धूल चेहरे पर थी और आईना साफ करता रहा..मिथक और भ्रम टूटा तो जमीन पर ले आई जनता!

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Agency:News18 Bihar

Last Updated:February 08, 2025, 13:01 IST

Delhi Chunav Result 2025: अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया, सत्येंद्र जैन, सोमनाथ भारती और सौरभ भारद्वाज समेत आम आदमी पार्टी की पूरी बड़ी लीडरशिप को जनता ने अच्छे से आईना दिखा दिया. मगर सवाल है ऐसा क्यों हुआ? राज...और पढ़ें

धूल चेहरे पर थी और आईना साफ करता रहा..मिथक और भ्रम टूटा तो जमीन पर ले आई जनता!

अरविंद केजरीवाल की एआई जेनरेटेड तस्वीर.

हाइलाइट्स

  • दिल्ली विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की करारी हार हुई.
  • अरविंद केजरीवाल समेत आम आदमी पार्टी के बड़े-बड़े चुनाव हारे.
  • पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व पर दिल्ली की जनता ने दिखाया भरोसा.

नई दिल्ली. कहते हैं राजनीति में दो बातें बड़ी महत्वपूर्ण हैं. पहला किसी राजनीतिक पार्टी या किसी नेता के बारे में जनता के मन में क्या परसेप्शन है और दूसरा यह कि प्रतीकात्मक तौर पर आम जनमानस में सियासी दल और लीडरशिप की क्या छवि बन रही है. यानी पॉलिटिक्स पूरी तरह से परसेप्शन एंड सिंबॉलिज्म के आधार पर आगे बढ़ती है. दिल्ली की राजनीति के संदर्भ में देखिए तो साफ तौर पर आप देखेंगे कि आम आदमी पार्टी की करारी हार के पीछे यह दो बड़ी बातें हुई. पहला परसेप्शन यह बना कि जो आम आदमी पार्टी भ्रष्टाचार की लड़ाई लड़ कर आई, लेकिन वह भ्रष्टाचार में के आरोपों से घिर गई. दूसरा आम आदमी की छवि को अरविंद केजरीवाल के शीशमहल ने इतना बड़ा डेंट लगाया कि उनकी ‘राजनीति बदल देंगे’ की राजनीति की पूरी कहानी धराशायी हो गई.

दरअसल, अरविंद केजरीवाल प्रतीकात्मक तौर पर स्वयं को आम आदमी का चेहरा स्थापित कर राजनीति में आए थे. अन्ना हजारे जैसे गांधीवादी नेता को आगे कर राजनीति को बदल देने की उम्मीद जगाई थी. युवाओं के जनमानस में उन्होंने अपनी जगह बनाई थी. मगर अब जब दिल्ली की सत्ता में उनके 10 साल बीत गए तो किस कदर लोगों की उम्मीद टूटी यह दिल्ली विधानसभा चुनाव के नतीजे बता रहे हैं. एक जेनरेशन, जिसने अरविंद केजरीवाल के पक्ष में जमकर लामबंदी की, ऐसा लगता है उनका भ्रम टूट गया.

सपने दिखाए तो उम्मीदों के आसमान पर जनता ने बिठाया
राजनीति के जानकार कहते हैं कि दिल्ली की जनता पहले भी अपने मिजाज से निर्णय लेती रही है. लोकसभा चुनाव में वह केंद्र की मजबूत सरकार नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देखती रही थी, लेकिन दिल्ली में वह आम आदमी पार्टी को ही चाहती थी. ऐसा पबीते तीन चुनावों में साफ तौर पर दिखा था, जब आम आदमी पार्टी के पहले चुनाव में 2013 में अरविंद केजरीवाल की पार्टी को 28 सीटों पर जीत मिली थी. पार्टी 28 सीटों पर जीती तो उसे अगली बार वर्ष 2015 में उससे भी जोरदार जीत हासिल की और 67 सीटों पर कब्जा कर लिया. उम्मीदों के आसमान पर खड़ी AAP पार्टी ने 2019 में भी प्रचंड बहुमत प्राप्त की थी.

राजनीति बदल देंगे जी…के दावे का भ्रम टूट गया
वह सत्ता पर काबिज हुए थे तो निश्चित तौर पर यह जनता का उनके प्रति विश्वास था भरोसा था. लेकिन, हाल के दिनों में जब उनकी कलई खुलने लगी और आम आदमी पार्टी के भ्रष्टाचार की बातें उजागर होने लगीं तो जनता ने मन बनाना शुरू कर दिया. इस क्रम में सत्येंद्र जैन, सोमनाथ भारती, मनीष सिसोदिया समेत बड़े-बड़े दिग्गज जेल में जाने लगे. शराब घोटाले के कनेक्शन के सूत्रधार अरविंद केजरीवाल बनकर सामने पाए गए तो आम आदमी के पैरों के तले जमीन खिसक गई. जाहिर तौर पर बदलाव की राजनीति का मिथक टूटा तो जनता का मन भी टूट गया.

जनता के सामने विकल्प कम…मगर दिखा दी जमीन
जिस शीला दीक्षित के खिलाफ भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर अरविंद केजरीवाल सत्ता पर काबिज हुई और आम आदमी पार्टी का दिल्ली से आगे अलग-अलग राज्यों में विस्तार भी किया, लेकिन जब ‘आप’ की राजनीति का सच सामने आया तो लोगों के दिल को दर्द पहुंचा. अब जनता भले भला करे तो क्या करे…उसके सामने विकल्प भी तो सीमित है. कांग्रेस के कमजोर है और वर्तमान भारतीय राजनीति का सबसे बड़ा चेहरा नरेंद्र मोदी तमाम हमलों के बाद भी जनता की नजर में सिरमौर बने हुए हैं. ऐसे में दिल्ली की जनता ने अरविंद, केजरीवाल, मनीष सियोदिया, सौरभ भारद्वाज, सत्येंद्र जैन और सोमनाथ भारती समेत पूरी बड़ी लीडरशिप को जमीन दिखा दी और बीजेपी पर 27 वर्षों के बाद फिर भरोसा जताया.

First Published :

February 08, 2025, 13:01 IST

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