Last Updated:February 12, 2025, 07:01 IST
Agriculture Tips: गेहूं में बालियां आनी शुरू हो गई हैं और एक्सपर्ट के मुताबिक इस समय कुछ विशेष बातों का ध्यान रख लिया जाएगा, तो आपका गेहूं मोटा और चमकदार बन जाएगा. जानिए क्या है तरीका
बालियां आने से पहले जरूर करें यह काम
हाइलाइट्स
- गेहूं की फसल में बालियों के समय दो बार सिंचाई करें.
- पहली सिंचाई 60-65 दिन और दूसरी 80-85 दिन पर करें.
- नाइट्रोजन, जिंक, बोरेक्स और सल्फर का छिड़काव करें.
जमुई. रबी का सीजन चल रहा है और इस सीजन में गेहूं की खेती सबसे प्रमुख मानी जाती है. बड़े पैमाने पर बिहार के अलग-अलग जिलों में गेहूं की खेती होती है. फरवरी का महीना शुरू हो गया है और इस महीने में गेहूं के फसल में बालियां आनी शुरू हो गई हैं. गेहूं में फलन शुरू हो गया है और इस वक्त अगर फसल का प्रबंधन सही तरीके से कर दिया जाए, तो गेहूं की फसल को इतना बेहतर बनाया जा सकता है कि आपकी उपज बढ़ जाएगी. आपके गेहूं के दानों की मोटाई बढ़ जाएगी, जिससे पैदावार पर इसका अनुकूल प्रभाव पड़ेगा. पौधा संरक्षण विभाग के विशेषज्ञ डॉ मुकुल कुमार बताते हैं कि इस वक्त किसानों को अपने गेहूं की फसल के प्रबंधन का विशेष ध्यान रखना चाहिए.
सिंचाई का रखें बेहतर ध्यान, जरूर करें यह काम
विशेषज्ञ डॉ मुकुल कुमार ने बताया कि गेहूं की फसल में बालियां निकलने का समय सबसे महत्वपूर्ण होता है और इस दौरान हमें अपने खेतों की सिंचाई का सबसे अधिक ध्यान रखना चाहिए. खासकर उस वक्त जब बालियों में दाने दूधिया अवस्था में हो. यानी गेहूं के दाने बस निकलने शुरू हो रहे हो, इस वक्त कम से कम गेहूं को दो बार जरूर सींचे. उन्होंने कहा कि पहली सिंचाई बाली निकलने के समय, यानी गेहूं के फसल को लगाने से करीब 60 से 65 दिन के अंतराल पर करें. जबकि दूसरी सिंचाई जब आपके दाने दूधिया अवस्था में हो गए हो तब करें. यानी जब आपने गेहूं की फसल लगाई थी उससे 80 से 85 दिन के बाद करें. दोनों सिंचाई के बीच में करीब 15 दिन का अंतराल होना चाहिए. हालांकि इस दौरान खेतों की हल्की सिंचाई करें. अगर आप खेतों को पानी से डूबा देंगे तो इससे आपकी फसल काली पड़ सकती है.
प्रचुर मात्रा में करें नाइट्रोजन का छिड़काव
पौध संरक्षण विभाग के विशेषज्ञ ने बताया कि सिंचाई के साथ-साथ खेतों में प्रचुर मात्रा में नाइट्रोजन का इस्तेमाल करना चाहिए. उन्होंने कहा कि अगर फसल को सही तरीके से पोषक तत्व नहीं मिलेगा तो फसल अच्छी नहीं होगी. इसके लिए खेतों में नाइट्रोजन का छिड़काव जरूरी है. अगर पौधों में पीलापन दिख रहा हो या पौधे कमजोर हो तो प्रति बीघा 8 से 10 किलो यूरिया का छिड़काव करें. उन्होंने कहा कि इसके साथ जिंक और बोरेक्स का भी छिड़काव करें, इससे दाने भरते हैं और दाने मोटे होते हैं. इसके लिए 0.5% जिंक सल्फेट और 0.2% बोरेक्स का स्प्रे करें. आप अपने खेतों में सल्फर का भी प्रयोग करें. सल्फर से दाने का वजन बढ़ता है. आप प्रति एकड़ 5 किलोग्राम सल्फर का छिड़काव अपने खेतों में कर सकते हैं.
First Published :
February 12, 2025, 07:01 IST
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