Last Updated:February 05, 2025, 11:35 IST
Shatrughna Sinha connected UCC: शत्रुघ्न सिन्हा ने उत्तराखंड के यूनिफॉर्म सिविल कोड की तारीफ की, लेकिन इसे पूरे देश में लागू करने में खामियां बताईं. टीएमसी सांसद के ताजा बयान ने ममता बनर्जी को टेंशन दे दी है. इससे पहल...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- शत्रुघ्न सिन्हा ने उत्तराखंड के यूसीसी की तारीफ की.
- उन्होंने पूरे देश में यूसीसी लागू करने पर खामियां बताईं.
- शत्रुघ्न सिन्हा ने ममता बनर्जी को टेंशन दे दी है.
नई दिल्ली. दिग्गज अभिनेता और तृणमूल कांग्रेस के सांसद शत्रुघ्न सिन्हा ने उत्तराखंड के यूनिफॉर्म सिविल कोड यानी यूसीसी की जमकर तारीफ की. चार दिन पहले ही उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन द्वारा पेश किए गए बजट के कुछ हिस्सों की सराहना भी की थी. ऐसे में शॉटगन के नाम से मशहूर शत्रुघ्न सिन्हा के व्यवहार ने टीएमसी चीफ ममता बनर्जी को टेंशन दे दी है. सवाल उठ रहे हैं कि कहीं वो टीएमसी को टाटा बॉय-बॉय कहने की तैयारी तो नहीं कर रहे हैं. बार-बार पार्टी लाइन से अलग बयानबाजी पर ममता बनर्जी उनके खिलाफ सख्त रुख अख्तियार भी कर सकती हैं.
शत्रुघ्न सिन्हा पहले भारतीय जनता पार्टी का हिस्सा थे. वो अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री भी रह चुके हैं. पीएम मोदी की सरकार द्वारा ज्यादा तवज्जो नहीं दिए जाने के बाद वो टीएमसी में आ गए थे. टीएमसी की पार्टी लाइन से उपर उठकर सामने आए शत्रुघ्न सिन्हा के बयान ने नई सियासी बहस भी शुरू कर दी है. शत्रुघ्न सिन्हा ने अपने ताजा बयान में कहा कि उत्तराखंड में यूसीसी लागू करना एक अच्छा कदम है लेकिन इस तरह के कानून को पूरे देश में लागू करने में काफी खामिया भी हैं.
अब क्या बोले शत्रुघ्न सिन्हा?
शत्रुघ्न सिन्हा ने मांसाहारी भोजन पर प्रतिबंध लगाने का हवाला देते हुए कहा कि इसे देश के कुछ हिस्सों में इसे लागू करना मुश्किल होगा. पूर्व अभिनेता ने कहा, “देश के कई हिस्सों में गोमांस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. मुझे लगता है कि न केवल गोमांस बल्कि सामान्य रूप से मांसाहारी भोजन पर भी देश में प्रतिबंध लगा दिया जाना चाहिए. हालांकि, पूर्वोत्तर सहित कुछ जगहों पर अभी भी गोमांस खाना कानूनी है. वहा खाओ तो यम्मी, पर हमारे उत्तर भारत में खाओ तो मम्मी.”
‘UCC पर हो सर्वदलीय बैठक’
शत्रुघ्न सिन्हा संसद के बाहर पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे. इसी बीच उन्होंने उत्तराखंड में यूसीसी के लागू होने को सराहनीय बताते हुए कहा कि इसमें काफी खामियां हैं. यह शादी, तलाक, विरासत, गोद लेने जैसे मामलों में सभी धार्मिक समुदायों के लिए एक ही कानून प्रदान करता है. यूसीसी प्रावधानों का मसौदा तैयार करने से पहले एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की जानी चाहिए. इस मुद्दे पर सभी की राय और विचारों के लिए उनसे परामर्श किया जाना चाहिए. यूसीसी को चुनावी या वोट बैंक की रणनीति के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे सावधानी और सतर्कता के साथ संभाला जाना चाहिए.”
First Published :
February 05, 2025, 11:35 IST