Last Updated:February 06, 2025, 17:59 IST
Surbhi Yog Mudra : योग में सुरभि मुद्रा विशेष है, जो याददाश्त और एकाग्रता बढ़ाती है. यह चार प्रकार की होती है. वायु, शून्य, पृथ्वी और जल. नियमित अभ्यास से इच्छा पूरी होती हैं.
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हाइलाइट्स
- सुरभि मुद्रा याददाश्त और एकाग्रता बढ़ाती है.
- सुरभि मुद्रा के चार प्रकार: वायु, शून्य, पृथ्वी, जल.
- नियमित अभ्यास से इच्छाएँ पूरी होती हैं.
Surbhi Yog Mudra : योग मुद्राओं का हमारे जीवन में विशेष महत्व होता है. प्राचीन काल से ऋषि-मुनि, तपस्वी मुद्राओं की शक्ति के साथ अपने जीवन का निर्वहन करते थे. इन योग मुद्राओं को दैनिक जीवन में व्यक्तिगत रूप से सकारात्मक परिवर्तन के लिए जाना जाता है. यदि आपकी याददाश्त कमजोर है. जल्दी-जल्दी छोटी-छोटी बातों को आप भूल जाते हैं. आज हम आपको एक ऐसी मुद्रा के बारे में बता रहे हैं जिसे प्रतिदिन करने के पश्चात आपकी याददाश्त मजबूत हो जाएगी. आई विस्तार से जानते हैं सुरभि मुद्रा के बारे में.
सुरभि मुद्रा : सुरभि हिंदू पुराणों के अनुसार कामधेनु गाय की पुत्री का नाम है. यह हमारी किसी भी इच्छा की पूर्ति कर सकती है इसे धेनु मुद्रा, कामधेनु मुद्रा, गाय मुद्रा भी कहा जाता है.
सुरभि मुद्रा के प्रकार : सुरभि मुद्रा विभिन्न उंगलियों, अंगूठे की व्यवस्था के आधार पर चार प्रकार की होती है.
- वायु सुरभि मुद्रा : वायु सुरभि मुद्रा शरीर में वायु से संबंधित सभी समस्याओं को समाप्त करने में मदद करती है इसमें अंगूठे के सिरे से तर्जनी के आधार को छूते हैं. इस मुद्रा से पैरालिसिस जैसे गंभीर रोग से मुक्ति मिलती है.
- शून्य सुरभि मुद्रा : इस मुद्रा में आकाश तत्व का समावेशन होता है इसलिए यह शांत मन की ओर ले जाता है. इस मुद्रा में अंगूठे के सिरे से मध्यमा उंगली के आधार को छूते हैं. इस मुद्रा को करने से मानसिक शांति मिलती है एवं दिमागी रोगों से मुक्ति मिलती है.
- पृथ्वी सुरभि मुद्रा : इस मुद्रा में पृथ्वी तत्व का संयोजन होने से खांसी की समस्या कम होती है पाचन क्रिया मजबूत होती है. इसमें अंगूठे के सिरे से अनामिका उंगली के आधार को छूते हैं.
- जल सुरभि मुद्रा : इस मुद्रा में शरीर के अंदर ठंड का एहसास होता है. इसमें अंगूठे के सिरे से छोटी उंगली के आधार को छूते हैं. बात-बात पर गुस्सा करने वाले लोगों के लिए यह मुद्रा बहुत कारगर है.
सुरभि मुद्रा के लाभ : सुरभि मुद्रा चक्र में कब्ज अल्सर मधुमेह यानि शुगर की समस्याओं का समाधान होता है इस मुद्रा को करने में हमारी ऊर्जा एक जगह है संकलित होती है एवं जीवन में हमें शक्ति प्राप्त होती है. इस मुद्रा को नियमित रूप से अभ्यास करने से हमें सकारात्मक प्रभाव बढ़ता है और हमारी इच्छाओं की पूर्ति होती है. गायत्री मंत्र के साथ सुरभि मुद्रा करने से हमारे शरीर की आभा में वृद्धि होती है क्योंकि सुरभि मुद्रा तीसरी नेत्र चक्र से संबंधित है इसलिए इसे करने से हमारी याददाश्त और एकाग्रता शक्ति बढ़ती है.
समय : सुरभि मुद्रा सुबह की समय में करनी से हमारे मन और शरीर में सकारात्मक बढ़ती है इसे पूरा दिन अच्छा रहता है. शाम के समय इस मुद्रा को करने से मन शांत होता है और आरामदायक नींद प्राप्त होती है.
First Published :
February 06, 2025, 17:59 IST