केंद्र सरकार ने साल 2025 के लिए पेश किए गए बजट में 1500 करोड़ रुपये ई कोर्ट के लिए आवंटित किए हैं। ई-कोर्ट परियोजना के महत्वाकांक्षी तीसरे चरण के लिए केंद्रीय बजट में बड़ी राशि देने की वजह न्याय प्रक्रिया में तेजी लाना है। देश में डिजिटल, ऑनलाइन और कागज रहित निचली अदालतें स्थापित करने के उद्देश्य से ई-कोर्ट परियोजना शुरू की गई है।
ई-कोर्ट परियोजना के लिए धनराशि न्याय वितरण और कानूनी सुधार के लिए राष्ट्रीय मिशन के तहत आवंटित की गई है। राष्ट्रीय ई-गवर्नेंस योजना के हिस्से के रूप में, भारतीय न्यायपालिका की आईसीटी सक्षमता के लिए ई-कोर्ट परियोजना 2007 से कार्यान्वयन में है। परियोजना का दूसरा चरण 2023 में समाप्त हुआ।
क्या है ई-कोर्ट परियोजना का लक्ष्य
ई-कोर्ट परियोजना का तीसरा चरण 2023 में शुरू हुआ था। इसका उद्देश्य विरासत रिकॉर्ड सहित संपूर्ण न्यायालय रिकॉर्ड के डिजिटलीकरण के माध्यम से डिजिटल, ऑनलाइन और कागज रहित अदालतों की ओर बढ़ते हुए न्याय की अधिकतम सुगमता की व्यवस्था की शुरुआत करना है। यह स्मार्ट सिस्टम स्थापित करेगा, जिससे मामलों को शेड्यूल या प्राथमिकता देते समय न्यायाधीशों और रजिस्ट्री के लिए डेटा-आधारित निर्णय लेना आसान होगा। तीसरे चरण का मुख्य उद्देश्य न्यायपालिका के लिए एक एकीकृत प्रौद्योगिकी मंच बनाना है जो न्यायालयों, वादियों और अन्य हितधारकों के बीच एक सहज और कागज रहित इंटरफेस प्रदान करेगा।
कम होगी लागत
सरकार ने कहा कि जिन नागरिकों के पास प्रौद्योगिकी तक पहुंच नहीं है, वे ई-सेवा केंद्रों से न्यायिक सेवाओं तक पहुंच सकते हैं, जिससे डिजिटल विभाजन को पाटा जा सकता है। न्यायालय के अभिलेखों का डिजिटलीकरण कागज-आधारित फाइलिंग को कम करके और दस्तावेजों की भौतिक आवाजाही को कम करके प्रक्रियाओं को अधिक पर्यावरण-अनुकूल बनाने में सक्षम बनाता है। इसके अलावा, अदालती कार्यवाही में आभासी भागीदारी इन कार्यवाहियों से जुड़ी लागतों को कम कर सकती है, जैसे गवाहों, न्यायाधीशों और अन्य हितधारकों के लिए यात्रा व्यय, जबकि अदालती शुल्क, जुर्माना और दंड कहीं से भी, कभी भी भुगतान किया जा सकता है। (इनपुट- पीटीआई)