Last Updated:February 11, 2025, 07:59 IST
Delhi Chunav Result Effect: दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने 27 साल बाद 48 सीटें जीतकर बहुमत हासिल किया. आम आदमी पार्टी 22 सीटों पर सिमट गई. कांग्रेस ने कोई सीट नहीं जीती, लेकिन उसने अपने लिए आगे की सियासी राह आसान ज...और पढ़ें
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दिल्ली में हार के बाद भी क्यों खुश है कांग्रेस, जानिए ये 3 कारण.
हाइलाइट्स
- दिल्ली चुनाव में बीजेपी ने 48 सीटें जीतीं.
- कांग्रेस ने 6.34% वोट शेयर हासिल किया.
- कांग्रेस को इंडिया गठबंधन में अब फायदो होगा.
Delhi Chunav Result Effect: दिल्ली चुनाव के नतीजे 8 फरवरी को आए. दिल्ली की कुर्सी पर 27 साल बाद बीजेपी की वापसी हो गई. 70 सीटों वाली दिल्ली में भाजपा को 48 सीटों के साथ बहुमत मिला. हैट्रिक की उम्मीद में रही अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी 22 सीटों में ही सिमट गई. अगर वोट फीसदी की बात करें तो भाजपा (45.56 फीसदी) और आम आदमी पार्टी (43.57) के बीच अंतर केवल 2 फीसदी का ही रहा. कांग्रेस का पिछली बार की तरह इस बार भी खाता नहीं खुला. मगर कांग्रेस का वोट प्रतिशत इस बार 6.34 फीसदी रहा.यह 2020 (4.63 फीसदी) के चुनाव से बेहतर था. अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी की हार को लेकर अब तरह-तरह की बातें कही जा रही हैं. कोई कह रहा है कि कांग्रेस-आप साथ होती तो बात कुछ और होती. कोई कह रहा कि आप की हार के पीछे कांग्रेस ही है.
दरअसल, इन बातों के पीछ एक वाजिब तर्क भी है. दिल्ली की कुल 13 से 14 सीटें ऐसी हैं, जहां कांग्रेस ने ही आम आदमी पार्टी का खेल बिगाड़ा. भले ही कांग्रेस एक भी सीट नहीं जीत पाई, मगर कुछ सीटों पर वह आम आदमी पार्टी की जीत की राह में रोड़ा बन गई. खुद आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल जिस नई दिल्ली सीट से हारे, वहां हार-जीत के अंतर से अधिक वोट तो कांग्रेस को मिल गए. अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज, सोमनाथ भारती समेत कुल 14 सीटों पर कांग्रेस को भाजपा की जीत के अंतर से अधिक वोट मिले. उदाहरण के लिए नई दिल्ली सीट लेते हैं. भाजपा के प्रवेश वर्मा ने अरविंद केजरीवाल को 4009 वोटों से हराया. यहां कांग्रेसे के संदीप दीक्षित को 4568 वोट मिले. इसका मतलब है कि यहां कांग्रेस को भाजपा की जीत के अंतर से अधिक वोट मिले.
कांग्रेस की कहां-कहां राह हुई आसान
अब सवाल है कि दिल्ली चुनाव से कांग्रेस को क्या हासिल हुआ? दिल्ली हार कर भी कांग्रेस क्यों खुश है? तो इसकी कई वजहें हैं, जिसे विस्तार से समझने की जरूरत है. भले ही राहुल गांधी की कांग्रेस दिल्ली में कमाल नहीं कर पाई. मगर हार कर भी वह अपनी पार्टी के लिए बाजीगर बनकर निकली है. कांग्रेस ने एक तरह से इंडिया गठबंधन के साथियों को संकेत दे दिया है कि उसे अलग रखने का मतलब है सियासी नुकसान. इस तरह से देखा जाए तो आम आदमी पार्टी की हार में कांग्रेस के लिए खुशखबरी छिपी है. तो चलिए जानते हैं दिल्ली का परिणाम कांग्रेस के लिए कैसे 3 खुशखबरी साबित होने वाली है.
दिल्ली से कांग्रेस को तीन खुशखबरी
1. अब आंख नहीं दिखा पाएंगे तेजस्वी:
बिहार में इस साल के आखिर में चुनाव है. दिल्ली चुनाव से पहले तेजस्वी लगातार कांग्रेस को आंख दिखा रहे थे. हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव में हार के बाद कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो गई है. इसकी वजह से राजद कांग्रेस को पहले की तरह भाव नहीं दे रही है. राजद कांग्रेस को इग्नोर मार रही थी. राजद चाहती है कि कांग्रेस सीट के मोलभाव की स्थिति में नहीं रहे. इसलिए राजद ने तो कांग्रेस को अकेले चुनाव लड़ने की भी चुनौती दे डाली थी. मगर दिल्ली चुनाव के नतीजों ने राजद को अब सावधान कर दिया है. राजद दिल्ली में देख चुकी है कांग्रेस को अलग रखने का नतीजा. ऐसे में अब कांग्रेस को राजद आंख नहीं दिखा पाएगी. सीट के मोलभाव में कांग्रेस की आवाज सुनी जाएगी. दिल्ली के नतीजों से राजद यह समझ गई है कि लालू-तेजस्वी सावधान! कांग्रेस भले ही जीत का माध्यम बने न बने मगर हार का कारण तो जरूर बन सकती है.
2. इंडिया गंठबंधन में बरकरार रहेगा कांग्रेस का रुतबा:
इंडिया गंठबंधन में कांग्रेस की वजूद ही खतरे में थी. अरविंद केजरीवाल ने तो इंडिया गठबंधन से कांग्रेस को अलग करने की डिमांड कर दी थी. ममता के तेवर भी अलग थे. खुद अखिलेश यादव और तेजस्वी यादव भी कांग्रेस की कप्तानी से खुश नहीं थे. मगर दिल्ली चुनाव के नतीजों ने परिस्थितियां थोड़ी जरूर बदली है. अब कांग्रेस को इंडिया गठबंधन से अलग करने की बात शायद ही होगी. कारण कि अरविंद केजरीवला खुद अब कुछ बोलने की स्थिति में नहीं रहे. अब सबको समझ में जरूर आएगा कि कांग्रेस को साइडलाइन करने का मतलब है अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारना.
3. पंजाब में कांग्रेस की खिलीं बाछें:
पंजाब में भगवंत मान सरकार से पहले कांग्रेस की ही सरकार थी. अब दिल्ली में आम आदमी पार्टी की हार का फायदा कांग्रेस को पंजाब में मिल सकता है. अभी जिस तरह की हलचल है, उससे लग रहा है कि दिल्ली का असर पंजाब पर भी पड़ेगा. दिल्ली में हार के बाद अरविंद केजरीवाल का दखल पंजाब सरकार में बढ़ सकता है. ऐसे में पंजाब आप में खलबली मचने के संकेत हैं. अगर ऐसा होता है तो आम आदमी पार्टी कमजोर हो सकती है. गुटबाजी हो सकती है. इसका फायदा कांग्रेस को पंजाब में अगले चुनाव में मिल सकता है. यहां वैसे भी शुरू से ही भाजपा कमजोर रही है.
किन-किन सीटों पर आप को कांग्रेस ने पहुंचाया नुकसान
नई दिल्ली, जंगपुरा, त्रिलोकपुरी, ग्रैटर कैलाश, छतरपुर, मालवीय नगर, मादीपुर, राजेंद्र नगर, संगम विहार, नांगलोई, तिमारपुर, बिजवासन और महरौली. इन सीटों पर कांग्रेस को मिले वोट भाजपा की जीत के अंतर से अधिक थे. राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर कांग्रेस और आम आदमी पार्टी साथ चुनाव लड़ते तो इन सीटों पर नतीजे कुछ अलग होते. इसका इशारा खुद जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने किया. उन्होंने सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट कर तंज कसा था. और लड़ो आपस में. उद्धव सेना के संजय राउत ने भी कुछ ऐसा ही इशारा किया. संजय राउत ने कहा कि आप और कांग्रेस की राजनीतिक प्रतिद्वंद्वी बीजेपी है. दोनों को साथ आना चाहिए था. अगर दोनों साथ आए होते तो बीजेपी की हार गिनती के पहले घंटे में ही तय हो जाती.
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Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
February 11, 2025, 07:59 IST