Last Updated:January 20, 2025, 08:01 IST
दो प्रकार की नसों में से एक तरह की नस साफ खून को दिल से शरीर के हिस्सों में पहुंचाती है. ऐसे बहुत सारी नसों में से एक हमारे हाथों में होती है, जो हमारे पैदा होने से पहले तो होती है, लेकिन वह...और पढ़ें
शरीर विज्ञान के एक्सपर्ट्स हमारे शरीर की नस नस से वाकिफ हैं. चाहे छोटी हो या बड़ी वे यह भी जानते हैं कि नसें क्या क्या काम करती हैं, कहां कहां खून पहुंचाती हैं और कहां से खून दिल तक पहुंचाती हैं. दिल पर पहुंचने के बाद ही खून किडनी यानी गुर्दों में जाता है और फिर वहां से साफ खून फिर नसों के जरिए शरीर के कोने कोने में पहुंचता है. पर एक स्टडी में वैज्ञानिकों ने खोजा है कि एक नस जो हमारे शरीर में पैदा होने से पहले रहा करती है जो बाद में गायब हो जाती थी, अब लंबे समय तक कायम रहती है.
किसने की रिसर्च
ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटी ऑफ एडिलेडऔर फ्लिडर्स यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता की स्टडी के मुताबिक हमारी बांह के बीच से गुजरने वाली अस्थायी नस (आर्टरी) अब उतनी आसानी से गायब नहीं होती है जितनी की पहले हुआ करती थी. इसका मतलब है कि दुनिया में पहले से ज्यादा ऐसे वयस्क हैं जिनकी कलाई के नीचे यह नस मौजूद है.
19वीं सदी और फिर 20वीं सदी के लोगों में
फ्लिंडर्स विश्वविद्यालय के शरीरविज्ञानी तेघन लूकस का कहना हैकि 18वीं सदी से शरीरविज्ञानी इस धमनी का अध्ययन कर रहे हैं और उन्होंने यही पाया है कि इस नस वाले वयस्कों की संख्या बढ़ती ही जा रही है. 1880 के दशक में यह केवल 10 फीसदी लोगों में दिखाई देती थी. लेकिन 20वीं सदी के उत्तरार्द्ध में 30 फीसदी हो गई. विकासक्रम के लिहाज से यह बहुत ही कम समय में बढ़ी है.
इस हाथ की नस का काम इंसान के पैदा होने के बाद दो दूसरी नसों में बंट जाता था. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
दूसरी नसें करने लगी हैं उसका काम
यह नस सभी इंसानों में शुरुआत से ही ही है और हाथ को खून पहुंचाने का काम करती है. जब भ्रूण 8 सप्ताह का होता है तो यह धीरे धीरे खत्म होता है और इसका काम दो दूसरी नसों में बंट जाता है ये नस रेडियल और अलनर आर्टरीज कहलाती हैं. शरीर विज्ञानी यह जानते ते कि इस नस का गायब होने गारंटी नहीं है. कुछ मामलों में यह नस एक महीने या उसके आसपास तक बनी रहती है.
कैसे किया अध्ययन?
कई बार देखा गया था कि पैदा होने के बाद भी शिशु में वह बांह या फिर हाथ को खून देने का काम कर रही थी. लेकिन यह जानने के लिए कि यह नस क्या ज्यादा लोगों में रहने लगी है, शोधकर्ताओं ने यूरोपीय वंशजों के ऑस्ट्रेलियाई मृत शरीरों के 80 हाथों का अध्ययन किया. दानदाता 51 से 101 साल की उम्र के बीच के थे, जो सभी के सभी 20 सदी के पूर्वार्द्ध में पैदा हुए थे.
वैज्ञानिकों को कहना है कि नसों में इस बदलाव को कई तरह के असर देखने को मिल सकते हैं. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
चौंकाने वाला था खुलासा
जर्नल ऑफ एनॉटमी में प्रकाशित इस अध्ययन में शोधकर्ताओं ने यह पता लगाया कि यह नस कितने लोगों में अच्छे से खून को बहाया करती थी. इसके बाद उन्होंने इस जानकारी की तुलना पुराने रिकॉर्ड में खोजा. यह तथ्य कि यह नस पिछली सदी की तुलना में आज तीन गुना ज्यादा सक्रिय है एक चौंकाने वाला खुलासा था.
फायदा और नुकसान दोनों
इससे पता चलता है कि प्राकृतिक चयन उन्होंने लोगों में देख को मिला जिनके शरीर में खून का बहाव कुछ अधिक था. लेकिन एक तरफ इससे हाथ को ज्यादा ताकत मिलती है, लोगों में कार्पल टनल सिंड्रोम होने की संभावना भी बढ़ती है जिसमें इंसान हाथ का इस्तेमाल नहीं कर पाता है. कारण चाहे जो हो शोध बताता है कि साल 2100 तक अधिकांश लोगों में यह नस जीवन भर काम करती दिखेगी.
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शोधकर्ताओं का कहना है कि इंसानों में इसी तरह से फैबेला नाम की घुटने की हड्डी भी एक सदी पहले की तुलना में तीन गुना ज्यादा आम है. सूक्ष्म स्तर पर छोटे से विकासक्रम के ये बदलाव भी मिल कर एक प्रजाति में बड़े बदलावों तक को परिभाषित कर देते हैं. इस तरह के बदलाव ना केवल सेहत के नए रास्ते निकालते हैं, बल्कि रोगों की संभावनाएं भी खोलते हैं जिनकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है.
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
January 20, 2025, 08:01 IST