Last Updated:February 06, 2025, 17:50 IST
Science News: वैज्ञानिकों ने फंगस की एक ऐसी प्रजाति का पता लगाया है जो मकड़ियों के दिमाग पर कंट्रोल करके उन्हें 'जॉम्बी' जैसा बना देता है. यह खोज उत्तरी आयरलैंड के एक बंद पड़े स्टोर रूम में की गई.
हाइलाइट्स
- वैज्ञानिकों ने नया फंगस खोजा है जिसका नाम Gibellula attenboroughii रखा.
- आयरलैंड और वेल्स में मिला यह फंगस मकड़ियों को 'जॉम्बी' बना देता है.
- फंगस मकड़ियों के दिमाग पर नियंत्रण कर उन्हें संक्रमित करता है.
Zombie Fungus In Spider: वैज्ञानिकों ने हाल ही में एक नया फंगस खोजा है जो किसी हॉरर मूवी से कम नहीं लगता. यह फंगस उत्तरी आयरलैंड के एक बंद पड़े गनपाउडर स्टोरेज रूम की छत पर मिला. यह एक अभागी मकड़ी के शरीर में गहराई से घुसा हुआ था. जब पहली बार बीबीसी की डॉक्यूमेंट्री टीम ने इसे देखा, तो वे हैरान रह गए. एक बड़ी अजीब सी चीज, जैसे कोई एलियन जीव हो, एक मकड़ी की लाश पर फैली हुई थी. जब इसे एक्सपर्ट्स के पास भेजा गया तो उन्होंने इसकी पहचान फंगस की एक नई प्रजाति के रूप में की. इसका नाम Gibellula attenboroughii रखा गया है.
मकड़ियों पर कैसे हमला करता है यह फंगस?
यह फंगस गुफा में रहने वाली दो विशेष प्रकार की मकड़ियों को संक्रमित करता है:
- ऑर्ब-विविंग केव स्पाइडर (Metellina merianae)
- यूरोपियन केव स्पाइडर (Meta menardi)
इन मकड़ियों की खासियत होती है कि वे आमतौर पर अपनी जाल के पास छुपकर बैठती हैं और अचानक शिकार पर हमला करती हैं. लेकिन जब ये मकड़ियां इस फंगस का शिकार बनती हैं, तो उनका व्यवहार अजीब तरीके से बदल जाता है.
संक्रमित मकड़ियां अपने स्वभाव के विपरीत खुली जगहों की ओर बढ़ने लगती हैं, खासतौर पर गुफाओं की छतों पर. यह बहुत कुछ ब्राजील के वर्षावनों में पाए जाने वाले Ophiocordyceps फंगस से मिलता-जुलता है, जो चींटियों को संक्रमित कर उनके दिमाग को हाइजैक कर लेता है और उन्हें ‘जॉम्बी’ बना देता है.
कैसे फैलता है यह फंगस?
वैज्ञानिकों का मानना है कि जब मकड़ी गुफा की छत पर पहुंचती है और मर जाती है, तो फंगस का असली खेल शुरू होता है. यह मकड़ी के शरीर से उगने लगता है, और उसकी सतह से सूक्ष्म बीजाणु (spores) छोड़ने लगता है. हवा में बहते हुए ये बीजाणु अन्य मकड़ियों तक पहुंचते हैं और उन्हें संक्रमित कर देते हैं. धीरे-धीरे, गुफा के अन्य हिस्सों में यह संक्रमण फैलने लगता है. रिसर्चर्स ने पाया कि यह फंगस अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग रूप लेता है.
गनपाउडर स्टोरेज रूम में हवा का बिल्कुल भी मूवमेंट नहीं था, इसलिए फंगस ने कॉलम जैसी संरचना बना ली. प्रकाश की गैरमौजूदगी में इसका रंग बिल्कुल फीका पड़ गया. गुफाओं में हल्की हवा और फैलने लायक रोशनी थी. इस वजह से फंगस ने बीजाणुओं की लंबी श्रृंखला नहीं बनाई, बल्कि वे हवा के साथ बहकर फैल गए.
इस फोटो में आप तीन अलग-अलग M. merianae मकड़ियों पर उगते फंगस को देख सकते हैं. A उत्तरी आयरलैंड के टुलीबेलकू ग्राउंड ब्रिज में एक गुफा की छत पर है. B आयरलैंड में व्हाइटफादर की गुफाओं में है. C वेल्स में विर्नवी झील में काई पर है. (Evans et al., Fungal Systematics and Evolution, 2025)
इस खोज के बाद वैज्ञानिकों को शक हुआ कि इसी प्रकार का फंगस वेल्स में भी मौजूद हो सकता है. वेल्स में कोई गुफाएं नहीं हैं, लेकिन वहां की मकड़ियां चट्टानों की दरारों और पेड़ की काई (moss) में संक्रमित पाई गईं. इससे यह संकेत मिलता है कि फंगस नई परिस्थितियों के हिसाब से अपना व्यवहार बदल सकता है.
अभी तक इस फंगस के बारे में कोई सबूत नहीं मिला है कि यह इंसानों को संक्रमित कर सकता है. चूंकि इसकी हरकतें Ophiocordyceps जैसे फंगस से मिलती हैं, जो कीड़ों के व्यवहार को बदलने की क्षमता रखते हैं. इसीलिए वैज्ञानिक इसका बारीकी से अध्ययन कर रहे हैं.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
February 06, 2025, 17:50 IST