Last Updated:February 03, 2025, 07:52 IST
दिल्ली एयरपोर्ट पर पिछले साल हुए हादसे में एक कैब ड्राइवर की मौत और छह लोग घायल हो गए थे. लेकिन इस घटना के लिए कौन जिम्मेदार था, जानकारी सामने नहीं आई है. उधर, सर्बिया में रेलवे स्टेशन पर शेड गिरने से 15 लोगों ...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- सर्बिया में रेलवे स्टेशन शेड गिरने से 15 लोगों की मौत हुई.
- राष्ट्रपति वुसिस के खिलाफ विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं.
- जनता राष्ट्रपति वुसिस के इस्तीफे की मांग कर रही है.
दिल्ली के आईजीआई एयरपोर्ट पर बीते साल 29 जुलाई को हुए हादसे की बातें आपको याद होंगी. इस हादसे में एयरपोर्ट के बाहर लगा शेड गिर गया था, जिसमें एक कैब ड्राइवर की मौत हो गई थी जबकि छह अन्य लोग घायल हो गए थे. इस हादसे की खूब आलोचना हुई. आईजीआई देश का सबसे व्यस्त एयरपोर्ट है. उस वक्त नागरिक उड्डयन मंत्री राममोहन नायडू ने घटना स्थल का दौरा किया था. कड़ी कार्रवाई की बात कही थी लेकिन, उसके बाद क्या हुआ? इस घटना के लिए कौन जिम्मेदार था? घटना के छह माह बाद भी इसकी कोई जानकारी नहीं मिली है.
अब एक दूसरी घटना की बात करते हैं. यह घटना सर्बिया की है. यहां की राजधानी बेलग्रेद के एक रेलवे स्टेशन का शेड गिर गया था. यह घटना एक नवंबर 2024 की है. इसमें 15 लोगों की मौत हो गई थी. लेकिन, इस घटना ने सर्विया की सरकार की नींव हिला दी है. घटना से चंद महीने पहले ही इस स्टेशन का निर्माण कार्य पूरा किया गया था. घटना के बाद सर्विया की जनता में आक्रोश फैल गया. शेड serbiaका मलबा सर्विया की सरकार और प्रशासन में भ्रष्टाचार का प्रतीक बन गया. इस कारण बीते 12 साल से सत्ता में बने राष्ट्रपति अलेक्जेंडर वुसिस और उनकी सरकार निशाने पर आ गए हैं.
लगातार विरोध प्रदर्शन
इस घटना के बाद उनके खिलाफ लगातार विरोध प्रदर्शन होने लगे. देश के हर इलाके में विरोध प्रदर्शन होने लगे. इस प्रदर्शन में छात्र बढ़चढ़कर हिस्सा ले रहे हैं. प्रदर्शनकारी स्टेशन के निर्माण के आदेश और उससे जुड़ी हर एक जानकारी सार्वजनिक करने की मांग कर रहे हैं. विरोध प्रदर्शन इतना तेज हो गया है कि अब बात सर्विया के राष्ट्रपति वुसिस के इस्तीफे तक पहुंच गई है.
वर्ष 2014 में वुसिस सर्विया के प्रधानमंत्री बने थे. उसके तीन साल बाद 2017 में वह राष्ट्रपति बन गए. वुसिस इससे पहले देश सूचना मंत्री भी रह चुके हैं लेकिन, इनकी सरकार में लोकतंत्र को कमजोर करने के आरोप लगते हैं. लोकतंत्र की मजबूती की रेटिंग करने वाली एक संस्था फ्रीडम हाउस ने कहा कि 2019 में इस देश की हातल और खराब हो गई और वह देश पार्टी फ्री देश बन गया.
इस दौरान देश में मीडिया पर खूब हमले हुए और पूरी ताकत राष्ट्रपति के हाथों में सिमट गई. लेकिन, इस घटना ने राष्ट्रपति की कुर्सी हिला दी है. जनता सड़कों पर है. इससे पहले 2023 में लोग राष्ट्रपति के खिलाफ सड़क पर उतरे थे. उस तक राष्ट्रपति पर चुनाव में धांधली करने के आरोप लगे थे. इस वक्त फिर से विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं. लेकिन अब देखना होगा कि इन प्रदर्शनों के आगे राष्ट्रपति का रुख कैसा रहता है.
First Published :
February 03, 2025, 07:52 IST