जज साहब, मेरी मां की कब्र पर बुलडोजर चलाने से रोक दो, HC पहुंचा शख्स, फिर...

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Last Updated:January 23, 2025, 10:22 IST

Bulldozer News: 36 साल का एक शख्स अपनी मां की कब्र को टूटने से बचाने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. मोहम्मद इरशाद ने हाईकोर्ट में दलील दी और अपनी आस्था के बारे में बताया. इसके बाद कोर्ट ने जो आदेश दिया उससे...और पढ़ें

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हाईकोर्ट ने बुलडोजर एक्शन पर लगाई रोक

अहमदाबाद. गुजरात हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाकर मोहम्मद इरशाद अंसारी (36) ने अपनी मां की कब्र को ध्वस्त होने से बचा लिया है. बताया जा रहा है कि नगर निगम ने अहमदाबाद के चारतोड़ा कब्रिस्तान में कई दुकानों और घरों के साथ कब्र को भी अतिक्रमण मानकर हटाने का निर्णय लिया था, ताकि सड़क का विस्तार किया जा सके.

इसके बाद पिछले हफ्ते याचिकाकर्ताओं ने हाईकोर्ट का रुख किया और जब अहमदाबाद नगर निगम (एएमसी) के अधिकारियों ने मौखिक रूप से उन्हें सूचित किया कि उनके घर और दुकानें जो अतिक्रमण हैं उन्हें 18 जनवरी को ध्वस्त कर दिया जाएगा. अधिकारियों ने उन अवैध निर्माणों को चिह्नित किया, जिन्हें ध्वस्त किया जाना था. चिह्नित अवैध निर्माणों में अंसारी की मां हबीबुन्निसा की कब्र भी शामिल थी, जिनका निधन 2020 में हुआ था.

क्या थी याचिका?
अंसारी उन 41 याचिकाकर्ताओं में से एक थे जिन्होंने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. जबकि अन्य लोगों ने गोमतीपुर के हाथीखाई के पास चारतोड़ा कब्रिस्तान की दीवार के साथ अपने घरों और दुकानों को सड़क विस्तार के लिए ध्वस्त करने के एएमसी के प्रयास का विरोध किया. अंसारी ने अदालत से आग्रह किया कि एएमसी को उनकी मां की कब्र को ध्वस्त न करने का निर्देश दिया जाए. उन्होंने दावा किया कि उनकी धार्मिक भावनाएं आहत होंगी, क्योंकि वे अक्सर अपनी मां की कब्र पर धार्मिक अनुष्ठान करने जाते हैं.

हाईकोर्ट ने दिया क्या आदेश?
हाईकोर्ट ने 40 अन्य याचिकाकर्ताओं की याचिका को निपटाते हुए 2008 के हाईकोर्ट के आदेश को दोहराया, जिसमें नगर निगम को निर्देश दिया गया था कि यदि वे कब्जाधारियों को बेदखल करना चाहते हैं तो उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए. लेकिन जब कब्र का मुद्दा उठा, तो एएमसी ने आश्वासन दिया कि कब्रिस्तान में स्थित किसी भी कब्र को नहीं छेड़ा जाएगा.

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि याचिकाकर्ता नंबर 24 (अंसारी) के संबंध में जिन्होंने अपनी मां की कब्र की सुरक्षा के संबंध में प्रार्थना की है. इस अदालत का मानना है कि कब्रिस्तान के क्षेत्र से बाहर किसी भी कब्र की अनुमति नहीं दी जा सकती. सरकारी वकील ने निर्देशानुसार, आगे कहा कि कब्रिस्तान के क्षेत्र में कोई ध्वस्तीकरण नहीं किया जाएगा और यदि कब्र कब्रिस्तान में स्थित है, तो किसी सुरक्षा की आवश्यकता नहीं है.

याचिकाकर्ता के वकील नितीश नायर ने कहा कि हम अंसारी के मामले में सफल हुए हैं क्योंकि एएमसी के वकील ने आश्वासन दिया कि कब्रिस्तान में स्थित कब्र को नहीं छेड़ा जाएगा. इसका मतलब है कि हालांकि कब्र को चिह्नित किया गया था, अब इसे बचा लिया गया है.

First Published :

January 23, 2025, 10:22 IST

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