Agency:Local18
Last Updated:February 04, 2025, 13:19 IST
India's Tiger population: भारत ने शेरों के संरक्षण में ऐतिहासिक सफलता हासिल की है. दुनिया के 75% शेर अब भारत में पाए जाते हैं. 2010 में जहां बाघों की संख्या 1,700 थी, अब 2022 में यह बढ़कर 3,600 से ज्यादा हो गई ...और पढ़ें
भारत ने बाघों के संरक्षण में एक ऐतिहासिक सफलता हासिल की है. 2010 में भारत में करीब 1,700 बाघ थे, लेकिन अब 2022 तक उनकी संख्या बढ़कर 3,600 से भी ज्यादा हो गई है. यानी, सिर्फ 12 साल में बाघों की संख्या दोगुनी हो चुकी है. आज, दुनिया के करीब 75% बाघ भारत में रहते हैं. यह वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक बड़ी सफलता है और भारत के लिए गर्व का विषय है.
कैसे हुआ यह चमत्कार?
भारत में बाघों की बढ़ती आबादी के पीछे सरकार और समाज का सामूहिक प्रयास है. कुछ महत्वपूर्ण कदम उठाए गए, जिनकी वजह से बाघों की संख्या में यह शानदार वृद्धि देखी गई:
- शिकार पर रोक: बाघों का शिकार करने पर पूरी तरह से पाबंदी लगाई गई.
- बाघों के जंगलों की सुरक्षा: बाघों के रहने वाले जंगलों को पूरी तरह से सुरक्षित किया गया ताकि वे अपना जीवन बिना किसी खतरें के जी सकें.
- प्राकृतिक शिकार की संख्या बनाए रखना: बाघों के शिकार (जैसे हिरण) की संख्या पर ध्यान दिया गया ताकि बाघों के लिए पर्याप्त भोजन मिलता रहे.
- इंसान-बाघ संघर्ष को कम करना: लोगों को बाघों से जुड़ी जानकारी दी गई और गांवों में बाघों से जुड़े संघर्षों को कम करने के उपायों पर काम किया गया.
लोगों का सहयोग बना राज
वैज्ञानिक यदवेंद्रदेव झाला का कहना है, “बाघों के संरक्षण में सबसे महत्वपूर्ण चीज़ है लोगों का नजरिया.” भारत में जहां जनसंख्या ज्यादा है, वहीं लोग अब बाघों के साथ शांतिपूर्वक जीना सीख चुके हैं. बाघों के जंगलों में रहने वाले लोग अब बाघों को खतरा नहीं, बल्कि रोजगार और पर्यटन का साधन मानते हैं.
पर्यटन से बाघों को मिल रहा फायदा
भारत में बाघों के संरक्षण के साथ-साथ ‘एकोटूरिज़्म’ यानी प्रकृति पर्यटन को भी बढ़ावा मिला है. मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और महाराष्ट्र जैसे राज्यों में लाखों पर्यटक बाघों को देखने आते हैं. इससे स्थानीय लोगों को गाइड, होटल, परिवहन जैसे रोजगार के मौके मिल रहे हैं. इसके अलावा, बाघों के हमले में मारे गए जानवरों का मुआवज़ा भी दिया जा रहा है, जिससे ग्रामीणों का गुस्सा कम हो गया है.
चुनौतियाँ अभी भी बाकी हैं
हालांकि भारत ने बाघों की संख्या में जबरदस्त वृद्धि की है, लेकिन अभी भी कुछ राज्य ऐसे हैं जहां बाघों की संख्या कम है. ओडिशा, छत्तीसगढ़ और झारखंड जैसे राज्यों में बाघों की संख्या अभी भी कम है. इन राज्यों में नक्सल समस्या, गरीबी और शिकार की घटनाएँ संरक्षण में रुकावट पैदा कर रही हैं.
दुनिया के लिए मिसाल
भारत के इस सफर से पूरी दुनिया को सीख मिल सकती है. ‘साइंस’ जर्नल में प्रकाशित एक अध्ययन में यह बताया गया है कि भारत के अनुभव से अन्य देशों, जैसे नेपाल और इंडोनेशिया, भी अपने बाघों के संरक्षण में सफलता हासिल कर सकते हैं.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
February 04, 2025, 13:19 IST