Last Updated:January 23, 2025, 19:41 IST
Explainer-अक्सर जिन लोगों का शरीर भारी होता है, उन्हीं को मोटापे का शिकार माना जाता है. लेकिन पतले लोगों को भी फैट चढ़ता है पर उन्हें देखकर लगता नहीं है. उनका वजन भी कंट्रोल होता है. यह फैट मोटापे से ज्यादा खतर...और पढ़ें
मोटापे से हर कोई परेशान है. अधिक फैट बॉडी की शेप को तो खराब करता ही है लेकिन व्यक्ति का कॉन्फिडेंस भी घटा देता है. लेकिन शायद आपको यह जानकर हैरानी होगी कि पतले लोग भी फैट का शिकार होते हैं. इसे skinny abdominous या bladed abdominous कहा जाता है. इसमें व्यक्ति का बॉडी मास इंडेक्स (BMI) बिल्कुल ठीक होता है इसलिए उन्हें इस फैट का अंदाजा नहीं हो पाता जो बाद में कई तरह की बीमारियों को जन्म देता है.
स्किनी फैट साइलेंट फैट है
स्किनी फैट दिखता नहीं है इसलिए इसे खतरनाक माना जाता है. स्किनी फैट में बॉडी फैट की मात्रा ज्यादा और मसल मास कम होता है. ऐसे व्यक्ति भले ही अपना बॉडी मास इंडेक्स चेक करें तो नॉर्मल रेंज में आएगा लेकिन शरीर के अंदर इस छुपे हुए फैट के चलते कई तरह की बीमारियां जन्म लेने लगती हैं. ऐसे लोगों का इंसुलिन रेजिस्टेंस होने लगता है, हाई कोलेस्ट्रॉल और हाई ब्लड प्रेशर भी रहने लगता है.
लिवर पर चढ़ता है फैट
दिल्ली के सर गंगाराम हॉस्पिटल में इंस्टीट्यूट ऑफ लिवर गैस्ट्रोलॉजी एंड पेनक्रिएटिक बाइलरी साइंस के चेयरपर्सन डॉ. अनिल अरोड़ा कहते हैं कि जब खाना बॉडी में एब्जॉर्ब होता है तो फैट भी स्टोर होता है. शरीर के लिए फैट बेहद जरूरी है. जितना फैट बॉडी को चाहिए होता है, वह खून में मिल जाता है और बाकी फैट टिश्यू में स्टोर होता रहता है. अगर बॉडी में ज्यादा फैट की मात्रा हो जाए तो सबसे पहले फैट स्किन के नीचे जमा होता है जो पेट, हिप्स, थाइज जैसी जगहों पर दिखता है. इससे व्यक्ति मोटा दिखता है. स्किन के बाद फैट लिवर, किडनी जैसी ऑर्गन पर जमा होने लगता है. वहीं, पतले लोग भले ही मोटे ना दिखें लेकिन उनके अंदर बीमार करने वाला फैट या sick abdominous होता है. यानी ऐसे लोगों में फैट को स्टोर करने की क्षमता कमजोर हो जाती है. वह जो फैट खाते हैं वह स्किन में स्टोर नहीं होता जिससे उनका फैट लिवर में जमने लगता है. यह फैट खतरनाक है.
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इंसुलिन रेजिस्टेंस और जेनेटिक डिसऑर्डर है कारण
मोटापे के शिकार व्यक्ति में सामान्य रूप से स्किन पर फैट जमा होता है लेकिन स्किनी फैट में ऐसा नहीं होता. यह lipodystrophy नाम के जेनेटिक डिसऑर्डर के कारण हो सकता है. वहीं इसकी दूसरी वजह इंसुलिन रेजिस्टेंस होती है. व्यक्ति जो खाना खाता है वह ग्लूकोज में बदलता है. यह ब्लड में इंसुलिन बनाता है. इस हार्मोन से ब्लड शुगर का लेवल कंट्रोल रहता है लेकिन इंसुलिन रेजिस्टेंस में बॉडी के सेल्स इंसुलिन बनने पर रिस्पॉन्स नहीं करते और ग्लूकोज सेल्स में नहीं घुस पाता जिससे ब्लड शुगर बढ़ जाती है. बता दें इसी इंसुलिन की वजह से फैट फैट सेल्स तक पहुंचता है जो इंसुलिन रेजिस्टेंस के कारण मुमकिन नहीं हो पाता.
मोटे लोगों में होता है हेल्दी फैट!
डॉ. अनिल अरोड़ा अपना अनुभव साझा करते हुए कहते हैं कि अक्सर लोग फैट को खराब मानते हैं लेकिन फैट अच्छा भी होता है क्योंकि यही बॉडी को कैलोरी देता है और एनर्जी बनाए रखता है. अगर व्यक्ति 2 दिन कुछ ना खाए तो बॉडी में स्टोर फैट उसे ताकत देता है. यह देखने में आया है कि जो लोग मोटापे का शिकार होते हैं, उनमें कुछ मात्रा में हेल्दी फैट भी होता है. अगर ऐसे व्यक्ति की तबीयत बिगड़ती है और वह अस्पताल में भर्ती हो तो उसका फैट ही उसे खतरे से बचा लेता है. इसे ओबेसिटी पैराडॉक्स कहते हैं. वहीं स्किनी फैट के लोगों के साथ ऐसा नहीं होता है जो उन्हें खतरनाक स्थिति में पहुंचा सकता है.
फैट को समझें
शरीर में कई तरह का फैट होता है. वाइट फैट सामान्य फैट है जो हिप्स, पेट या जांघों पर होता है. ब्राउन फैट हेल्दी फैट है. यह बचपन में होता है. इससे शरीर को सुरक्षा मिलती है. पिंक फैट प्रेग्नेंसी में और ब्रेस्ट फीडिंग में महिलाओं को चढ़ता है. बेज फैट वाइट और ब्राउन फैट का कॉम्बिनेशन होता है. इससे कैलोरी बर्न होती हैं और शरीर का तापमान नियंत्रित रहता है. विसरल फैट सबसे खतरनाक होता है क्योंकि यह शरीर के अंगों पर जमा होता है. स्किनी फैट इसी कैटिगरी के फैट में आता है. इसे मेटाबोलिज्म बिगड़ता है और हॉर्मोन्स असंतुलित हो जाते हैं.
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ऐसे पता करें स्किनी फैट
जो युवा है, स्लिम बॉडी है, शराब नहीं पीते और फिर भी डायबिटीज है तो वह स्किनी फैट के शिकार हो सकते हैं. कुछ लोगों की पूरी फैमिली पतली होती है लेकिन शुगर की बीमारी हो तो ऐसा हो सकता है. स्किनी फैट का पता अल्ट्रासाउंड या लिवर फंक्शन टेस्ट से लगाया जा सकता है. ऐसे लोगों का फैटी लिवर आता है और लिवर फंक्शन की रिपोर्ट एब्नॉर्मल होती है.
डाइट और एक्सरसाइज से होगा सुधार
स्किनी फैट में वजन तो घटाया जा नहीं सकता इसलिए इसे डाइट और एक्सरसाइज से कंट्रोल किया जा सकता है. एक्सरसाइज से इंसुलिन की सेंसिटिविटी सुधरती है और डाइट से फैटी लिवर पर फर्क पड़ता है. ऐसे लोगों को डाइट में कम से कम फैट और ज्यादा से ज्यादा प्रोटीन को शामिल करना चाहिए.
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Delhi,Delhi,Delhi
First Published :
January 23, 2025, 19:41 IST