Agency:News18 Uttar Pradesh
Last Updated:February 07, 2025, 14:31 IST
Bahraich: पहले के समय में अनाज रखने के लिए मिट्टी की डेहरी का इस्तेमाल किया जाता था. इसमें अनाज लंबे समय तक खराब नहीं होता था. बदलते वक्त में इनका प्रयोग कम हो गया है और अब इनकी जगह स्टील के ड्रम ने ले ली है.
अनाज रखने के लिए मिट्टी की डेहरी!
हाइलाइट्स
- मिट्टी की डेहरी में अनाज लंबे समय तक सुरक्षित रहता था.
- नीम की पत्तियों से अनाज में घुन और कीड़े नहीं लगते थे.
- आज भी कुछ गांवों में मिट्टी की डेहरी का इस्तेमाल होता है.
बहराइच. पहले के समय में अनाज को सुरक्षित रखने के लिए मिट्टी की डेहरी का इस्तेमाल किया जाता था. यह खासतौर पर तालाब या नदी की चिकनी मिट्टी से बनाई जाती थी, जिसे बनाने में कई दिन लगते थे. इस डेहरी में अनाज भरकर उसमें नीम की पत्तियां डाल दी जाती थीं, जिससे अनाज सालों तक खराब नहीं होता था. आज भी कई गांवों में इसका इस्तेमाल किया जाता है, हालांकि अब स्टील और लोहे के ड्रम के चलन के कारण यह प्रथा कम होती जा रही है.
कैसे बनती थी डेहरी
पहले लोहे और स्टील के ड्रम नहीं होते थे, इसलिए गांवों में लोग खुद मिट्टी की बड़ी-बड़ी डेहरियां बनाते थे. इन डेहरियों को बनाने की प्रक्रिया काफी दिलचस्प होती थी. सबसे पहले इसका तलवा यानी नीचे का आधार बनाया जाता था. तलवा सूखने के बाद हर दिन 1-2 फुट की गोलाकार दीवार बनाई जाती थी. यह प्रक्रिया लगातार 4-5 दिन तक चलती थी, जब तक पूरी डेहरी तैयार न हो जाए. डेहरी के नीचे की ओर अनाज निकालने के लिए एक छोटा छेद भी बनाया जाता था. इन डेहरियों की क्षमता 10 कुंतल से लेकर 20 कुंतल तक अनाज रखने की होती थी.
नहीं लगते थे घुन और कीड़े
मिट्टी की डेहरी में अनाज पूरी तरह से सुरक्षित रहता था. इसकी सबसे बड़ी खासियत यह थी कि इसमें घुन और कीड़े नहीं लगते थे, क्योंकि यह पूरी तरह से बंद रहती थी. अनाज में नीम की पत्तियां डालने से भी उसमें घुन नहीं लगता था और वह लंबे समय तक सुरक्षित रहता था. मिट्टी की तासीर ठंडी होती है, जिससे डेहरी के अंदर का तापमान संतुलित बना रहता था. इससे अनाज में नमी नहीं आती थी और वह खराब नहीं होता था. जैसे मिट्टी के घड़े में पानी ठंडा रहता है, वैसे ही मिट्टी की डेहरी में भी अनाज सालभर ताजा बना रहता था.
आज भी कुछ लोग करते हैं इस्तेमाल
समय के साथ मिट्टी की डेहरी का इस्तेमाल कम होता गया. स्टील और लोहे के ड्रम के चलन से इसकी जरूरत कम हो गई. तेजी से शहरीकरण और आधुनिक भंडारण विधियों के कारण यह परंपरा लगभग खत्म हो चुकी है. हालांकि, गांवों में आज भी कुछ लोग अनाज को लंबे समय तक सुरक्षित रखने के लिए मिट्टी की डेहरी का इस्तेमाल करते हैं.
Location :
Bahraich,Uttar Pradesh
First Published :
February 07, 2025, 14:31 IST
गजब जुगाड़ू थे पुराने लोग, ऐसे रखते थे अनाज सालों-साल नहीं होता था खराब