प्राइवेट पार्ट में फंस गई अंगूठी, 2 दिन तक चुप रहा बच्चा, जब पता चला तो...

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Agency:Local18

Last Updated:February 11, 2025, 14:38 IST

Kerala: त्रिशूर में 12 साल के बच्चे के प्राइवेट पार्ट में फंसी स्टील की मोटी अंगूठी को निकालने में डॉक्टरों को कड़ी मेहनत करनी पड़ी. डर के कारण बच्चे ने दो दिनों तक इस घटना के बारे में किसी को नहीं बताया.

प्राइवेट पार्ट में फंस गई अंगूठी, 2 दिन तक चुप रहा बच्चा, जब पता चला तो...

प्रतीकात्मकत तस्वीर

आपने कभी सोचा है कि एक छोटी सी अंगूठी किसी की जान के लिए खतरा बन सकती है? जी हां, ऐसा ही एक हैरान करने वाला मामला सामने आया है त्रिशूर मेडिकल कॉलेज अस्पताल से. यहां एक 12 साल के बच्चे के प्राइवेट पार्ट में एक स्टील की मोटी अंगूठी फंस गई थी, जिससे उसकी जान पर बन आई थी. ये सब हुआ नहाते समय, जब बच्चा गलती से अंगूठी पहनने के बाद उसे निकाल नहीं सका और वह अंदर फंस गई.

बच्चे ने क्यों नहीं बताई बात?
जब अंगूठी बच्चे के गुप्तांग में फंसी, तो वह काफी डर गया और दो दिनों तक इस बारे में अपने माता-पिता से कुछ नहीं बोला. इस डर की वजह से अंगूठी और ज्यादा कस गई, जिससे बच्चे के जननेंद्रिय में सूजन और पानी भरने की समस्या पैदा हो गई. अब अंगूठी को बाहर निकालने में और भी दिक्कत आ रही थी, क्योंकि वह पहले से ज्यादा टाइट हो चुकी थी.

पारिवारिक चिंताएं और अस्पताल में इलाज
तीसरे दिन जब बच्चे के परिवार को इस परेशानी का पता चला, तो उन्होंने तुरंत बच्चे को त्रिशूर मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती करा दिया. यहाँ की टीम ने तुरंत स्थिति का मूल्यांकन किया और इलाज शुरू कर दिया. डॉक्टरों ने देखा कि अंगूठी बहुत ज्यादा मोटी और कसकर फंसी हुई थी, जिससे इसे बाहर निकालना बहुत मुश्किल हो गया था.

डॉक्टरों ने कैसे निकाली अंगूठी?
इस गंभीर स्थिति से बाहर निकलने के लिए डॉक्टरों ने खास तरीके से इलाज किया. पहले तो डॉक्टरों ने सामान्य स्टील कटर से अंगूठी निकालने की कोशिश की, लेकिन यह तरीका काम नहीं आया. फिर उन्होंने इलेक्ट्रिक कटर का इस्तेमाल किया. इस कटर के जरिए बहुत मेहनत से अंगूठी को काटा गया और बच्चे को राहत मिली.

इलाज के बाद बच्चे की सेहत
इलाज के बाद बच्चे की हालत में सुधार हुआ और दो दिनों के भीतर उसे पूरी तरह से ठीक कर दिया गया. अब वह बिल्कुल स्वस्थ है. शिशु शल्य चिकित्सा विभाग के प्रमुख डॉ. निर्मल भास्कर ने बताया कि इस तरह की घटनाओं में समय पर इलाज करना बहुत जरूरी होता है. डॉ. भास्कर के साथ डिप्टी सुपरिंटेंडेंट डॉ. पी.वी. संतोष, डॉ. शशिकुमार, डॉ. जितिन, डॉ. जोस, हाउस सर्जन डॉ. शिफाद, और सीनियर नर्सिंग ऑफिसर श्रीदेवी शिवन की टीम ने मिलकर सफलतापूर्वक इस बच्चे की जान बचाई.

First Published :

February 11, 2025, 14:37 IST

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