Agency:Local18
Last Updated:February 03, 2025, 18:34 IST
Para swimming champion: सूरत के दिव्यांग रोहन चासिया ने जन्म से 90% विकलांगता के बावजूद तैराकी में इतिहास रच दिया. उन्होंने 117.23 किमी की समुद्री यात्रा पूरी कर 'इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स' में नाम दर्ज कराया, सा...और पढ़ें
आज के दौर में दिव्यांगजन हर क्षेत्र में अपनी पहचान बना रहे हैं. सूरत के रोहन चासिया भी ऐसे ही एक प्रेरणादायक उदाहरण हैं, जिन्होंने अपनी 90% विकलांगता को कमजोरी नहीं, बल्कि अपनी ताकत बना लिया. जन्म से ही दुर्लभ बीमारी से ग्रस्त होने के बावजूद, उन्होंने तैराकी में अपना परचम लहराया और इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स में अपना नाम दर्ज कराया.
जन्म से दुर्लभ बीमारी के शिकार
रोहन चासिया का जन्म एक ऐसी दुर्लभ बीमारी के साथ हुआ था, जिसे रीढ़ की ‘मैनिंगोमाइलोसेल विद पैरापेरिसिस’ कहा जाता है. इस बीमारी के कारण उनकी कमर से नीचे की नसें ठीक से काम नहीं करतीं. डॉक्टरों ने उनके माता-पिता को बताया था कि इस बीमारी का इलाज अमेरिका में भी संभव नहीं है. लेकिन रोहन ने अपने इस शारीरिक अवरोध को कभी अपनी सफलता के रास्ते में नहीं आने दिया.
डर से शुरुआत, हौसले से सफलता
एक समय था जब रोहन पानी से डरते थे. लेकिन 2015 में उन्होंने इस डर को दूर करने का फैसला लिया और अपने घरवालों को बिना बताए तैराकी सीखने के लिए आवेदन कर दिया. शुरुआत में उनके कोच को संदेह था कि वह सीख पाएंगे या नहीं, लेकिन जब उन्होंने रोहन की लगन देखी, तो पूरा सहयोग दिया. कड़ी मेहनत और आत्मविश्वास के बल पर रोहन ने जल्द ही पैरा तैराकी में अपनी पहचान बनानी शुरू कर दी.
राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर जीते कई मेडल
रोहन चासिया ने जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर पर कई पैरा तैराकी प्रतियोगिताओं में भाग लिया और मेडल अपने नाम किए. 2022-23 में उन्होंने विश्व की पहली दिव्यांग कयाकिंग प्रतियोगिता में हिस्सा लिया. इस दौरान उन्होंने पोरबंदर से सोमनाथ तक कुल 117.23 किलोमीटर की दूरी तय की. यह यात्रा उन्होंने 6 दिनों में पूरी की, जिसमें रोजाना 8 घंटे तक समुद्र में 20 किलोमीटर की दूरी तय की. उनकी इस अद्भुत उपलब्धि ने उन्हें ‘इंडिया बुक ऑफ रिकॉर्ड्स’ में स्थान दिलाया.
हर चुनौती को बनाया जीत का जरिया
रोहन का सफर आसान नहीं था. तूफानी समुद्र में तैरना किसी भी आम व्यक्ति के लिए चुनौतीपूर्ण होता है, लेकिन उन्होंने इस चुनौती को भी अपने हौसले से पार कर दिखाया. रोहन बताते हैं कि रोजाना समुद्र की लहरों से जूझना आसान नहीं था, लेकिन उनके संकल्प ने उन्हें हर मुश्किल से लड़ने की शक्ति दी.
First Published :
February 03, 2025, 18:34 IST