श्रीराम के वंशज का क्यों हो गया था पांडवों से बैर?

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Last Updated:February 06, 2025, 15:32 IST

Mahabharat Katha श्री राम के पौत्र का नाम था बृहद्बल. कहा जाता है कि जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ तो वो पांडवों के खिलाफ युद्ध करना चाहते थे लेकिन उसके इस निर्णय के पीछे एक गहरा कारण छुपा था?

श्रीराम के वंशज का क्यों हो गया था पांडवों से बैर?

महाभारत कथा

हाइलाइट्स

  • बृहद्बल ने महाभारत युद्ध में पांडवों को ललकारा।
  • पांडवों से हार के बाद बृहद्बल ने बदला लेने की ठानी।
  • महाभारत के तेरहवें दिन अभिमन्यु ने बृहद्बल को हराया।

Mahabharat Katha: महाभारत के युद्ध में कई वीर योद्धाओं ने अपनी वीरता और पराक्रम का प्रदर्शन किया. इनमें से कुछ योद्धा ऐसे भी थे जिनके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. ऐसे ही एक योद्धा थे श्री राम के पौत्र जिन्होंने महाभारत के युद्ध में पांडवों को ललकारा था. श्री राम के पौत्र का नाम था बृहद्बल. वे श्री राम के पुत्र कुश के वंशज थे. बृहद्बल एक महान योद्धा थे और उन्होंने महाभारत के युद्ध में पांडवों के खिलाफ युद्ध किया था.

महाभारत युद्ध
कहा जाता है कि जब महाभारत का युद्ध शुरू हुआ तो बृहद्बल भी इस युद्ध में शामिल होना चाहते थे. वे पांडवों के खिलाफ युद्ध करना चाहते थे लेकिन उसके इस निर्णय के पीछे एक गहरा कारण छुपा था?
बात उस समय की है जब पांडव इंद्रप्रस्थ के स्वामी बने और उन्होंने राजसूय यज्ञ करने का निश्चय किया. यज्ञ के बाद, युधिष्ठिर ने अपने भाइयों को विश्व के सभी राज्यों पर अपना आधिपत्य स्थापित करने के लिए भेजा. भीम, नकुल, सहदेव और अर्जुन अपनी-अपनी दिशाओं में निकले.

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राजा बृहद्बल हुए पराजित
इसी क्रम में भीम अयोध्या पहुंचे और वहां के राजा बृहद्बल को पराजित करके अयोध्या को अपने अधीन कर लिया. यह हार बृहद्बल के हृदय में एक गहरी चोट बनकर रह गई. उन्होंने इसे अपना अपमान समझा और पांडवों से बदला लेने की ठान ली.

महाभारत युद्ध में पांडवों को ललकारा
रासमय आया महाभारत के युद्ध का और बृहद्बल ने कौरवों का साथ देने का निर्णय लिया. उनका एकमात्र लक्ष्य था पांडवों को उनकी इस जीत का दंड देना. हालांकि श्रीकृष्ण की सलाह पर बृहद्बल ने युद्ध में अपनी पूरी शक्ति का उपयोग नहीं किया. बृहद्बल ने अपनी सेना के साथ पांडवों पर आक्रमण कर दिया. उन्होंने पांडवों को कड़ी टक्कर दी लेकिन अंत में वे हार गए. महाभारत के तेरहवें दिन अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु के हाथों बृहद्बल वीरगति को प्राप्त हुए. उनका बदला लेने का स्वप्न अधूरा रह गया लेकिन उनकी कहानी आज भी हमें याद दिलाती है कि हर युद्ध की अपनी एक पृष्ठभूमि होती है और हर योद्धा के अपने कारण.

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पांडवों को दी कड़ी चुनौती
हालांकि बृहद्बल के बारे में बहुत कम जानकारी मिलती है. ऐसा माना जाता है कि वे एक शक्तिशाली योद्धा थे और उन्होंने पांडवों को कड़ी चुनौती दी थी. यह भी कहा जाता है कि बृहद्बल की मृत्यु के बाद उनके पुत्र ने अयोध्या पर शासन किया.

महाभारत के युद्ध में बृहद्बल का योगदान बहुत महत्वपूर्ण था. उन्होंने पांडवों को यह अहसास कराया कि उन्हें कमजोर नहीं समझा जाना चाहिए. कभी भी किसी को कम नहीं आंकना चाहिए. हर व्यक्ति में अपनी क्षमताएं होती हैं और वह किसी भी चुनौती का सामना कर सकता है.

First Published :

February 06, 2025, 15:32 IST

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