अपाहिज हैं पर कभी हिम्मत नहीं हारी, पढ़-लिख कमाया नाम, बड़ा मुकाम करा हासिल

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World Disability Day 2024: आज वर्ल्ड डिसेबिलिटी डे है. इस दिन का उद्देश्य दिव्यांगजनों के अधिकारों, गरिमा और उनकी क्षमताओं को पहचाना और उनकी चुनौतियों को समझने, उनके लिए समान अवसर सुनिश्चित करने और उन्हें समाज की मुख्यधारा में लाने की प्रेरणा देता है. शायद इसी लिए कहा जाता है कि अगर कुछ कर गुजरने का जज्बा दिल में हो तो मंजिल खुद ब खुद आसान हो जाती है. कुछ ऐसा ही देखने को मिलता है अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के छात्र मोहम्मद मुस्ताक के साथ. उन्होंने अपाहिज होने के बावजूद जीवन में कभी हार नहीं मानी और आज अपनी पीएचडी कंप्लीट करने के बाद प्रोफेसर की नियुक्ति के बेहद करीब हैं.

पढ़ें-लिख जल्द बनेंगे प्रोफेसर
जानकारी देते हुए मोहम्मद मुस्ताक कहते हैं,  ‘मैं राजस्थान का रहने वाला हूं. मैंने 2009 में अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय से एमए किया था. इसके बाद बीएड और एमफिल किया. उसके बाद 2021 में मैंने पीएचडी कंप्लीट की.पीएचडी मैंने सुनिथोलॉजी सब्जेक्ट से कंप्लीट क. मैं अपने पैरों से फिजिकल चैलेंज हूं, जिसके लिए मुझे अपने जीवन में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा. लेकिन मैंने कभी हार नहीं मानी और तालीम के लिए मैं आगे बढ़ता चलता रहा. यही वजह है कि मैं आज पीएचडी होल्डर हूं और जल्द ही मेरी प्रोफेसर की नियुक्ति होने जा रही है. इसके बाद मैं अपने जैसे बच्चों को पढ़ने और आगे बढ़ने का काम करूंगा.’

परिवार ने हमेशा दिया साथ
मोहम्मद मुस्ताक ने आगे बताया कि वो बचपन से ही पैरों से मजबूर थे. लेकिन परिवार ने बहुत साथ दिया. उन्होंने कहा, ‘परिवार ने मेरी हिम्मत बढ़ाई और मुझे पढ़ने के लिए प्रोत्साहित किया. मेरे परिवार में माता पिता के अलावा हम चार भाई और दो बहने हैं. जो मुझसे छोटे हैं और अपनी अपनी पढ़ाई कर रहे हैं. मेरी उम्र 38 साल है और मेरे सामने डिसेबल होने की वजह से कई चुनौतियां आई. लेकिन अगर आपका जज्बा मजबूत है और आप अपने आप को कमजोर नहीं समझते हैं तो सारी मंजिलें खुद ब खुद आसान हो जाती हैं.’

फिजिकल चैलेंज लोगों के लिए कही ये बात
मोहम्मद मुस्ताक कहते हैं,  मैंने अपनी पीएचडी कंप्लीट करली है. जिससे मुझे एक फक्र महसूस होता है. अक्सर यह देखा जाता है कि जो बच्चे फिजिकल चैलेंज होते हैं उनके साथ बहुत से लोग हैं हीन भावना रखते हैं और उनको बहुत सारी जगह इग्नोर किया जाता है जो ऐसा नहीं होना चाहिए. मेरा मानना है कि जो बच्चे फिजिकल चैलेंज होते हैं. उनको अपनी कमजोरी की ओर न देखकर अपनी हिम्मत की ओर देखना चाहिए और जीवन में आगे बढ़ना चाहिए अगर आपके अंदर नॉलेज है. तो आपको कामयाब होने से कोई नहीं रोक सकता. मैं मध्यम वर्ग के परिवार से आता हूं. लेकिन मेरे परिवार के सपोर्ट की वजह से आज मैं अपनी पीएचडी कंप्लीट कर प्रोफेसर होने जा रहा हूं. जिसकी मुझे बेहद खुशी है.

Tags: Aligarh news, Local18

FIRST PUBLISHED :

December 3, 2024, 15:14 IST

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