Last Updated:February 06, 2025, 12:40 IST
Travel Without Passport: ब्रिटेन के किंग चार्ल्स, जापान के सम्राट नारुहितो और उनकी पत्नी महारानी मासाको बिना पासपोर्ट के दुनिया में कहीं भी यात्रा कर सकते हैं। अन्य राष्ट्राध्यक्षों को डिप्लोमेटिक पासपोर्ट की ज...और पढ़ें
हाइलाइट्स
- ब्रिटेन के किंग चार्ल्स बिना पासपोर्ट किसी भी देश की यात्रा कर सकते हैं
- जापान के सम्राट नारुहितो और उनकी पत्नी को भी यह विशेषाधिकार है
- अन्य राष्ट्राध्यक्षों को विदेश यात्रा में डिप्लोमेटिक पासपोर्ट की जरूरत होती है
Travel Without Passport: पासपोर्ट एक ऐसा डॉक्यूमेंट है जो आपकी पहचान बताता है. अगर आप विदेश जाते हैं तो आप किस देश के नागरिक हैं, ये साबित करने के लिए पासपोर्ट की जरूरत पड़ती है. इस डॉक्यूमेंट को सरकार जारी करती है. अपने देश से बाहर किसी दूसरे देश की यात्रा करने के लिए आपके पास पासपोर्ट होना जरूरी है. पासपोर्ट के साथ विदेश यात्रा के लिए दूसरा जरूरी दस्तावेज वीजा होता है. आप इन दोनों के बिना विदेश जाने की सोच भी नहीं सकते. लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दुनिया में तीन लोग ऐसे हैं, जो किसी देश में पासपोर्ट के बिना जा सकते हैं. कौन हैं वे दुनिया के तीन खास लोग, आपको उनके बारे में बताते हैं.
ब्रिटेन के किंग चार्ल्स हैं पहले नंबर पर
दुनिया के इन तीन खास लोगों में पहला नाम ब्रिटेन का किंग चार्ल्स का है. आठ सितंबर 2022 को महारानी एलिजाबेथ के निधन के बाद चार्ल्स को ब्रिटेन के राजसिंहासन पर बैठाया गया. चार्ल्स से पहले यह विशेषाधिकार महारानी एलिजाबेथ को मिला हुआ था. चार्ल्स के ब्रिटेन का किंग बनने के बाद उनके सचिव ने अपने देश सहित दुनिया भर के विदेश मंत्रालयों को यह सूचना दी कि अब चार्ल्स आधिकारिक तौर पर ब्रिटेन के किंग हो गए हैं. इसलिए महारानी एलिजाबेथ को मिलने वाला प्रोटोकॉल अब किंग चार्ल्स को मिलेगा. उनके पास बिना रोकटोक के किसी भी देश की यात्रा करने की अनुमति होगी.
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दुनिया के इन तीन खास लोगों में पहला नाम ब्रिटेन का किंग चार्ल्स का है.
किंग की पत्नी को क्यों नहीं मिला विशेषाधिकार
ब्रिटेन के किंग के पास तो बिना पासपोर्ट और वीजा के किसी भी देश जाने का विशेषाधिकार है, लेकिन उनकी पत्नी को ये सुविधा क्यों नहीं हासिल है. दरअसल किंग की पत्नी इस विशेषाधिकार से महरूम रहती हैं. उन्हें दूसरे देश की यात्रा के समय डिप्लोमेटिक पासपोर्ट लेकर चलना पड़ता है. रॉयल फैमिली के सभी लोगों को डिप्लोमेटिक पासपोर्ट लेकर विदेश यात्रा करनी होती है. बता दें कि डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रखने वाले लोगों को भी खास तवज्जो और सम्मान मिलता है. उनके लिए हर देश में एयरपोर्ट पर अलग पैसेज होता है. क्वीन एलिजाबेथ के पति प्रिंस फिलिप को भी डिप्लोमेटिक पासपोर्ट लेकर चलना पड़ता था. बता दें कि ब्रिटेन में अगर राज सिंहासन पर क्वीन बैठती हैं, तो उनके पति को प्रिंस ही कहा जाता है.
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जापान के सम्राट और उनकी पत्नी
जापान के सम्राट नारुहितो और उनकी पत्नी महारानी मासाको को यह विशेषाधिकार है कि वह किसी भी देश में बिना पासपोर्ट के आ जा सकते हैं. जापान के सम्राट और महारानी को यह विशेषाधिकार क्यों मिला हुआ है, यह एक सवाल है. डिप्लोमेटिक रिकॉर्ड बताते हैं कि जापान के विदेश मंत्रालय ने अपने सम्राट और महारानी के लिए यह विशेष व्यवस्था साल 1971 से शुरू की थी. तब से यह लगातार जारी है. जापान के सम्राट और महारानी जब किसी दूसरे देश जाना चाहते हैं तो उससे पहले उस देश के विदेश मंत्रालय को जापान के विदेश मंत्रालय द्वारा एक पत्र भेजा जाता है. इस पत्र में लिखा होता है कि इसको जापान के सम्राट और उनकी महारानी का पासपोर्ट माना जाए. इसी के आधार पर उन्हें उस देश में सम्मानपूर्वक प्रवेश दिया जाए.
जापान के सम्राट नारुहितो और उनकी पत्नी महारानी मासाको को यह विशेषाधिकार मिला हुआ है.
राष्ट्रध्यक्षों के लिए क्या है नियम
जब किसी देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति किसी अन्य देश के दौरे पर होते हैं तो वे अपने साथ एक डिप्लोमेटिक पासपोर्ट रखते हैं. हालांकि इसके बावजूद मेजबान देश उन्हें पूरी छूट देता है कि वह बिना अपना पासपोर्ट दिखाए उनके यहां प्रवेश कर सकते हैं. यही नहीं, वे प्रोटोकॉल के तहत सभी कार्यक्रमों में हिस्सा ले सकते हैं. इस दौरान उनसे मेजबान देश का कोई भी अधिकारी पासपोर्ट नहीं मांग सकता. भारत में यह अधिकार प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति को हासिल है.ज्यादातर मेजबान देशों में उन्हें खुद आप्रवासन विभाग के अधिकारियों के सामने पेश नहीं होना पड़ता. सुरक्षा जांच और दूसरी प्रक्रियाओं से भी वे मुक्त रहते हैं. बता दें कि भारत में सामान्य लोगों के लिए नीले रंग का पासपोर्ट जारी किया जाता है. वहीं, सरकारी उच्चाधिकारियों और मंत्रियों के लिए सफेद रंग का पासपोर्ट, जबकि डिप्लोमेटिक पासपोर्ट मैरून रंग का होता है.
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कब शुरू हुआ पासपोर्ट का चलन
दुनिया में पासपोर्ट सिस्टम लागू हुए लगभग 100 साल से ज्यादा का समय हो गया है. 20वीं सदी की शुरुआत में जब एक देश से दूसरे देश लोग चोरी-छिपे जाने की कोशिश करने लगे तो कई तरह की समस्याएं खड़ी हो गईं. ऐसे लोगों पर लगाम लगाने के लिए दुनिया भर के देशों के बीच एक ऐसा समझौता हुआ. इसके तहत अगर एक देश का नागरिक दूसरे देश जाता है तो उसके पास कुछ डॉक्यूमेंट होना अनिवार्य है. उस दौरान पहला विश्वयुद्ध चल रहा था तो ऐसे में सभी देशों को समझ में आया कि पासपोर्ट जैसा कोई सिस्टम होना बहुत जरूरी है. 1920 में लीग ऑफ नेशंस ने इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार किया और पूरी दुनिया में पासपोर्ट व्यवस्था लागू करने के लिए कोशिशें शुरू कर दीं. इसकी अगुआई अमेरिका कर रहा था. साल 1924 में अमेरिका ने अपनी नई पासपोर्ट प्रणाली लागू कर दी. इसी के बाद यह व्यवस्था धीरे-धीरे पूरी दुनिया में चलन में आ गई.
अब बन रहे हैं ई-पासपोर्ट
शुरुआत में पासपोर्ट में आज के जैसे सिक्योरिटी फीचर्स नहीं थे. इसलिए जाली पासपोर्ट बनाना आसान था. लेकिन धीरे-धीरे ऐसी व्यवस्था की गई ताकि नकली या जाली पासपोर्ट ना बनाए जा सकें. अब पासपोर्ट विदेश यात्रा करने वाले हर व्यक्ति के लिए एक आधिकारिक पहचान पत्र बन गया है. इसमें उसका नाम, पता, उम्र, फोटो, नागरिकता और हस्ताक्षर होते हैं. अब ज्यादातर देश ई-पासपोर्ट भी जारी करने लगे हैं.
Location :
New Delhi,Delhi
First Published :
February 06, 2025, 12:40 IST