महाकुंभ का दूसरा अमृत स्नान 29 जनवरी को मौनी अमावस्या के दिन पड़ रहा है। यह बेहद शुभ माना गया है। मौनी अमावस्या का हिंदू धर्म में काफी अधिक महत्व है। मौनी अमावस्या को पवित्रता, तप और आत्मशुद्धि का प्रतीक माना गया है। इस दिन श्रद्धालु मौन धारण करके संगम में स्नान करेंगे। महाकुंभ के अलावा, अन्य श्रद्धालु अन्य नदियों में स्नान करेंगे और पुण्य अर्जित करेंगे। मौनी अमावस्या का शाब्दिक अर्थ है 'मौन रहने वाली अमावस्या'।
गंगा स्नान का है विशेष महत्व
हिंदू धर्म के मुताबिक, इस दिन मौन रहकर पवित्र नदियों में स्नान करने से जातक के पापों का नाश होता है और अंतरात्मा शुद्ध होती है। इस दिन सभी नदियों में से गंगा स्नान को विशेष महत्व होता है। कहा जाता है कि गंगा में स्नान करने से जन्म-जन्मांतर के पाप नष्ट हो जाते हैं और मोक्ष मिल जाता है।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक, सृष्टि के शुरुआती दिनों में इसी दिन मनु ने खुद मौन व्रत का पालन किया था, इसी कारण इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। मौनी अमावस्या पर मौन रहना आत्मसंयम का प्रतीक माना जाता है।
कब करना है स्नान और दान?
हिंदू पंचांग के मुताबिक, 28 जनवरी 2025 को शाम 07.35 बजे से अमावस्या तिथि शुरू हो जाएगी और 29 जनवरी शाम 06.05 बजे तक रहेगी। इस दौरान ही सभी को स्नान करना है। श्रद्धालुओं का स्नान के बाद तिल, लड्डू व तेल जरूर दान करना चाहिए। मान्यता के मुताबिक, इस दिन को पितृ दोष, कालसर्प दोष से मुक्ति पाने के लिए भी शुभ माना गया है। अगर आपके आसपास गाय, कौवे और कुत्ते हैं तो इस दिन उन्हें भोजन कराना बिल्कुल न भूलें।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं। इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इंडिया टीवी एक भी बात की सत्यता का प्रमाण नहीं देता है।)