WhatsApp और उसकी पैरेंट कंपनी Meta को एक ट्रिब्यूनल कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सोशल मीडिया कंपनी पर लगे 5 साल के बैन को हटाने का फैसला किया है। मार्क जुकरबर्ग की कंपनी पर WhatsApp और मेटा के अन्य प्लेटफॉर्म पर यूजर डेटा शेयरिंग पर लगे बैन को कुछ समय के लिए हटा दिया गया है। पिछले साल नवंबर में CCI ने मेटा और वाट्सऐप पर यह प्रतिबंध लगाया था। इसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ने कोर्ट में चुनौती दी थी।
पिछले साल नंवंबर में भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (CCI) ने वाट्सऐप पर मेटा के अन्य प्लेटफॉर्म पर यूजर डेटा शेयर करने पर प्रतिबंध लगाया था। CCI ने कंपनी को अपने कुछ फीचर को रोल बैक करने की चेतावनी भी दी थी। साथ ही, कहा था कि वाट्सऐप यूजर का डेटा मेटा के किसी अन्य प्लेटफॉर्म जैसे इंस्टाग्राम और फेसबुक पर ऐडवर्टिजमेंट प्रैक्टिस के लिए नहीं किया जाना चाहिए। इस संबंध में सुनवाई करते हुए राष्ट्रीय कंपनी लॉ अपिलेट ट्रिब्यूनल कोर्ट ने CCI द्वारा लगाए गए 5 साल के प्रतिबंध को हटाने का निर्देश दिया है। हालांकि, कोर्ट में इस मामले की सुनवाई अभी जारी रहेगी।
बिजनेम मॉडल को नुकसान
विशेष अदालत ने कहा कि इस प्रतिबंध से वाट्सऐप के बिजनेस मॉडल को नुकसान हो सकता है। Meta के लिए भारत एक बड़ा मार्केट है। यहां फेसबुक पर 350 मिलियन यानी 25 करोड़ से ज्यादा यूजर्स हैं। वहीं, WhatsApp यूजर्स की संख्यां 500 मिलियन यानी 50 करोड़ से भी ज्यादा है। ऐसे में यह प्रतिबंध कंपनी के बिजनेस मॉडल को नुकसान पहुंचा सकता है।
वाट्सऐप की पैरेंट कंपनी मेटा ने पहले ट्रिब्यूनल में कहा था कि वह ऐप के कुछ फीचर्स को या तो रोक देगा या उसे रोल बैक कर लेगा। इस बैन के हटने से वाट्सऐप पर हुए इंटरेक्शन के आधार पर यूजर्स को फेसबुक और इंस्टाग्राम पर उससे संबंधित पर्सनलाइज्ड ऐड दिखाने की अनुमति मिल जाएगी।
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