Last Updated:February 03, 2025, 15:52 IST
Explainer- बच्चे की पर्सनैलिटी बड़े होकर कैसे बनेगी, यह बात काफी हद तक पैरेंट्स पर निर्भर करती है. पैरेंट्स का व्यवहार और बर्ताव बच्चों के लिए पहला स्कूल होता है. अगर पैरेंट्स शुरू से ही अपनी पैरेंटिंग पर ध्यान...और पढ़ें
बच्चा हर चीज अपने पैरेंट्स से सीखता है. अच्छी पैरेंटिंग बच्चे की पर्सनैलिटी पर चार चांद लगा देती है लेकिन खराब पैरेंटिंग उन पर बुरा प्रभाव डालती है जिससे बच्चे में आत्मविश्वास की कमी होने लगती है. जबकि जिंदगी में आगे बढ़ने के लिए कॉन्फिडेंस का होना बेहद जरूरी है. वहीं कुछ पैरेंट्स हेलीकॉप्टर पैरेंटिंग करने की भूल करते हैं जो बच्चे के अंदर आत्मविश्वास को पनपने ही नहीं देती.
पैरेंट्स बताएं बच्चे को उनकी खूबी
पैरेंटिंग एक्सपर्ट गीतांजलि शर्मा कहती हैं कि कॉन्फिडेंट होना हर बच्चे के लिए जरूरी है. इससे वह अपनी क्षमताओं और ताकत को समझ पाता है. अगर बच्चे को अपनी स्ट्रेंथ पता होगी, तभी वह अपनी अहमियत समझ पाएगा. अगर बच्चे को केवल कमियां गिनाई जाती हैं तो उसमें आत्मविश्वास और आत्मसम्मान की कमी होती है. आत्मविश्वास किसी व्यक्ति में तभी आता है जब उन्हें पता हो कि उनकी क्या काबिलियत है. इसलिए बच्चे को कॉन्फिडेंट बनाना है तो पैरेंट्स के लिए यह सबसे जरूरी है कि वह अपने बच्चे की उनकी खूबियां बताएं. जब पैरेंट्स बच्चों को उनकी खूबियां बताते हैं तो बच्चा खुद की कद्र करने लगता है.
बच्चों को बात करने का मौका दें
अक्सर बच्चे पैरेंट्स से खूब सवाल पूछते हैं लेकिन वह उन्हें डांटकर चुप करा देते हैं जो गलत है. बच्चे को आत्मविश्वास से भरना है तो उनके साथ समय बिताएं. उनकी सब बातें सुनें और उन्हें जज ना करना. जब बच्चे को बोलने का मौका मिलता है तो सहज हो जाता है और उसका कॉन्फिडेंस बढ़ जाता है. जब बच्चा अपने स्कूल की बातें शेयर करे तो उसे अच्छे काम के लिए शाबाशी दें और नई-नई एक्टिविटीज करने के लिए प्रोत्साहित करें. इससे बच्चा पैरेंट्स पर भरोसा करना सीखता है. जब भरोसा होता है तो कॉन्फिडेंस बढ़ता है. आजकल बच्चों में एंग्जाइटी के इश्यू इसलिए ज्यादा है क्योंकि बच्चों को पैरेंट्स पर भरोसा नहीं है क्योंकि वह उनसे बात नहीं करते. जब पैरेंट्स बच्चे को सुरक्षित माहौल देते हैं तो बच्चे का कॉन्फिडेंस बढ़ता है.
बच्चों को किसी भी तरह की एक्टिविटी में शामिल करें (Image-Canva)
बच्चे को जिम्मेदार बनाएं
बच्चे पर छोटी-छोटी जिम्मेदारी को सौंपना बेहद जरूरी है जैसे खुद से स्कूल का बैग लगाना, खुद अपनी पानी की बोतल भरना, किचन में जाकर खुद के लिए खाना लाना. बच्चे को गलती करने से रोकना नहीं चाहिए. उन्हें उनकी उम्र के हिसाब से जिम्मेदारी सौंपे. जब पैरेंट्स शॉपिंग करने जाएं तो अपने साथ ही बच्चे से चीजें खरीदवाएं और दुकानदार को उनके हाथों से पैसे दिलवाएं. इससे बच्चा नए लोगों से बात करने से डरेगा नहीं. वह सोशल होगा. उसका कम्युनिकेशन स्किल सुधरेगा. जब पैरेंट्स दोस्तों या रिश्तेदारों के घर जाएं तो बच्चों को उनके बच्चों से बात करने दें, हर जगह उनके पीछे-पीछे ना घूमें.
उनके साथ बोर्ड गेम्स खेलें
घर में बच्चाें के साथ बोर्ड गेम खेलें जैसे कैरम, चेस, मोनोपोली. इससे बच्चा जीत के साथ नई-नई रणनीति सीखता है. घर में ट्रेजर हंट जैसे गेम खेलें. घर के अलग-अलग कोनों में चॉकलेट, बुक्स जैसी चीजें छुपा दें और बच्चों को उन्हें ढूंढने का टास्क दें. जब बच्चा उन चीजों को ढूंढ लेता है तो उसे लगता है कि उसने कुछ अचीव किया है. बच्चे से मेहनत करानी जरूरी है, इससे उनका आत्मविश्वास बढ़ता है. इसके अलावा उनसे गार्डनिंग करवाएं. इससे उनकी मेंटल और फिजिकल स्ट्रेंथ बढ़ती है. जब वह बीज को पेड़ बनते देखता है तो उसके अंदर यह भावना आती है कि उसने किसी के लिए कुछ किया.
बच्चे को खुला ना छोड़े
कुछ पैरेंट्स बच्चे को लेकर ओवर प्रोटेक्टिव हो जाते हैं, ऐसा नहीं करना चाहिए. हर जगह उनके साथ रहना यानी हेलीकॉप्टर पैरेंटिंग करना भी गलत है. बच्चे को कॉन्फिडेंट बनाने का यह मतलब बिल्कुल नहीं है कि उन्हें पूरी तरह खुला छोड़ दिया जाए. पैरेंट्स की ऐसी गलती बच्चे को बहका सकती है. बच्चे की जो एनर्जी होती है उसे सही दिशा में आगे बढ़ाना बेहद जरूरी है. अगर वह अपनी एनर्जी गलत चीजों में लगाता है तो उसकी पर्सनैलिटी बिगड़ने लगती है. वह गलत संगति का भी शिकार हो सकते हैं. बच्चे पर नजर रखना बेहद जरूरी है. बच्चे को एक दायरे के अंदर ही छूट देनी चाहिए.
पैरेंट्स बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताएं (Image-Canva)
बच्चे को बुली ना होने दें
अक्सर बच्चे स्कूल में बुली का शिकार हो जाते हैं. इससे कॉन्फिडेंस कम होता है. कई बार पैरेंट्स यह गलती करते हैं कि वह अपने बच्चों को बड़े बच्चों के साथ खेलने को भेज देते हैं. बड़े बच्चों के सामने छोटे बच्चे की मेंटल और फिजिकल स्ट्रेंथ हमेशा कम ही रहेगी. बच्चा कई बार इस वजह से हीन भावना का शिकार हो जाता है. उसे यह समझ नहीं आता कि वह बच्चे बड़े हैं इसलिए बेहतर हैं, उसे लगता है कि मैं उनसे कमजोर है या बेकार है. यह ध्यान रखना जरूरी है कि अगर वह खेलने जा रहा है तो अपने ऐज ग्रुप के साथ ही खेले. बुली होने से बच्चा जिंदगीभर आत्मविश्वास की कमी से जूझता है.
पैरेंट्स में कॉन्फिडेंस होना जरूरी
कहते हैं बच्चा अपने माता-पिता की छाया होता है. अगर बच्चे के पैरेंट्स आत्मविश्वास से भरे होते हैं तो बच्चा भी कॉन्फिडेंट बनता है. अगर पैरेंट्स नेगेटिविटी से घिरे हैं, एक-दूसरे से लड़ते हैं, एंग्जाइटी या डिप्रेशन के शिकार हैं, सेल्फ लव की कमी है तो इसका बुरा प्रभाव बच्चे पर पड़ता है. दरअसल बच्चा घर के माहौल से बहुत कुछ सीखता है लेकिन आसपास इतनी कमियां हों तो बच्चे में आत्मविश्वास की कमी होने लगती है.
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Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
February 03, 2025, 15:52 IST