बदसूरत कहकर परिवार ने ठुकराया, बॉलीवुड डांसर बन गई बनारस की ये लड़की, रेखा-काजोल की रहीं गुरु, पहचाना?

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Sitara Devi Image Source : INSTAGRAM हिंदी सिनेमा की 'कथक क्वीन' के नाम से थीं मशहूर

बॉलीवुड में कई ऐसी अदाकाराएं रहीं जिन्होंने अपने दमदार अभिनय और डांस से लोगों के दिल जीते। लेकिन, असल जिंदगी काफी दर्दभरी भी रही। फोटो में नजर आ रही इस लड़की की जिंदगी भी कुछ ऐसी ही रही। बनारस में जन्मी इस लड़की को बदसूरत कहकर इनके ही परिवार ने खुद से अलग कर दिया था, लेकिन फिर ये अपनी मेहनत के दम पर कामयाब सितारा बनीं और आगे चलकर इन्हें 'नृत्य सम्राज्ञी' कहलाईं। इन्होंने ही हिंदी सिनेमा का नृत्य से परिचय कराया था और सिनेमा में डांस को अलग ही लेवल पर ले गईं। बचपन में इन्हें इनके माता-पिता ने अपने घर में काम करने वाली नौकरानी को सौंप दिया था, फिर ये कैसे हिंदी सिनेमा की नृत्य सम्राज्ञी बनीं? आईये जानते हैं।

धनलक्ष्मी था सितारा देवी का नाम

फोटो में नजर आ रही लड़की कोई और नहीं बल्कि कथक क्वीन के नाम से मशहूर रहीं सितारा देवी हैं। सितारा देवी ने अपने डांस के हुनर से खूब शौहरत बटोरी, लेकिन असल जिंदगी दुखों से भरी रही। सितारा देवी का जन्म कोलकाता में हुआ था और उनका नाम धनलक्ष्मी रखा गया। सितारा देवी का परिवार बनारस का रहने वाला था, लेकिन फिर कोलकाता में बस गया। उनके पिता का नाम सुखदेव महाराज था जो संस्कृत के विद्वान थे और कथक सिखाते थे। उनका नृत्य कौशल बनारस और लखनऊ घरानों में शामिल था।

रवींद्रनाथ टैगोर ने दी 'नृत्य सम्राज्ञी' की उपाधि

जब सितारा देवी 11 साल की थीं, उनका परिवार मुंबई चला आया। मुंबई आने पर सितारा देवी ने इतिया बेगम पैलेस में रवींद्रनाथ टैगोर, सरोजनी नायडू और सर कोवासजी जहांगीर के समक्ष नृत्य प्रस्तुति दी। रवींद्रनाथ टैगोर उनके नृत्य कौशल से बेहद प्रभावित हुए और फिर कई आयोजनों में नृत्य के लिए बुलाया और उन्होंने ही सितारा देवी को 'नृत्य सम्राज्ञी' की उपाधि से नवाजा। जब वह 12 साल की हो गईं तो फिल्मों में नृत्य प्रस्तुति देना शुरू कर दिया। 1940 में रिलीज हुई उषा हरण, 1938 में आई रोटी, 1951 में आई नगीना में उन्होंने परफॉर्म किया। वहीं 1957 में आई मदर इंडिया में उन्होंने पुरुष वेश में होली नृत्य करके सबका मन मोह लिया, लेकिन इसके बाद उन्होंने नृत्य करना बंद कर दिया।

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सितारा देवी को रवींद्रनाथ टैगोर ने नृत्य सम्राज्ञी की उपाधि दी थी।

उतार-चढ़ाव से भरी रही पर्सनल लाइफ

जब सितारा देवी 8 साल की थीं तभी उनकी पहली शादी हुई थी, लेकिन नृत्य शिक्षा पर फोकस करने के लिए उन्होंने ये शादी तोड़ दी। फिर उन्होंने अपने से 16 साल बड़े नजीर अहमद से शादी कर ली। इस शादी के लिए उन्होंने अपना धर्म बदल लिया, दोनों हिंद पिक्चर्स स्टूडियो में पार्टनर थे। फिर दोनों में अनबन शुरू हो गई और सितारा देवी पति नजीर अहमद के भतीजे के, आसिफ के करीब आ गईं। 1944 में पति को छोड़ सितारा देवी ने के आसिफ से शादी कर ली। लेकिन, फिर के आसिफ ने ही सितारा देवी की दोस्त से दूसरी शादी कर ली और फिर दिलीप कुमार की बहन से तीसरी शादी रचा ली।

प्रताप बरोट से की शादी

के आसिफ से अलग होने के बाद सितारा देवी ने गुजराती बिजनेसमैन प्रताप बरोट से शादी कर ली। दोनों का एक बेटा भी हुआ, लेकिन ये शादी भी लंबे समय तक नहीं टिक पाई। दोनों का एक बेटा भी जिसका नाम दोनों ने रंजीत रखा। रंजीत बरोट एक जाने-माने म्यूजिशियन हैं। वह ए आर रहमान के एसोशिएट भी रह चुके हैं। नृत्य और कला में योगदान के लिए सितारा देवी को पद्मश्री पुरस्कार और संगीत नाटक एकेडमी अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। उन्हें पद्मभूषण से भी सम्मानित किया गया था, लेकिन उन्होंने ये कहते हुए इस अवॉर्ड को ठुकरा दिया कि उन्होंने खुद के लिए भारत रत्न की मांग की थी।

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