Last Updated:February 11, 2025, 14:23 IST
भारतीय रेलवे की प्रीमियम ट्रेन मानी जाने वाली राजधानी एक्सप्रेस अगर 5-6 घंटे लेट हो जाए तो जरा सोचिए कि आम ट्रेनों से आप क्या उम्मीद करेंगे. इस प्रीमियम ट्रेन का किराया भी आम ट्रेनों से दोगुना है. आज मैं आपको उ...और पढ़ें
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राजधानी एक्सप्रेस के 6 घंटे लेट होने के कारण काफी परेशानी हुई.
नई दिल्ली. 9 फरवरी को मेरी ट्रेन सियालदह से थी. मुझे अपने परिवार के साथ नई दिल्ली पहुंचना था. 12312 राजधानी एक्सप्रेस सियालदह से ही 5 मिनट देरी से चली. हमारी ट्रेन सियालदह से शाम 4:55 बजे चलनी शुरू हुई. मैं, मेरी पत्नी और मेरे दो छोटे बच्चे ट्रेन में यात्रा कर रहे थे. अगले दिन यानी 10 फरवरी को मुझे किसी भी कीमत पर ऑफिस ज्वाइन करना था. सबसे पहले मैंने सोचा कि हावड़ा से सुबह 8:15 बजे चलने वाली पूर्वा एक्सप्रेस ट्रेन में टिकट बुक कर लूं ताकि मैं अगले दिन सुबह 6-7 बजे तक नई दिल्ली पहुंच जाऊं.
फिर मैंने देखा कि यह ट्रेन हावड़ा से नई दिल्ली पहुंचने में 21-22 घंटे लगा रही है. मेरे साथ 2 छोटे बच्चे भी थे. मैंने सोचा कि बच्चे 21-22 घंटे ट्रेन में कैसे बिताएंगे. फिर मैंने राजधानी में टिकट बुक करने का फैसला किया, हालांकि इसका किराया पूर्वा एक्सप्रेस से दोगुना था, लेकिन राजधानी मुझे सिर्फ 18 घंटे में नई दिल्ली पहुंचाने वाली थी. खाने-पीने का भी इंतजाम था, लेकिन मेरी सारी योजनाएं बेकार चली गईं. भारतीय रेलवे की प्रीमियम ट्रेन कही जाने वाली राजधानी भी 5-6 घंटे लेट हो गई, जिसकी वजह से मुझे 5 समस्याओं का सामना करना पड़ा. आइए, आपको बताते हैं कि वो 5 कौन-कौन सी समस्याएं थीं.
1. बच्चों का हुआ बुरा हाल…
वैसे तो छोटे बच्चों के लिए 18 घंटे का सफर भी परेशानियों से भरा होता है, फिर भी हम किसी तरह इसे मैनेज कर लेते हैं. किसी तरह बच्चे रात को सो गए. फिर हमने सोचा कि हम सुबह 11 बजे तक नई दिल्ली पहुंच जाएंगे. आमतौर पर छोटे बच्चे सुबह 9 बजे ही जाग जाते हैं. सुबह 7 बजे जब मैं उठा तो देखा कि ट्रेन अभी कानपुर नहीं पहुंची है. जब मैंने ट्रेन का स्टेटस चेक किया तो पता चला कि ट्रेन 4 घंटे लेट है. देखते ही देखते ट्रेन 6 घंटे लेट हो गई. इस दौरान बच्चे रो रहे थे, गुस्सा हो रहे थे… बच्चे बहुत हैरान और परेशान थे. उन्हें संभालना बहुत मुश्किल था.
2. ट्रेन लेट होने पर खाने को सिर्फ खिचड़ी…
सबसे चौंकाने वाली बात यह थी कि ट्रेन लेट होने पर हमें दोपहर में एक छोटे से डब्बे में खिचड़ी खाने को दी गई, वो भी बहुत तीखी थी. मेरे परिवार में कोई भी मसालेदार खाना नहीं खाता. ऐसे में हम मसालेदार खिचड़ी भी नहीं खा पाए. लेट होने के बावजूद, प्रीमियम ट्रेनों में सफर करने वालों को तो सही डाइट मिलनी चाहिए थी. हमने सोचा कि रोटी-चावल मिल जाए तो हम अपने बच्चों को भी खिला पाएंगे, लेकिन हम बिस्किट, नमकीन और केक के भरोसे शाम को नई दिल्ली पहुंच गए.
3. सारी प्लानिंग हुई फेल…
मैं सियालदह से पूरी प्लानिंग करके निकला था, ताकि मैं अपना ऑफिस भी जॉइन कर सकूं. बच्चे भी समय पर घर पहुंच जाएंगे और खाना खाएंगे. मेरी पत्नी को भी कुछ काम था, जो समय पर पूरा हो जाता, लेकिन राजधानी के लेट होने की वजह से हमारी सारी प्लानिंग फेल हो गई. जब तक हम घर पहुंचे, हमने जो सोचा था, सब उल्टा हो गया.
4. अधिक पैसों का खर्च होना…
अब जब ट्रेन लेट हो गई और हमें दोपहर में खाने के लिए खिचड़ी मिलने लगी, जो काफी तीखी थी… तो हम उसे खा भी नहीं पाए, तो जैसा कि मैंने ऊपर बताया कि हम बिस्किट, नमकीन और केक के भरोसे 5-6 घंटे में नई दिल्ली पहुंच गए, तो इसमें ज्यादा पैसे खर्च हो गए. हमें पानी की बोतल भी खरीदनी पड़ी.
5. स्टेशन से घर पहुंचना हुआ दुर्लभ…
हम सभी जानते हैं कि शाम के समय नई दिल्ली की सड़कों पर इतना ट्रैफिक होता है कि 17 किलोमीटर का सफर 34 किलोमीटर में बदल जाता है. मेरे कहने का मतलब यह है कि आमतौर पर अगर मैं सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे के बीच नई दिल्ली स्टेशन से अपने घर जाता हूं तो 17 किलोमीटर का सफर 45 से 60 मिनट में पूरा हो जाता है, लेकिन 10 फरवरी को राजधानी के लेट होने की वजह से मुझे 1.5 से 2 घंटे लग गए. कुल मिलाकर सोमवार को मेरा काफी समय बर्बाद हुआ.
(डिस्क्लेमर: ये लेखक के निजी विचार हैं. लेख में दी गई किसी भी जानकारी की सत्यता/सटीकता के प्रति लेखक स्वयं जवाबदेह है. इसके लिए News18Hindi उत्तरदायी नहीं है.)
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
February 11, 2025, 14:19 IST