नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट में सीजेआई चंद्रचूड़ की बेंच सोमवार को जैसे ही कोर्ट में बैठी तो एक-एक कर याचिकाओं की सुनवाई कर रही थी. इस दौरान एक याचिका सामने आई और उस याचिकाकार्ता के वकील ने अनौपचारिक लहजे पर सवाल किया. इस पर सीजेआई चंद्रचूड़ की बेंच ने सवाल उठाया. असल में सीजेआई ने वकील के बेंच को ‘या’ (YA) शब्द का उपयोग करते हुए संबोधित करने पर असहमति जताई.
सीजेआई चंद्रचूड़ ने भरे कोर्ट में कहा कि YA, YA, YA… मत कहो, Yes कहो.यह कोई कॉफी शॉप नहीं है. यह एक कोर्ट है. मुझे लोगों के ‘Yes’ कहने से थोड़ी एलर्जी है. सीजेआई चंद्रचूड़ की टिप्पणी के बाद याचिकाकर्ता ने मराठी में बोलना शुरू कर दिया. तो सीजेआई चंद्रचूड़ ने उसे मराठी में समझाया. इसके वकील ने अपने बोलने के तरीके में बदलाव किया. आपको बता दें कि याचिकाकर्ता ने पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई के खिलाफ जांच की मांग की थी, उसका कहना था कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा ही इस मामले की जांच हो. इस मामले की सुनवाई के दौरान CJI चंद्रचूड़ ने वकील को निर्देश दिया था कि वह याचिका से पूर्व सीजेआई का नाम हटाए. याचिकाकर्ता ने गोगोई के खिलाफ जांच की मांग की, जो अब राज्यसभा सांसद हैं.
क्या यह अनुच्छेद 32 के तहत याचिका है? जब सीजेआई ने किया सवाल
यह बहस तब और गरमा गई जब मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने सवाल किया कि क्या यह मामला अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर करने के लिए उपयुक्त है, जो मौलिक अधिकारों के उल्लंघन के लिए सीधे सुप्रीम कोर्अ में अपील करने की अनुमति देता है. मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने कहा कि क्या यह अनुच्छेद 32 के तहत याचिका है? आप एक न्यायाधीश को प्रतिवादी बनाकर जनहित याचिका कैसे दायर कर सकते हैं? इसमें कुछ गरिमा होनी चाहिए.
किस तरह की भाषा का किया था इस्तेमाल
याचिकाकर्ता ने जवाब दिया, YA, YA, तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई ने मुझे क्यूरेटिव पिटिशन दाखिल करने के लिए कहा था. उनके द्वारा इस तरह की भाषा का प्रयोग के कारण सीजेआई चंद्रचूड़ ने उन्हें फटकार लगाई, साथ ही कानूनी स्पष्टीकरण भी दिया. उन्होंने कहा कि न्यायमूर्ति गोगोई इस न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश थे और आप एक न्यायाधीश के खिलाफ इस तरह की याचिका दायर नहीं कर सकते और आंतरिक जांच की मांग नहीं कर सकते, क्योंकि आप पीठ के समक्ष अपनी दलीलें पेश करने के बाद आपकी याचिका को खारिज कर दिया गया.
क्या था मामला?
इसके बाद याचिकाकर्ता ने मामले की पृष्ठभूमि बताते हुए कहा कि लेकिन न्यायमूर्ति गोगोई ने उस बयान के आधार पर मेरी याचिका खारिज कर दी, जिसे मैंने अवैध बताते हुए चुनौती दी थी. मेरी कोई गलती नहीं थी, मैंने सीजेआई ठाकुर से अनुरोध किया था कि वे श्रम कानूनों से परिचित पीठ के समक्ष मेरी समीक्षा याचिका ट्रांसफर करें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ और इसे खारिज कर दिया गया.
मराठी में संक्षिप्त चर्चा के बाद मुख्य न्यायाधीश चंद्रचूड़ ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि वह याचिका से सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति गोगोई का नाम हटा दें. उन्होंने कहा कि रजिस्ट्री याचिका पर विचार करेगी.
Tags: DY Chandrachud, Supreme Court
FIRST PUBLISHED :
September 30, 2024, 13:02 IST