Last Updated:February 12, 2025, 11:14 IST
हाल ही में वैज्ञानिकों ने बताया है कि धरती के अंदर हलचल हो रही है. इस हलचल के बारे में उन्होंने जो कुछ भी बताया, वो काफी हैरान करने वाला है. तो फिर इस हलचल का इंसानों पर क्या असर होगा?
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धरती के इनर कोर में बदलाव हो रहा है! (फोटो: Canva)
हाइलाइट्स
- धरती के अंदर कोर का आकार बदल रहा है
- कोर के बदलाव से धरती पर जीवन खत्म हो सकता है
- इस प्रक्रिया में करोड़ों साल लगेंगे
इंसान अलग-अलग ग्रहों पर जाने की कोशिश कर रहा है, ब्रह्मांड को जानना चाहता है, पर क्या इंसानों ने पूरी तरह से अपनी धरती को जान लिया है? हम धरती के ऊपर रहते हैं, पर उसके बहुत अंदर, उसके गर्भ में भी एक अलग दुनिया है. हाल ही में वैज्ञानिकों ने बताया है कि धरती के अंदर हलचल हो रही है. इस हलचल के बारे में उन्होंने जो कुछ भी बताया, वो काफी हैरान करने वाला है. तो फिर इस हलचल का इंसानों पर क्या असर होगा?
ये तो हमने आपको काफी आसान शब्दों में बता दिया, पर अब हम आपको थोड़ा वैज्ञानिक तौर पर समझातें हैं कि आखिर चल क्या रहा है! बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार कुछ वैज्ञानिकों का कहना है कि धरती के अंदरूरनी कोर का आकार पिछले 20 सालों में बदल गया है. यूनिवर्सिटी ऑफ सदर्न कैलिफोर्निया के प्रोफेसर जॉन विडाल और उनकी टीम द्वारा की गई रिसर्च में कहा गया है कि धरती का कोर गेंद के आकार का होता है, पर 20 साल में उसके कोने 100 मीटर तक अपना आकार बदल चुके हैं.
इनर कोर के आकार में आ रहा है बदलाव
धरती के कोर को ग्रह का दिल माना जा सकता है जो इतना ज्यादा गुरुत्वाकर्षण बल पैदा करता है, जिसकी मदद से सूर्य की रेडिएशन से धरती बच जाती है. अंदरूनी कोर अपने आप स्पिन करता है. अगर ये मोशन न हो तो धरती का भी हाल मार्स जैसा हो जिसकी मैगनेटिक फील्ड करोड़ों साल पहले खत्म हो चुकी थी. वैज्ञानिकों का मानना है कि इनर कोर के आकार में बदलाव वहां हो रहा होगा, जहां पर अंदरूरी सॉलिड कोर, बाहरी मेटल कोर से मिलता है जो लिक्विड फॉर्म में है.
क्या होता है कोर?
ये रिसर्च नेचर जियोसाइंस नाम की जर्नल में छपा है. वैज्ञानिक ये जानने की कोशिश कर रहे थे कि अंदरूनी कोर क्यों धीरे हो गया है. आपको जानकर हैरानी होगी कि धरती के अंदर का हिस्सा बहुत रहस्यमयी है. ये कोर धरती की सतह से 6437 किलोमीटर नीचे है. काफी कोशिशों के बाद भी वैज्ञानिक धरती के उतनी अंदर नहीं जा पाए हैं. इस रहस्य को समझने के लिए वैज्ञानिक भूकंप के कारण उठे शॉक वेव को समझने की कोशिश करते हैं. इन शॉकवेव की मदद से वैज्ञानिक समझने की कोशिश करते हैं कि ये किस-किस तरह के मटीरियल से होकर गुजर रहे हैं.
इस वजह से आ सकता है बदलाव
वैज्ञानिकों ने 1991 से 2023 के बीच एक ही लोकेशन पर उठे भूकंप के दौरान बनने वाली सेस्मिक वेव पैटर्न का अध्ययन किया, जिससे उन्होंने पता लगाया कि अंदरूनी कोर में समय के साथ बदलाव आ रहा है. उन्हें कई ऐसे सबूत मिले जिससे पता चला कि इनर कोर के घूमने की गति 2010 के आसपास से धीमी हो गई थी. पर उसी समय उन्हें ये भी पता चला कि अंदरूनी कोर का आकार भी बदल रहा है. वैज्ञानिकों का मानना है कि ये उस जगह पर हो रहा है जहां पर अंदरूनी कोर और आउटर कोर आपस में मिलते हैं. इस जगह पर इनर कोर मेल्टिंग पॉइंट के काफी पास होता है. वैज्ञानिकों ने ये भी बताया कि आउटर कोर के लिक्विड का फ्लो और असंतुलित ग्रैविटी फील्ड इस बदलाव का कारण हो सकते हैं.
इंसानों पर क्या होगा असर?
अब सवाल ये भी उठता है कि इसका असर इंसानों पर क्या होगा. वैज्ञानिकों ने बताया कि समय के साथ जो लिक्विड स्टेट में बाहरी कोर है, वो भी जम जाएगा और सॉलिड में तब्दील हो जाएगा, और इसका अर्थ ये होगा कि धरती पर जीवन खत्म हो जाएगा. पर ये प्रोसेस इतनी जल्दी नहीं होगा, इसे होने में करोड़ों साल लगेंगे, और मुमकिन है कि तब तक धरती, सूर्य में समा जाए.
First Published :
February 12, 2025, 11:14 IST
वैज्ञानिकों ने पृथ्वी से जुड़े रहस्य का किया खुलासा, इंसानों पर ऐसा होगा असर!