![Balraj Sahini And PM Narendra Modi](https://static.indiatv.in/khabar-global/images/new-lazy-big-min.jpg)
भारतीय सिनेमा इतिहास के सबसे बेहतरीन एक्टर्स में गिने गए महान अभिनेता बलराज साहिनी का नाम आज फिर से उठने लगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गुरुवार को राज्यसभा में अपने भाषण के दौरान बलराज साहिनी का नाम लिया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस महान अभिनेता के उस त्याग को याद किया जिसे ज्यादातर लोग भूल गए थे। बलराज साहिनी भारतीय सिनेमा के एक ऐसे दिवंगत अभिनेता जिन्होंने 3 महीने जेल में अपनी रातें काटीं। लेकिन जेल में ही बलराज साहिनी अपने सपने से दूर नहीं रहे और यहीं फिल्म की शूटिंग कर डाली। बलराज साहिनी केवल एक अभिनेता ही नहीं थे बल्कि सामाजिक चेतना संपन्न एक बेहद जहीन किस्म के इंसान थे। बलराज साहिनी ने अपनी कला से देश की आजादी में भी अपना योगदान दिया। साथ ही देश की हुकूमतों ने जब भी आम लोगों के विचारों को कुचलना चाहा तो बलराज साहिनी ने अपनी कला के दम पर इसे उल्लेखित किया। आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषणों में बलराज साहिनी का नाम आया तो लोग उनकी जिंदगी पर चर्चा करने लगे।
अमीर जिंदगी को त्याग देश के लिए किया बलिदान
बलराज साहिनी का जन्म 1 मई 1913 को तत्कालीन पंजाब के रावलपिंडी में हुआ था। बलराज साहिनी का परिवार एक संपन्न बिजनेस का परिवार था और पैसों की कोई किल्लत नहीं थी। बलराज भी बचपन से ही जहीन दिमाग के थे और पढ़ने में काफी होशियार थे। अपनी स्कूलिंग के बाद बलराज ने अंग्रेजों द्वारा स्थापित किए गए बेहतरीन कॉलेज गर्वमेंट कॉलेज ऑफ लाहौर से पढ़ाई की। इसके साथ ही गोर्डन कॉलेज और विश्व भारती नाम के विश्वविद्यालयों से भी बलराज ने पढ़ाई की। बलराज साहिनी जिन दिनों जवानी की सीढ़ियां चढ़ रहे थे तभी देश में आजादी का आंदोलन छिड़ा हुआ था। 6 दिसंबर 1936 को बलराज ने शादी रचा ली। लेकिन शादी से जल्द ही उनका मन ऊब गया और आजादी की लड़ाई में कूदने के लिए फड़फड़ाने लगे। कुछ समय बाद बलराज साहिनी की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई और उनके साथ अंग्रेजों के खिलाफ आंदोलन में कूद पड़े। महात्मा गांधी ने बलराज साहिनी को सलाह दी कि बीबीसी लंदन में नौकरी की जाए। बलराज ने बात मानी और बीबीसी लंदन में नौकरी करने लगे। इसके बाद भारत वापस लौटे और पत्नी के साथ मुंबई में रहने लगे।
यहीं से जागा एक्टिंग का कीड़ा
मुंबई में रहने के दौरान बलराज को एक्टिंग का चस्का लगा और खुद एक स्टार बनने का फैसला लिया। इसके बाद बलराज ने स्ट्रगल शुरू कर दिया और 'इंसाफ' नाम की पहली फिल्म में काम किया। लेकिन इसके बाद एक और फिल्म आई जिसका नाम था 'धरती के लाल' जिसने बलराज को खास पहचान दिलाई और स्टारडम की तरफ धकेल दिया। इसके बाद बलराज ने अपनी एक्टिंग का दम दिखाया और लाखों दिलों पर राज किया। बलराज ने दो 'बीघा जमीन', 'नीलकमल', 'दो रास्ते', 'एक फूल दो माली', 'छोटी बहन', 'काबुलीवाला', 'वक्त' और 'गरम हवा' जैसी फिल्मों में काम किया और अपनी एक्टिंग का लोहा मनवाया। इनमें से कई फिल्में आज भी अमर हैं। बलराज ने बॉलीवुड में अपनी खास पहचान बना ली थी और लोग उन्हें स्टार मानने लगे थे।
फिर टूटा दुखों का पहाड़
बलराज साहिनी अपने करियर और पारिवारिक जिंदगी में बेहद खुश थे और सब अच्छा चल रहा था। लेकिन इसी दौरान बलराज की जिंदगी में दुखों की बाढ़ आ गई। बलराज की पत्नी का 1947 में निधन हो गया। इसके बाद कुछ समय बाद ही बलराज साहिनी की बेटी की भी असमय मौत हो गई। एक साथ लगे 2 झटकों ने बलराज को काफी तोड़ दिया। कुछ साल बाद बलराज ने खुद को संभाला और अपनी सामाजिक चेतना के जरिए लोगों को प्रेरित करते रहे। बलराज एक कलाकार के साथ एक जिम्मेदार नागरिक भी थे और कई बार सरकार की गलत योजनाओं के विरोध के चलते जेल भी गए। इसी के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उन्हें याद किया था। बलराज साहिनी ने 13 अप्रैल 1973 को महज 59 साल की उम्र में इस दुनिया को अलविदा कह दिया। लेकिन उनके किरदारों के जरिए उन्हें आज भी याद किया जाता है।