Last Updated:February 05, 2025, 12:09 IST
इंदौर में अब दूध व्यापारियों को नया नियम मानना होगा. तीन अप्रैल से लागू होने वाले इस नियम के मुताबिक, बिना परीक्षण के कोई भी ग्राहक हो दूध नहीं बेच पाएगा.
पहले के समय में ग्वाले दूध में पानी मिलाकर बेचते थे. इस मिलावट से ग्राहकों को परेशानी तो होती थी लेकिन ये स्वास्थ्य पर बुरा असर नहीं डालता था. लोग पतले दूध की वजह से शिकायत करते थे. लेकिन अब ग्वाले ऐसी-ऐसी दवाइयां और केमिकल्स मिलाकर दूध बेचने लगे हैं कि इनका सेवन सीधे यमराज के दर्शन करवा सकता है. ऐसे में अब इंदौर में कलेक्टर ने नया आदेश जारी किया है.
अब दुग्ध उत्पादकों को ग्राहकों के सामने ही दूध का परीक्षण कर उन्हें उसमें मौजूद फैट और एसएनएफ की मात्रा की जानकारी देनी है. ये अनिवार्य कर दिया गया है. इसके तहत अब हर दूध विक्रेता और डेयरी संचालकों को अपनी दुकान में फैट मापक यंत्र रखना अनिवार्य है. इसे लेकर कलेक्टर आशीष सिंह ने महत्वपूर्ण आदेश जारी किये हैं. नियम को तीन अप्रैल से लागू किया जाएगा.
इस कारण लिया फैसला
नए नियम की जानकारी देते हुए कलेक्टर आशीष सिंह ने बताया कि दूध में मिलावट के कई मामले सामने आ रहे हैं. दूध में जहरीली चीजें मिलाकर बेची जा रही है. ऐसे में मिलावटी दूध पर रोक लगाने के लिए ये फैसला लिया गया है. इससे संक्रामक रोगों पर भी लगाम लगाई जा सकेगी. भारतीय नागरिक सुरक्षा अधिनियम 2023 की धारा 163 के तहत इस आदेश को जारी किया गया है. अब दूध में मौजूद फैट की मात्रा से लेकर कई जानकारी देना जरुरी है.
भरना पड़ेगा जुर्माना
नए आदेश के मुताबिक़, अगर दुग्ध उत्पादकों ने नियमों को नहीं माना तो उन्हें इसके लिए सजा दी जाएगी. विक्रेता को बताना होगा कि दूध में कितना फैट है. साथ ही इसमें मौजूद एसएनएफ की मात्रा भी बतानी होगी. इसके लिए यंत्र जारी किया गया है जिसमें दूध डालते ही उसकी सारी असलियत सामने आ जाएगी. वहीं जो उत्पादक लोगों को घर पर दूध की सप्लाई करते हैं, उन्हें डिब्बे पर इसकी जानकारी देना जरुरी है.
First Published :
February 05, 2025, 12:09 IST
अब उल्लू नहीं बना पाएंगे ग्वाले, ग्राहक के सामने देनी पड़ेगी अग्निपरीक्षा