्दुल मानवीयता दिखाते हुए लावारिस लाशों के अंतिम संस्कार की जिम्मेदारी संभालते हैं. अब तक अब्दुल ने 98 लावारिस लाशों का अंतिम संस्कार किया है. अंतिम संस्कार के दौरान अब्दुल इस बात का ध्यान नहीं रखते कि यह लाश कौन और किस धर्म से संबंधित है, बल्कि वे अपने कर्तव्य को बखूबी निभाते हैं.

समाज सेवी के रूप में है पहचान 

जब-जब सुल्तानपुर के समाज सेवियों के नाम का जिक्र होता है तब तब अब्दुल हक का नाम जरूर लिया जाता है. आपको बता दें कि अब्दुल हक ने समाजसेवी के रूप में अपनी एक अलग पहचान बनाई है और धर्म और जात से प्रभावित हुए बिना समाज सेवा को अंतिम रूप दिया है.

वर्ष 2015 से शुरू हुआ समाज सेवा का सफर

अब्दुल हक ने लोकल 18 से बातचीत के दौरान बताया कि उनका समाज सेवा का सफर वर्ष 2015 से शुरू हुआ. मिठनेपुर के हौसिला प्रसाद की पत्नी कैंसर से पीड़ित थीं. लोगों के सहयोग से उनका इलाज शुरू कराया. दो साल बाद दंपति की मौत होने के बाद उनकी बेटी की शादी धूमधाम से कराई. इस घटना के बाद उन्होंने सेवा को अपना मार्ग बना लिया.

Location :

Sultanpur,Sultanpur,Uttar Pradesh

First Published :

February 04, 2025, 11:28 IST

homeuttar-pradesh

बेसहारों का मसीहा हैं यूपी के अब्दुल, लावारिश लाशों का करते हैं अंतिम संस्कार

*** Disclaimer: This Article is auto-aggregated by a Rss Api Program and has not been created or edited by Nandigram Times

(Note: This is an unedited and auto-generated story from Syndicated News Rss Api. News.nandigramtimes.com Staff may not have modified or edited the content body.

Please visit the Source Website that deserves the credit and responsibility for creating this content.)

Watch Live | Source Article