Last Updated:February 01, 2025, 11:06 IST
एक नई खोज ने वैज्ञानिकों में उम्मीद जगाई है कि भविष्य में दो पुरुषों की ही मदद से बच्चे पैदा किए जा सकेंगे जिसमें मां की कोई भूमिका नहीं होगी. हैरानी की बात लगती है. लेकिन चीन में वैज्ञानिकों ने केवल नरों की मद...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- चीनी वैज्ञानिकों ने बिना मां के चूहे को जीवित रखने में सफलता पाई
- दो पुरुषों से बच्चे पैदा करने की संभावना पर शोध जारी
- इंसानों पर इस तकनीक का प्रयोग अब असंभव नहीं रहेगा
सब जानते हैं कि इंसानों की सेहत और अन्य शारीरिक समस्याओं को सुलझाने के लिए वैज्ञानिक जानवरों पर कई तरह के प्रयोग करते हैं. इसमें सबसे ज्यादा प्रयोग चूहों पर होते हैं क्योंकि उनकी दिमागी संरचना काफी कुछ इंसानों के दिमाग की तरह होती है. इसमें जेनेटिक इंजीनियरिंग तक के प्रयोग भी शामिल हैं. हाल ही में चीन में एक अनोखा प्रयोग हुआ जिसमें एक चूहा जिसकी कोई जैविक मां ही नहीं थी, वह युवावस्था तक जिंदा रहने में कामयाब हो गया. आइये जानते हैं कि क्यों इसे बड़ी उपलब्धि माना जा रहा है? तो क्या ऐसा इंसानों में हो पाएगा कि बिना माहिला के ही दो पुरुषों से ही बच्चे पैदा किए जाने लगेंगे?
कहां हुआ ये अध्ययन
चाइनीज एकेडमी ऑफ साइंसेस (CAS) के मॉलीक्यूलर बायोलॉजिस्ट झी कुन ली की अगुआई में चीनी शोधक्रताओं की टीम ने यह बड़ा मुकाम हासिल किया है. इसके लिए उन्होंने सटीक स्टेम सेल इंजीनियरिंग का उपयोग किया. लेकिन यह पहली बार नहीं है कि वैज्ञानिकों ने किसी चूहो को दो नरों की ही मदद से बनाया है. 2023 में जापान के शोधकर्ताओं ने ऐसा ही किया था. लेकिन वह इतने समय के लिए जिंदा नहीं रह सका.
क्या पहले भी हो चुके हैं ऐसे प्रयास?
इससे पहले नरों के स्टेम सेल से अंडा पैदा करने के प्रयास नाकाम ही रहे हैं. बिना मां के बच्चे आमतौर पर मादा सेरोगेट के जरिए पैदा होते हैं. लेकिन इस प्रक्रिया में कई तरह की समस्याएं हैं. लेकिन चीन में जो ऐसे स्पनपायी पैदा हो रहे हैं, वे खुद प्रजनन नहीं कर पाते हैं लेकिन वे अपने जैसे दूरे जानवरों की तुलना में काफी सेहतमंद होते हैं और उनमें किसी तरह की समस्या भी देखने को नहीं मिल रही है.
दो नर चूहों से पैदा हुआ बच्चा इस बार वयस्क होने तक जिंदा रह गया, जो बड़ी उपलब्धि रही. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Pixabay)
क्या इंसानों पर हो सकता है ऐसा प्रयोग
ऐसे चूहों के आधे बंधु वयस्क अवस्था में पहुंचने में नाकाम रहे और करीब 90 फीसदी भ्रूण तो पैदा ही नहीं हो सके. जाहिर है कि सफलता की दर को काफी बेहतर करने की जरूरत है. इसलिए अभी इस तरह की तकनीका का इंसानों पर प्रयोग करने में बहुत अधिक समय है. पर अध्ययन के शोधक्रताओं का कहना है कि उनका काम वैज्ञानिकों को इंसानों के कुछ अनुवांशिकी मनोविकारों को समझने में जरूर मदद करेगा.
एक खास तरह का विकार
आमतौर पर जब नर के सपर्म का मदादा अंडे से निषेचन (फर्टिलाइजेशन) होता है तो जीन्स दो गुने हो जाते हैं यानी कि हर जोड़े के आधे जीन्स को शांत करना होता है. जब अनुवांशिकी पदार्थ दो स्पर्म से आते हैं, ऐसे में अक्सर दो बार जीन्स शांत हो जाते हैं. जिससे कई तरह के विकार आ जाते हैं. यह इंप्रिंटिंग असामान्यता कुछ जीन या क्रोमोजोम के इलाकों का नियंत्रण नर और मादा अविभावक परके योगदान पर निर्भर करता है.
शोधकर्ताओं ने जीन में होने वाले बड़ी समस्या को रोकने में सफलता हासिल की. (प्रतीकात्मक तस्वीर: Canva)
यही विकार बना मूल समस्या का कारण
ली और उनके साथियों ने पता लगाया कि इस तरह के मामलों को कैसे सुधारा जाए. उन्होंने इसके लिए कई तरह की जेनेटिक तनकीकों का इस्तेमाल किया जिसमें जीन डिलीशन, रीजन एडिट, और जेनेटिक बेस पेयर में कुछ मिलाना या हटाना शामिल है. शोधकर्ताओं का कहना है कि इस तरह की इम्प्रिंटिंग जीन यूनीसेक्जुअल प्रजनन में मूल रूप से बाधक है. यहां तक कि दो माताओं या दो पिता से कृत्रिम भ्रूण बनाने में वे नाकाम रहे और इन्हीं जीन्स की वजह से वे अटके रहे.
कैसे निकाला समाधान
जापानी शोधकर्ताओं ने साल 2004 में दो माताओं और बिना पिता के पहली बार एक चूहा बनाया था. लकिन बिना स्पर्म के प्रजनन आसान है. स्पर्म कोशिका बहुत ही अलग तरह की कोशिकाएं होती हैं और वे दूसरी कोशिका में बंट नहीं पाती हैं. ऐसे में अकेले उनसे भ्रूण बनाना बहुत ही मुश्किल है. इसलिए वैज्ञानिकों को एक भ्रूण स्टेम कोशिका बनाना पड़ा और उससे नया भ्रूण बनाया.
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इस तकनीक ने सफलता को बेहतर बनाया और शोधकर्ताओं ने 13 फीसदी भ्रूण को शिशुओं में बदलने में सफलता हासिल की. लेकिन ये बच्चे आगे प्रजनन करने में सक्षम नहीं है. सेल स्टेम सेल में प्रकाशित अध्ययन में शोधकर्ताओं ने बताया कि इम्प्रिंटिंग जीन्स में सुधार नतीजों के बेहतर करता जाएगा.
Location :
Noida,Gautam Buddha Nagar,Uttar Pradesh
First Published :
February 01, 2025, 11:06 IST