जब रेलवे में नहीं थे इलेक्ट्रिक सिग्नल, फिर कैसे रुकती और चलती थी ट्रेन? जानें

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Agency:News18 Haryana

Last Updated:February 08, 2025, 08:46 IST

क्या आपको पता है 100 साल पहले रेलवे में सिग्नल कैसे दिये जाते थे? नहीं, तो आज हम आपको बताएंगे कि सिग्नल कैसे दिए जाते थे.

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फाइल

फाइल फोटो. 

हाइलाइट्स

  • रेलवे में 100 साल पहले हाथ से सिग्नल दिए जाते थे.
  • दिन में झंडे और रात में लालटेन का उपयोग होता था.
  • लाल, हरा और पीला रंग सिग्नल के लिए उपयोग होते थे.

फरीदाबाद. आज से करीब 100 साल पहले रेलवे में सिग्नलिंग देने का तरीका तरीका क्या था? ट्रेन को रोकने के लिए क्या किया जाता था? या सावधानी से चलने के लिए कौन सा सिग्नल दिया जाता था?  आज हम आपको ऐसी की चीजों के बारे में बताने वाले हैं. आज से 100 साल पहले उस समय न तो इलेक्ट्रिक सिग्नल थे और न ही कोई ऑटोमैटिक सिस्टम. रेलवे में सिग्नल देने के लिए हाथ से चलाए जाने वाले झंडे और रात के समय लालटेन का इस्तेमाल किया जाता था. यह लालटेन केरोसिन तेल से जलती थी और दूर से ही साफ दिखाई देती थी.

म्यूजियम के स्टाफ कृष्ण कुमार बताते हैं कि यह सिग्नलिंग सिस्टम रेलवे की शुरुआत से ही चला आ रहा था. उस समय ट्रेन चालकों और गार्ड को सिग्नल दिखाने के लिए रेलवे कर्मचारी हाथ से संकेत देते थे. दिन में झंडे और रात में जलती हुई लालटेन से इशारे किए जाते थे. लालटेन में अलग-अलग रंग की कांच की शीशियां लगी होती थीं लाल, हरा और पीला. ट्रेन को रोकने के लिए लाल रंग की रोशनी दिखाई जाती थी. सावधानी से चलने के लिए पीली और चलने की अनुमति के लिए हरी रोशनी का इस्तेमाल होता था.

पूरी प्रक्रिया होती थी मैन्युअल
रेलवे ट्रैक के किनारे सिग्नल मैन तैनात रहते थे, जिनका काम ट्रेनों को सही दिशा और समय पर संकेत देना होता था. यह प्रक्रिया पूरी तरह मैन्युअल थी और कर्मचारियों को बहुत सावधानी और मुस्तैदी से काम करना पड़ता था. अगर कहीं गलती हो जाती तो दुर्घटना होने का खतरा बना रहता था. उस समय रेलवे कर्मचारी अपनी जिम्मेदारी को पूरी ईमानदारी से निभाते थे, ताकि ट्रेनें सही समय पर और सुरक्षित तरीके से अपनी मंजिल तक पहुंच सकें.

समय के साथ तकनीक बदली और रेलवे में इलेक्ट्रिक सिग्नल आ गए. अब सभी सिग्नल ऑटोमैटिक हो चुके हैं, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना भी कम हो गई है. लेकिन पुराने समय में रेलवे की यह मैन्युअल सिग्नलिंग व्यवस्था रेलवे के इतिहास का एक अहम हिस्सा रही है जो उस दौर के कर्मचारियों की मेहनत और जिम्मेदारी का उदाहरण पेश करती है. अब यह सब चीज आप म्यूजियम ही देख सकते हैं.

Location :

Faridabad,Haryana

First Published :

February 08, 2025, 08:46 IST

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