हादसे में गवांने पड़े पैर, फिर भी इस युवक ने नहीं लिया बैसाखी का सहारा

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Agency:News18 Bihar

Last Updated:February 12, 2025, 15:18 IST

एक युवक जिले के हनुमान नगर प्रखंड क्षेत्र के अरैला गांव का है, जो 22 अप्रैल 2022 को अपनी बहन के लिए लड़का देखने मुजफ्फरपुर जिला के बेनीबाद क्षेत्र के गांव में गया था. बहन की शादी की चिंता लिए वापस वहां से लौट र...और पढ़ें

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युवक

युवक की इमोशनल स्टोरी

हाइलाइट्स

  • सड़क दुर्घटना में युवक ने एक पैर खोया.
  • अब असहाय लोगों और जानवरों की मदद कर रहे हैं.
  • सोशल साइट्स पर लोग आर्थिक मदद भी कर रहे हैं.

दरभंगा:- जज्बात जब कुछ कर गुजरने का हो, तो फिर आपकी शारीरिक परेशानी या विकलांगता भी उसे ठेस नहीं पहुंचा सकती. इसका ताजा उदाहरण यदि हम आपको दें, तो दरभंगा जिले का एक ऐसा युवक है, जिसे तकरीबन 3 वर्ष पूर्व एक सड़क दुर्घटना में अपनी एक पैर गंवानी पड़ी . दरअसल यह युवक जिले के हनुमान नगर प्रखंड क्षेत्र के अरैला गांव का है, जो 22 अप्रैल 2022 को अपनी बहन के लिए लड़का देखने मुजफ्फरपुर जिला के बेनीबाद क्षेत्र के गांव में गया था. बहन की शादी की चिंता लिए वापस वहां से लौट रहा था, जिस दौरान बेनीबाद थाना क्षेत्र के ही बोरबारी के पास सड़क दुर्घटना में अपना बायां पैर खो दिया. इसके बाद इस युवक के लाइफ में दर्दभरी कहानी (इमोशनल स्टोरी) की शुरुआत होती है.

सबसे पहले तो इलाज के दौरान कई बार डॉक्टर से इस युवक ने निवेदन किया कि इन्हें मार दिया जाए. कई बार इसने आत्महत्या करने का भी प्रयास किया. लेकिन किस्मत को कुछ और ही मंजूर था. बाद में जाकर यह युवक अब बेजुबान जानवरों के साथ और सहायक लोगों की मदद के लिए मसीहा बन गया. आज सोशल साइट के जरिए इसके कारनामे देखकर कई सारे लोग इसे आर्थिक मदद भी करते हैं, ताकि यह आगे उन असहाय लोगों की मदद कर सके.

गाड़ी के धक्के से एक पैर गंवाया
रामेश्वर यादव लोकल 18 को बताते हैं कि सड़क दुर्घटना में मैंने अपने एक पैर खोया है और अपने एक भाई को भी खोया है. अपनी बहन की शादी के लिए रिश्ता देखकर लौट रहे थे, जिस दौरान रॉन्ग साइड आकर एक गाड़ी ने मुझे धक्का मार दिया. इसमें मेरे एक बड़े भाई चाचा के लड़का की मौत हो गई और मेरा पैर कट गया. किसी तरह मेरे परिवार वालों ने मुझे बचा लिया और इस दुर्घटना के बाद बहुत ही ज्यादा कर्ज में हम डूब चुके थे. 3,85000 का मेडिकल बिल मेरा बना था, इस दुर्घटना के बाद लगभग 500000 रुपए का पूरा खर्च मुझे ठीक होने में लग गया.

सब कुछ छूट चुका था, जीने की भी आस हम छोड़ चुके थे. लेकिन फिर हमने अपने आप को मोटिवेट किया. मैंने डॉक्टर से भी कितनी बार रिक्वेस्ट किया कि आप मुझे मौत दे दीजिए, क्योंकि हम अपने घर में सबसे जिम्मेदार व्यक्ति हैं और पूरे घर की जिम्मेदारी मेरे ही ऊपर है. मैंने कई बार अपने आप को खत्म करने का भी प्रयास किया, लेकिन सभी जगह बच गए. कितनी बार तो आत्महत्या करने की कोशिश की, लेकिन फिर भी बच गया.

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दान करने पर अंदर से मिलता है सुकून
उसके बाद फिर से मैं बाइक चलाना सीखा. अपने एक पैरों से अब जो जरूरतमंद है, उन्हें मैं डोनेट करता हूं. जो भी मेरे पास है, मैं उसी से उनकी मदद करता हूं. मेरा मानना है कि अगर मुझे यदि दाल रोटी मिल जाए, तो मैं किसी और की तलाश में नहीं जाता. ऐसा करने से मुझे अंदर से एक सुकून मिलता है. यदि मेरी वजह से किसी का पेट भर रहा है, तो वह काम करना चाहिए.

पारिवारिक स्थिति बहुत ही खराब है, फिर भी जरूरतमंद को कभी किसी को हम कंबल डोनेट कर देते हैं, कभी 100 से 50 लोगों को खाना खिला देते हैं. इसको दवा की जरूरत है, उसको अपने पैसों से मैं दवा उपलब्ध कराता हूं. मेरा सपना भी था कि नीट क्वालीफाई करके एमबीबीएस डॉक्टर बनना. खुद भूखे रहते हैं, लेकिन दूसरे को कई बार मैंने खाना खिलाया है. एक छोटा सा दुकान है, उससे कुछ इनकम है और दोस्तों के सहयोग से मैं ऐसा कर पा रहा हूं.

Location :

Darbhanga,Bihar

First Published :

February 12, 2025, 15:18 IST

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