ना किसी का गुरु-ना चेला, फिर भी इतना बढ़िया खेला, जीत गया ब्रॉन्‍ज मेडल

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Agency:News18India

Last Updated:February 04, 2025, 14:12 IST

38th National Games: विवेक पांडे की सफलता की यह कहानी प्रेरणादायक जरूर है, लेकिन यह प्रदेश में खेल सुविधाओं की कमी की ओर भी इशारा करती है. आखिर कब तक छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों के खिलाड़ी सुविधाओं के अभाव में...और पढ़ें

ना किसी का गुरु-ना चेला, फिर भी इतना बढ़िया खेला, जीत गया ब्रॉन्‍ज मेडल

विवेक ने अपने करियर की शुरुआत पावरलिफ्टिंग से की थी..

देहरादून : कहते हैं, अगर लगन और जुनून हो तो कोई भी बाधा सफलता के रास्ते में नहीं टिक सकती. उत्तराखंड के चंपावत जिले के दूरस्थ इलाके खटीमा के रहने वाले विवेक पांडे ने इसे सच कर दिखाया है. बिना किसी कोच और बिना किसी प्रोफेशनल ट्रेनिंग के सिर्फ यूट्यूब पर वीडियो देखकर उन्होंने वेटलिफ्टिंग की बारीकियां सीखीं और अपनी मेहनत के दम पर 38वें नेशनल गेम्स (38th National Games) में 109 किलोग्राम भार वर्ग में कांस्य पदक जीतकर प्रदेश का नाम रोशन किया.

वेटलिफ्टिंग ताकत का ही नहीं, बल्कि …
विवेक की यह उपलब्धि इसलिए भी खास है क्योंकि 38वें नेशनल गेम्स में वेटलिफ्टिंग में यह प्रदेश का पहला पदक है. वेटलिफ्टिंग महज वजन उठाने का खेल नहीं है, इसमें परफेक्ट टेक्निक और सही मार्गदर्शन की भी आवश्यकता होती है. मगर, जब न कोच हो, न ट्रेनिंग सेंटर तब आगे बढ़ने की राह आसान नहीं होती. इसके बावजूद विवेक ने हार नहीं मानी. उन्होंने यूट्यूब पर उपलब्ध वीडियो देखकर खुद को इस काबिल बनाया. अपनी गलतियों को खुद सुधारा और आखिरकार मेहनत रंग लाई.

अगर सुविधाएं होतीं, तो मेडल स्वर्ण का होता
विवेक ने अपने करियर की शुरुआत पावरलिफ्टिंग से की थी, लेकिन बाद में उन्होंने वेटलिफ्टिंग में कदम रखा. उनका मानना है कि अगर प्रदेश में खेल सुविधाएं और बेहतर कोचिंग मिलती, तो उनका यह पदक कांस्य नहीं, बल्कि स्वर्ण हो सकता था. उन्होंने कहा, ‘अगर मेरे पास सही ट्रेनिंग और कोचिंग होती तो मैं और भी बेहतर प्रदर्शन कर सकता था. मैं चाहता हूं कि सरकार प्रदेश में खेल सुविधाओं को बढ़ाए. इससे और भी खिलाड़ी आगे आ सकें तथा देश के लिए मेडल जीत सकें.’

यह सिर्फ एक पदक की नहीं, बल्कि संघर्ष की कहानी है
विवेक पांडे की सफलता की यह कहानी प्रेरणादायक जरूर है, लेकिन यह प्रदेश में खेल सुविधाओं की कमी की ओर भी इशारा करती है. आखिर कब तक छोटे शहरों और ग्रामीण इलाकों के खिलाड़ी सुविधाओं के अभाव में अपने सपनों से समझौता करते रहेंगे? यह सवाल सिर्फ विवेक का नहीं, बल्कि उन हजारों खिलाड़ियों का है, जो सीमित संसाधनों में खुद को साबित करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं.

Location :

Dehradun,Dehradun,Uttarakhand

First Published :

February 04, 2025, 14:12 IST

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