हरे-काले धब्बे...शरीर से दोगुनी लंबी जीभ, पलक झपकते ही करता है शिकार

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Agency:Local18

Last Updated:February 07, 2025, 09:54 IST

राजस्थान का सिरोही जिले के माउंट आबू वन्यजीव क्षेत्र, को कई दुर्लभ प्रजाति के अनोखे जीव-जंतुओं का गढ़ माना जाता है, जो शहरों में कभी नजर नहीं आते हैं. इनमें से एक दुर्लभ प्रजाति है चैमेलियो जेलेनिकस या इंडियन क...और पढ़ें

हरे-काले धब्बे...शरीर से दोगुना लंबी जीभ, पलक झपकते ही करता है शिकार

यदि आप माउंट आबू घूमने आ रहे हैं और सड़क पर यह गिरगिट नजर आता है, तो उसे सड़क से हटाकर किसी लकड़ी की मदद से किसी पेड़ पर रखें, ताकि वाहन इसे टक्कर ना मार सकें. इस तरह हम इस दुर्लभ प्रजाति के गिरगिट की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं और उन्हें प्राकृतिक वातावरण में रहने का मौका दे सकते हैं.

इस प्रजाति के गिरगिट का शरीर आकार में सामान्य गिरगिट जैसा होता है, लेकिन इनके शरीर पर हरे और काले रंग के धब्बे होते हैं, जो इन्हें अलग पहचान देते हैं. ये गिरगिट अपनी धीमी रफ्तार से चलते हैं और शांत स्वभाव के होते हैं, जिससे वे आमजन के लिए खतरनाक नहीं होते. माउंट आबू के आसपास यह गिरगिट काफी आसानी से देखा जा सकता है.

माउंट आबू में इन गिरगिटों को आबूरोड से माउंट आबू जाने वाले मार्ग पर पर्यटक अक्सर देख सकते हैं. ये गिरगिट जंगल में अपनी लम्बी और तेज जीभ से कुछ ही सेकंड में कीड़े-मकोड़े पकड़ कर अपना भोजन बना लेते हैं. ये गिरगिट कीड़ों को खाने के लिए अपनी जीभ का उपयोग करते हैं, जो इनके शरीर के आकार से दो गुना तक लंबी होती है.

वन्यजीव प्रेमी चिंटू यादव ने Local18 को बताया कि इस गिरगिट को सामान्य गिरगिट समझना गलत होगा. इसका आकार और स्वभाव सामान्य गिरगिट से बिलकुल अलग है. यह गिरगिट केवल धीमे-धीमे चलता है और अपनी लम्बी जीभ से कीड़े-मकोड़े खाते हैं. इनकी पहचान इसके हरे और काले रंग के धब्बों से होती है, जो इन्हें अन्य गिरगिटों से अलग बनाते हैं.

वहीं उन्होंने कहा कि इन गिरगिटों के पंजे भी काफी खास होते हैं, जो केवल दो अंगुली वाले होते हैं. इनकी मदद से ये गिरगिट पेड़ों की टहनियों को आसानी से पकड़ लेते हैं और सुरक्षित रहते हैं. यह गिरगिट विभिन्न इलाकों में पाए जाते हैं, जिनमें से एक प्रमुख स्थान है आबूरोड से माउंट आबू जाने वाला मार्ग. सात घूम और अपर कोदरा जैसे स्थानों पर भी इन्हें देखा जा चुका है.

माउंट आबू में पाया जाने वाला यह गिरगिट सिर्फ भारतीय वन्यजीवों में ही नहीं, बल्कि विदेशी शोधकर्ताओं के लिए भी रुचि का विषय बन चुका है. शोधकर्ताओं ने इस गिरगिट पर कई अध्ययन किए हैं और इसके बारे में बहुत कुछ जाना है. यह गिरगिट भारतीय केमेलियन से अलग होने के कारण शोधकर्ताओं के लिए खास महत्व रखता है.

ऑस्ट्रेलिया से आए शोधकर्ताओं जुलियाना और पीटर ने माउंट आबू के इस गिरगिट पर रिसर्च किया था. चिंटू यादव ने बताया कि यह गिरगिट देश में पाई जाने वाली अन्य केमेलियन प्रजातियों से अलग है. इस गिरगिट के बारे में और भी कई रोचक तथ्य सामने आए हैं, जो इसके अस्तित्व और स्वभाव को और ज्यादा दिलचस्प बनाते हैं.

यदि आप माउंट आबू घूमने आ रहे हैं और सड़क पर यह गिरगिट नजर आता है, तो उसे सड़क से हटाकर किसी लकड़ी की मदद से किसी पेड़ पर रखें, ताकि वाहन इसे टक्कर ना मार सकें. इस तरह हम इस दुर्लभ प्रजाति के गिरगिट की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकते हैं और उन्हें प्राकृतिक वातावरण में रहने का मौका दे सकते हैं.

Location :

Sirohi,Sirohi,Rajasthan

First Published :

February 07, 2025, 09:54 IST

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हरे-काले धब्बे...शरीर से दोगुना लंबी जीभ, पलक झपकते ही करता है शिकार

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