Last Updated:February 01, 2025, 11:09 IST
वसंत पंचमी 3 फरवरी को है, इस दिन सरस्वती पूजा का मुहूर्त सुबह 7:27 से 9:36 तक है. देवी सरस्वती की उत्पत्ति माघ शुक्ल पंचमी को हुई थी, इसलिए इस दिन उनकी पूजा की जाती है.
हाइलाइट्स
- वसंत पंचमी 3 फरवरी को है.
- सरस्वती पूजा का मुहूर्त 7:27 से 9:36 तक है.
- माघ शुक्ल पंचमी को देवी सरस्वती की उत्पत्ति हुई थी.
इस साल वसंत पंचमी का पावन पर्व 3 फरवरी सोमवार को है. हिंदू कैलेंडर के अनुसार, वसंत पंचमी माघ शुक्ल पंचमी तिथि को होती है. उस दिन सरस्वती पूजा करते हैं. वसंत पंचमी के दिन से ऋतुराज वसंत का आगमन होता है. महर्षि पाराशर ज्योतिष संस्थान ट्रस्ट के ज्योतिषाचार्य पं. राकेश पाण्डेय के अनुसार, इस साल माघ शुक्ल पंचती तिथि 3 फरवरी को सुबह 09:36 बजे तक है. उस दिन रेवती नक्षत्र और सिद्धि योग है, जो उस दिन शुभकारी योग बना रहे हैं. वसंत पंचमी को सरस्वती पूजा का मुहूर्त सुबह में 7 बजकर 27 मिनट से सुबह 9 बजकर 36 मिनट तक है.
वसंत पंचमी को किसकी पूजा करते हैं?
1. चरक संहिता के अनुसार, वसंत पंचती के प्रमुख देवता काम और देवी रति हैं. इस वजह से वसंत पंचमी के अवसर पर कामदेव और रति की पूजा करनी चाहिए.
2. वसंत पंचमी के दिन भगवान विष्णु और ज्ञान की देवी माता सरस्वती की पूजा करते हैं.
3. वसंत पंचमी की पूजा में देवी और देवताओं को गेहूं और जौ की बालियां चढ़ांते हैं.
4. वसंत पंचमी पर होरी और धमार गीत गाते हैं.
सरस्वती पूजा सामग्री
1. मां सरस्वती और गणेश जी की एक मूर्ति या फोटो
2. मां सरस्वती और गणेश जी के लिए पीले वस्त्र
3. लकड़ी की चौकी, पीले फूल, माला, रोली, चंदन, अक्षत्
4. पीले गुलाल, गंगाजल, कलश, दूर्वा, धूप
5. आम के पत्ते, सुपारी, पान का पत्ता, गाय का घी
6. दीपक, कपूर, तुलसी पत्ता, हल्दी, कलावा या रक्षा सूत्र
7. भोग में खीर, बेसन लड्डू, मालपुआ, दूध की बर्फी आदि.
सरस्वती पूजा के लिए हवन साम्रगी
1. हवन के लिए एक कुंड
2. एक पैकेट हवन सामग्री, लोभान, गुग्गल
3. चंदन, आम, मुलैठी, पीपल, बेल, नीम, अश्वगंधा, गुलर, पलाश आदि की सूखी लकड़ियां, गाय के गोबर की उप्पलें.
4. काला तिल, जौ, घी, शक्कर, अक्षत्, सूखा नारियल
5. मौली, कपूर, एक लाल रंग का कपड़ा आदि.
कैसे हुई देवी सरस्वती की उत्पत्ति?
पौराणिक कथा के अनुसार, ब्रह्मा जी ने जब सृष्टि की रचना कर दी तो उसके बाद संसार में देखते थे, चारों ओर अजीब सा सन्नाटा पसरा रहता था और सुनसान दिखाई देता था. पूरी सृष्टि वाणी विहीन थी. इस पर ब्रह्म ने इस उदासी को दूर करने के लिए अपने कमंडल से जल छिड़का. उस जल की बूंदों से एक शक्ति की उत्पत्ति हुई, जो अपने हाथों में वीणा, माला और पुस्तक धारण किए थीं.
ब्रह्म देव ने उस देवी से संसार की उदासी को दूर करने को कहा. तब उन्होंने अपनी वीणा को बजाया, जिससे सभी जीवों को वाणी मिली. सभी जीव बोलने लगे, धरती की उदासी दूर हो गई. उस देवी का नाम सरस्वती पड़ा, जो ज्ञान और कला की देवी कहलाईं. माघ शुक्ल पंचमी को देवी सरस्वती की उत्पत्ति हुई थी, इसलिए इस दिन सरस्वती पूजा करते हैं. यह दिन बच्चों के अक्षर ज्ञान के लिए उत्तम माना जाता है.
First Published :
February 01, 2025, 11:09 IST