Last Updated:January 18, 2025, 10:39 IST
Mahakumbh News: महाकुंभ में अंग्रेजों के समय मेले के आयोजन से जुड़ा एक रोचक किस्सा सामने आया. उस दौरान गंगा की धारा के प्रवाह की दिशा मुड़ जाने की वजह से संगम पहुंचना मुश्किल हो गया था.
प्रयागराजः महाकुंभ इन दिनों सुर्खियों में है. 144 साल बाद बने खास संयोग की वजह से महाकुंभ मेले में रिकॉर्डतोड़ संख्या में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. कुंभ मेले के आयोजन से जुड़ा एक पुराना किस्सा बेहद रोचक है. बात साल 1894 की है. तब गंगा की बदली धार ने आयोजकों के लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी थी. गंगा नदी की धार झूंसी से खिसक कर किले की तरफ बहने लगी. जिसके कारण त्रिवेणी संगम तक पहुंचना मुश्किल हो गया. जिसके लिए अंग्रेज अफसरों ने नावों को जोड़कर खास पुल तैयार करवाया था, जिससे कि साधु, संत संगम तक पहुंच सकें.
लाइव हिंदुस्तान की खबर के मुताबिक, ब्रिटिश हुकूमत के दौरान साल 1894 में तीसरा आधिकारिक कुंभ मेला आयोजित किया गया. जिसमें पहली बार स्वच्छता और सुरक्षा का बंदोबस्त बेहतरीन ढ़ंग से किया गया था. क्षेत्रीय अभिलेखागार (गजेटियर) में मौजूद दस्तावेज में दर्ज है कि जिला मजिस्ट्रेट ने कुंभ मेले की जिम्मेदारी संभाली थी. इसके लिए हुकूमत ने तीन अफसरों को इंग्लैंड से बुलाया था. इनमें स्पेशल अफसर इंचार्ज एचडब्ल्यू पाइक को मजिस्ट्रेट के रूप में तैनात किया गया था. डिप्टी सेनेटरी कमिश्नर सर्जन मेजर जीएम गिल्स को एग्जीक्यूटिव सेनेटरी अफसर नियुक्त किया गया था. जबकि असिस्टेंट सुप्रिटेंडेंट ऑफ पुलिस जीएचबी जॉन्सटन को एक्जीक्यूटिव पुलिस ऑफिसर बनाया गया था.
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साक्ष्य मौजूद
संस्कृति विभाग के राजकीय अभिलेखागार में इसके साक्ष्य उपलब्ध हैं. दस्तावेजों में उस समय के कुंभ मेला प्रभारी एचडब्ल्यू पाइक का 16 मार्च 1894 को जारी किया गया पत्र भी शामिल है. जिसमें धारा बदलने की वजह से नावों का पुल तैयार करने का उल्लेख है. इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज के कोर्स कोऑर्डिनेटर डॉ. धनंजय चोपड़ा बताते हैं कि कुंभ मेले को पूरे सात हिस्सों में बांटा गया था. इंग्लैंड से आए अफसरों को अलग-अलग जिम्मदारियां सौंपी गई थीं.
इतना हुआ था खर्च
दस्तावेजों को मुताबिक, गंगा पर नावों का पुल तैयार करने में 9400 रुपए का खर्च आया था. इसके साथ ही गंगा की धारा का प्रवाह बदलने पर कुल 15700 रुपए का खर्च आया था. बताया जाता है कि नावों को अलग-अलग रस्सों से जोड़ा गया था. जिनके जरिए सीमित संख्या में लोगों को पहुंचाया जा रहा था.
Location :
Allahabad,Uttar Pradesh
First Published :
January 18, 2025, 10:39 IST
जब कुंभ में संगम पहुंचने के लिए बना डाला था नावों का पुल, किस्सा 1894 का...