Agency:News18 Bihar
Last Updated:February 02, 2025, 12:12 IST
Saraswati Puja 2025: बसंत पंचमी के दिन एक खास मुहूर्त में मां सरस्वती की आराधना कर विशेष सिद्धियों की प्राप्ति की जा सकती है. विद्यार्थियों को माता के साथ कलम की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. सरस्वती पूजा के दिन हवन ...और पढ़ें
प्रतीकात्मक तस्वीर
हाइलाइट्स
- बसंत पंचमी पर मां सरस्वती की पूजा का विशेष महत्व है.
- 3 फरवरी को सुबह 9:36 बजे तक पूजा का शुभ मुहूर्त है.
- हवन में तिल, चावल, यव, पंचमेवा और गुड़ का मिश्रण करें.
पश्चिम चम्पारण: सनातन धर्म में मुख्य रूप से तीन देवियों की आराधना का बड़ा विशेष महत्व बताया गया है. इनमें मां महाकाली, महालक्ष्मी और महासरस्वती शामिल हैं, जहां अश्विन माह में मां महाकाली की पूजा का विशेष महत्व है. वहीं आषाढ़ माघ के शुक्ल पक्ष में मां महालक्ष्मी की पूजा का बड़ा महत्व है. ठीक इसी प्रकार माघ महीने की शुल्क पक्ष की पंचमी तिथि को मां महासरस्वती की पूजा का खास महत्व है.पिछले 35 वर्षों से कार्यरत ज्योतिषाचार्य डॉ. अशोक कुमार मिश्र लोकल 18 को बताया कि माघ शुक्ल पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा को ही श्री पंचमी या मां सरस्वती पंचमी और सरस्वती पूजा के रूप में जाना जाता है.
इस बार यदि आप एक खास मुहूर्त में मां शारदे की पूजा करते हैं, तो निश्चित तौर पर शुभ फल मिलना तय है. चलिए हम आपसे बसंत पंचमी पर बनने वाले इस खास मुहूर्त, कलम-दवात की पूजा के लिए उत्तम समय और इससे संबंधित अन्य विशेष जानकारियां साझा करते हैं.
9.36 बजे तक है बसंत पंचमी का मुहूर्त
डॉ. अशोक बताते हैं कि सोमवार 3 फरवरी को बसंत पंचमी के दिन एक खास मुहूर्त में मां सरस्वती की आराधना कर विशेष सिद्धियों की प्राप्ति की जा सकती है. उस दिन सूर्योदय के पश्चात सुबह 09 बजकर 36 मिनट तक बसंत पंचमी का मुहूर्त है. इस मुहूर्त में आप मां शारदे की पूजा आराधना कर सकते हैं. यदि आपको माता की मूर्ति की स्थापना करनी है, तो फिर आपके लिए सुबह 7 बजकर 54 मिनट से लेकर सुबह 8 बजकर 10 मिनट तक का समय बेहद उत्तम है.
इस समय करें प्रतिमा की स्थापना
दरअसल, बसंत पंचमी को सुबह 07 बजकर 16 मिनट से सुबह 08 बजकर 56 मिनट तक कुंभ लग्न का योग बन रहा है. ज्योतिषशास्त्र में इसे स्थिर लग्न भी कहा जाता है. इस लग्न में देवी-देवताओं की प्रतिमा और मूर्तियों को स्थापित करना बेहद शुभ माना जाता है. ऐसे में पूजन के लिए माता की प्रतिमा को इसी समय में स्थापित करना सर्वोत्तम बताया गया है.
पूजा के समय करें इस मंत्र का उच्चारण
डॉ. अशोक ने बताया कि स्थिर लग्न में ही विद्यार्थियों को माता के साथ कलम की पूजा-अर्चना करनी चाहिए. इसके लिए आपको रोली, अबीर, हल्दी, सिंदूर, रक्षा सूत्र और दुर्वा सहित पीले रंग के फूल को अनिवार्य रूप से उपयोग में लाना चाहिए. माता की पूजा के समय यदि आप ‘ॐ ऐं क्लीं सरस्वत्यै नम:’ मंत्र का उच्चारण 108 बार करते हैं, तो इससे आपको विशेष विशेष सिद्धियों की प्राप्ति हो सकती है.
हवन में इन सामाग्रियों का करें मिश्रण
ध्यान रहे कि हवन के लिए आपको तिल, चावल, यव, पंचमेवा तथा गुड़ को अनिवार्य रूप से इक्कठा कर लेना है. इन सभी सामग्रियों को शुद्ध घी में मिलाकर आम की लकड़ी पर हवन करने से शुभ फलों की प्राप्ति होगी. इसके साथ ही आप मां शारदे को आंवला, केला, बेर, गाजर इत्यादि का चढ़ा सकते हैं.
Location :
Pashchim Champaran,Bihar
First Published :
February 02, 2025, 12:12 IST
Disclaimer: इस खबर में दी गई जानकारी, राशि-धर्म और शास्त्रों के आधार पर ज्योतिषाचार्य और आचार्यों से बात करके लिखी गई है. किसी भी घटना-दुर्घटना या लाभ-हानि महज संयोग है. ज्योतिषाचार्यों की जानकारी सर्वहित में है. बताई गई किसी भी बात का Local-18 व्यक्तिगत समर्थन नहीं करता है.