उत्तराखंड सरकार ने साधना रतूड़ी को सीड फंड देने का ऐलान किया है.
देहरादून. ‘हौसले हों बुलंद तो आसमां छोटा पड़ जाता है’, इस कहावत को उत्तराखंड के देहरादून की रहने वाली 21 साल की साधना रतूड़ी ने सच साबित किया है. आमतौर पर पहाड़ी क्षेत्रों में कंडाली (बिच्छू घास) पाई जाती है. इससे जुड़ी कई कहानी और किस्से हम बचपन से सुनते आ रहे हैं लेकिन साधना के मन में कंडाली को लेकर कुछ और ही चल रहा था. देवभूमि उद्यमिता योजना के जरिए स्टार्टअप की दुनिया में कदम रखते ही साधना रतूड़ी का कंडाली से जुड़ा आइडिया उत्तराखंड सरकार को भी रास आ गया. कंडाली की चटनी और हर्बल चाय के स्टार्टअप को लेकर साधान रतूड़ी सुर्खियों में हैं. लोकल 18 ने उनके घर जाकर उनकी इस उपलब्धि के पीछे की कहानी को जानने की कोशिश की.
पहाड़ी क्षेत्रों से जुड़े लोग कंडाली को बखूबी जानते हैं. बचपन में हमने कई कहानी इससे जुड़ी सुनी हैं लेकिन इसके औषधीय गुणों को बेहद करीब से साधना रतूड़ी ने समझा. लोकल 18 से बातचीत करते हुए साधना रतूड़ी ने बताया कि बचपन में हम अक्सर सर्दियों में कंडाली की सब्जी खाया करते थे, जो बेहद गर्म होती है. माता-पिता ने कंडाली की बारीकियों से उन्हें रूबरू कराया. पुराने समय से ही इसका इस्तेमाल किया जाता था. एक दिन कॉलेज में देवभूमि उद्यमिता योजना के तहत उद्यमिता विकास कार्यक्रम कार्यक्रम हुआ. वहां उद्यमिता से जुड़े आइडिया साझा करने को कहा, तो उनके मन में कंडाली की चटनी और हर्बल चाय का आइडिया आया.
सीड फंड के लिए चुने जाने पर बेहद खुशी
उत्तराखंड सरकार ने साधना रतूड़ी को सीड फंड देने का ऐलान किया है. इसके तहत एकमुश्त 75 हजार रुपये दिए जाएंगे. इससे जुड़े सवाल का जवाब देते हुए साधना ने बताया कि देवभूमि उद्यमिता योजना के जरिए कॉलेज में ईडीपी सेशन हुआ. वह उत्तराखंड सरकार को इस सहयोग के लिए धन्यवाद देती हैं. इसके अलावा कई लोगों ने उन्हें इस आइडिया के साथ आगे बढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. उद्यमिता विकास कार्यक्रम की टीम ने उद्यमिता से जुड़ी चुनौतियों से निपटने के लिए हमें तैयार किया. कंडाली की चटनी और हर्बल टी आइडिया को लेकर कई मीटिंग हुईं. जिसके बाद सीड फंड के लिए चयनित 20 युवाओं में उनका नाम भी शामिल हुआ. यह उनके सपनों को धरातल पर उतारने में मदद करेगा.
बड़े स्तर पर स्टार्टअप को ले जाने की तैयारी
छोटे स्तर पर कंडाली की चटनी और हर्बल टी का यह स्टार्टअप अब बड़े स्तर पर जाने की तैयारी कर रहा है. साधना ने कहा कि कंडाली एक स्वदेशी पौधा है. इसके कई औषधीय गुण हैं, जिसके चलते लोग इसे काफी पसंद करेंगे. उन्होंने खुद कई वेंडर्स से इसको लेकर बात की है. उम्मीद है कि जल्द ही आपको बाजार में इसके प्रोडक्ट आसानी से उपलब्ध हो जाएंगे. उद्यमिता विकास कार्यक्रम की टीम भी इसको लेकर हमारी मदद कर रही है.
बेटी की सफलता पर गर्व
छोटी सी उम्र में बड़ी उपलब्धि से हर मां-पिता गौरवान्वित महसूस करते हैं. साधना रतूड़ी की मां अनिता रतूड़ी ने अपनी बेटी की इस उपलब्धि पर खुशी जाहिर की. उन्होंने कहा कि जब पहली बार बेटी ने उन्हें अपने इस आइडिया के बारे में बताया तो काफी अच्छा लगा, क्योंकि यह स्वास्थ्य के लिए बेहद लाभप्रद है. साधना के पिता जब कभी पहाड़ों की तरफ जाते हैं, तो वह वहां से कंडाली लाते हैं. पहले हमने खुद इसे इस्तेमाल किया, उसके बाद लोगों को इसके बारे में बताया. डायबिटीज मरीजों के लिए यह रामबाण है.
क्या है देवभूमि उद्यमिता योजना?
उत्तराखंड सरकार और भारतीय उद्यमिता विकास संस्थान ने मिलकर राज्य के युवाओं को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने का संकल्प लिया है. जिसके लिए प्रदेशभर में 124 केंद्र खोले गए हैं, जिनमें से 10 उत्कृष्ट केंद्र हैं. पंजीकृत युवाओं को बूथ कैंप के जरिए बिजनेस की बारीकियों के गुर सिखाए जा रहे हैं. इसके लिए 185 फैकल्टी मेंटर प्रशिक्षित किए गए हैं.
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FIRST PUBLISHED :
September 22, 2024, 11:44 IST