हिमाचल के जंगलों में हर साल दहकती आग, बस्तियों तक मंडराता है खतरा, जानें वजह

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Agency:News18 Himachal Pradesh

Last Updated:February 01, 2025, 20:01 IST

हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में चीड़ के जंगलों में हर साल गर्मियों में आग लगती है. इससे लाखों की वन संपदा और वन्यजीवों को नुकसान होता है. सूखी टहनियां और घास आग को तेजी से फैलाती हैं. इंसानी लापरवाही और शरारती त...और पढ़ें

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फॉरेस्ट

फॉरेस्ट फायर 

हाइलाइट्स

  • हिमाचल के मंडी जिले में चीड़ के जंगलों में हर साल आग लग जाती है.
  • सुखी घास और टूटी टहनियां आग को तेजी से फैलाने में बड़ी भूमिका निभाती हैं.
  • इंसानी लापरवाही और शरारती तत्वों के कारण भी जंगलों में आग लगती है.

मंडी: हिमाचल प्रदेश के मंडी जिले में फैले चीड़ के घने जंगल पर्यावरण के लिए जितने जरूरी हैं, उतने ही खतरनाक भी साबित हो रहे हैं. हर साल गर्मियों में इन जंगलों में फॉरेस्ट फायर (जंगल की आग) की घटनाएं सामने आती हैं, जिससे न सिर्फ लाखों की वन संपदा नष्ट होती है बल्कि पर्यावरण भी बुरी तरह प्रभावित होता है. आग से उठने वाले धुएं से हवा की गुणवत्ता गिरती है और इसका सीधा असर इंसानी जीवन पर भी पड़ता है.

विशेषज्ञों के अनुसार चीड़ के जंगलों में आग लगने के पीछे कई कारण होते हैं. इन जंगलों में चीड़ के पेड़ों की टहनियां टूटकर जमीन पर गिर जाती हैं और सुख जाती हैं. स्थानीय भाषा में इसे “चलारू” कहा जाता है, जो बहुत ही ज्वलनशील होती है. गर्मियों में जरा सी चिंगारी भी इस घास को आग में बदल सकती है और फिर यह आग जंगल के बड़े हिस्से को अपनी चपेट में ले लेती है. कई बार बिजली गिरने से भी आग लग जाती है, जिसे रोक पाना नामुमकिन होता है.

इस वजह से लगती है आग
पर्यावरण प्रेमी नरेंद्र सैनी का कहना है कि चीड़ के जंगल पर्यावरण के लिए ज्यादा लाभकारी नहीं होते, बल्कि कई बार यह नुकसानदायक साबित होते हैं. उन्होंने बताया कि बिजली गिरने से लगने वाली आग को रोका नहीं जा सकता, लेकिन इंसानी लापरवाही से लगने वाली आग को जरूर रोका जा सकता है. कई बार लोग जंगल में लापरवाही से बीड़ी-सिगरेट या जलती लकड़ी फेंक देते हैं, जिससे आग भड़क जाती है. इसके अलावा, कुछ शरारती तत्व भी जंगलों में जानबूझकर आग लगा देते हैं, जिससे भारी नुकसान होता है.

वन्यजीवों और इंसानी बस्तियों को भी खतरा
फॉरेस्ट फायर न सिर्फ जंगलों को नष्ट करती है बल्कि यहां रहने वाले वन्यजीवों के लिए भी जानलेवा साबित होती है. हर साल इस आग में कई निर्दोष पक्षी और जानवर जलकर मर जाते हैं. कुछ मामलों में जंगल की आग इंसानी बस्तियों तक भी पहुंच जाती है, जिससे स्थानीय लोगों की सुरक्षा पर भी खतरा मंडराने लगता है.

क्या है समाधान ?
नरेंद्र सैनी के अनुसार जंगल की आग से बचने के लिए लोगों को जागरूक करने की जरूरत है. सरकार को भी जंगलों में फायर ब्रेकिंग जोन बनाने और आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करने पर जोर देना चाहिए, ताकि समय रहते आग पर काबू पाया जा सके. अगर लोग थोड़ी सतर्कता बरतें और वन विभाग के दिशा-निर्देशों का पालन करें, तो इस आपदा से बचा जा सकता है.

Location :

Shimla,Himachal Pradesh

First Published :

February 01, 2025, 20:01 IST

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