Last Updated:January 26, 2025, 12:12 IST
Hypertension In Teenages: अगर बुढ़ापे में होने वाली बीमारी बच्चों में होने लगे तो उनकी बांकी की जिंदगी का क्या होगा. दरअसल, कई अधेड़ों वाली बीमारी आजकल बच्चों में भी देखने को मिल रही हैं. हाईपरटेंशन इनमें से एक...और पढ़ें
Hypertension In Teenages: ये सच है कि बुढ़ापे में कई परेशानियां होने लगती हैं. कई बीमारियां तो काफी दर्दनाक होती हैं. सोंचो… अगर ये परेशानियां युवाओं और बच्चों में भी होने लगे तो उनका क्या होगा. हाईपरटेंशन ऐसी ही बीमारियों में से एक है. इस बीमारी का सबसे बड़ा कारण अनहेल्दी लाइफस्टाइल को माना जा रहा है. ये बीमारी कभी 50 की उम्र के पार वालों को होती थी. फिर इसने युवाओं को अपनी गिरफ्त में लिया और अब बच्चों को भी शिकार बनाने लगी है. अब सवाल है कि आखिर हाईपरटेंशन है क्या? बच्चों में हाईपरटेंशन क्यों बढ़ा? हाईपरटेंशन के लक्षण क्या हैं और कैसे करें बचाव? इस बारे में News18 को बता रहे हैं राजकीय मेडिकल कॉलेज कन्नौज के वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. विवेक कुमार-
डॉ. विवेक कुमार बताते हैं कि पिछले कुछ समय से बच्चों में हाईपरटेंशन की शिकायतें बढ़ी हैं. अगर युवाओं की बात करें तो 7 से 8 साल पहले तक 20-30 साल के लोगों में हाईपरटेंशन न के बराबर था. लेकिन, आज ये 6 से 19 साल तक के बच्चों में भी देखा जा रहा है. हाईपरटेंशन आमतौर पर एक साइलेंट के तौर पर वार कर रहा है. शुरुआत में इसके लक्षण समझ पाना मुश्किल हो जाता है. यदि समय रहते हम इस पर काबू नहीं पाए, तो आगे चलकर यह हाई प्रेशर हार्ट, अटैक, स्ट्रोक, किडनी की समस्या या डिमेंशिया जैसी गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है.
क्या है हाईपरटेंशन?
डॉक्टर के मुताबिक, हार्ट का मुख्य कार्य शरीर के चारों ओर ब्लड पंप करना होता है. यह धमनियों के जरिए ब्लड फ्लो करने के लिए दबाव की एक निश्चित मात्रा की आवश्यकता होती है. ब्लड फ्लो के लिए दबाव एक निश्चित मात्रा में ही होती है. लेकिन, यदि ब्लड फ्लो का यह दबाव सामान्य से अधिक होता है, तो यह रक्त वाहिकाओं की दीवार पर तनाव डालने लगता है. इसके बाद परेशानी शुरू होने लगती है. इसी स्थिति को हाई ब्लड प्रेशर या हाईपरटेंशन कहते हैं.
हाईपरटेंशन बच्चों में क्यों?
बच्चों में आमतौर पर हाईपरटेंशन के दो कारण हैं. पहला, प्राइमरी हाईपरटेंशन और दूसरा सेकेंडरी हाईपरटेंशन. टीनएजर और यंग में प्राइमरी हाईपरटेंशन सबसे कॉमन है. हालांकि, सेकेंडरी हाईपरटेंशन बच्चों में कम पाया जाता है. सामान्यतौर पर यह किडनी प्रॉब्लम, हाइपरथायरायडिज्म, हार्मोनल इंबैलेंस, हार्ट प्रॉब्लम, अधिक तनाव और दवाओं के कारण होता है. लेकिन, कई बार फैमिली हिस्ट्री के कारण भी हो सकता है. इसका सीधा असर हार्ट पर पड़ता है.
हाईपरटेंशन के लक्षण?
हाईपरटेंशन की शुरुआत बेहद खतरनाक होती है. यह साइलेंट होने से प्राइमरी स्टेज में इसके लक्षणों की पहचान कर पाना मुश्किल हो जाता है. हालांकि, फिर भी यदि बच्चों में लगातार उल्टी या मतली, सीने में जकड़न, सांस लेने में परेशानी, सिरदर्द, धड़कनें तेज चलना, दिखने में परेशानी हो तो तुरंत जांच कराएं. क्योंकि, बच्चों में इस तरह के लक्षण हाईपरटेंशन के हो सकते हैं.
हाईपरटेंशन से बचाव?
अपोलोमेडिक्स सुपर स्पेशलिटी हॉस्पिटल लखनऊ की सीनियर डाइटिशियन प्रीती पांडे के मुताबिक, हेल्दी डाइट से भी हाईपरटेंशन को कंट्रोल किया जा सकता है. इसके लिए डाइट में ताजे फल, सब्जियां, साबुत अनाज और लो फैट डेयरी प्रोडक्ट्स को शामिल करें. साथ ही, नियमित एक्सरसाइज जरूरी है. सप्ताह में कम से कम 150 मिनट वॉकिंग, एरोबिक, स्विमिंग और साइकिलिंग आदि करें. क्योंकि, कई बार मोटापे के कारण भी हाईपरटेंशन हो सकता है. स्ट्रेस मैनेजमेंट के लिए योग और मेडिटेशन का सहारा लें. इसके अलावा, नमक और सैचुरेटेड फैट का सेवन कम करें.
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First Published :
January 26, 2025, 12:12 IST